केन्द्र सरकार का कर्मचारी, उत्तर प्रदेश में हत्या और मुआवजा दिल्ली सरकार दे यह एक अजीब सी बात है जिसका अर्थ सिर्फ एक समझ आता है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने की वोट बैंक पाॅलिटिक्स है-सतीश उपाध्याय
नई दिल्ली, 2 जुलाई। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा है कि यह अत्यंत दुखद है कि दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार मुआवजे और अनुदान को भी राजनीतिक विकास के लिए प्रयोग कर रही है।
श्री उपाध्याय ने कहा कि अभी दो दिन पूर्व हमनें दिल्ली सरकार को उर्दू एकादमी का लगभग 1 करोड़ रूपये का फंड, उर्दू या उर्दू प्रेमियों के लिए साहित्य विकास की जगह रोजा इफ्तार पर खर्च करते हुये देखा। वहीं आज हमनें केजरीवाल सरकार को मुआवजे की राशि का दुरूपयोग अपने राजनीतिक विकास केे लिए करते हुये देखा।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पहले कार्यकाल में एक नई व्यवस्था बनाई थी कि सरकारी सेवा के दौरान विशेष परिस्थितियों में मृत्य होने वाले कर्मचारी के परिजनों को अन्य सब सरकारी सुविधाओं के अतिरिक्त 1 करोड़ रूपये का मुआवजा दिया जायेगा। इसी व्यवस्था के चलते एन.डी.एम.सी. अधिकारी श्री एम. एम. खान के परिजनों को आज मुआवजा दिया गया जिसका भारतीय जनता पार्टी पूर्ण समर्थन करती है पर वहीं दूसरी ओर आज एक पुलिस अधिकारी श्री तनजील अहमद के परिजनों को 1 करोड़ रूपये का मुआवजा दिया जाना समझ से परे है। श्री तनजील अहमद केन्द्र सरकार के कर्मचारी थे और उनकी हत्या किसी भी सेवा कार्य से जुड़ी नहीं थी बल्कि एक निजी सम्पत्ति विवाद में उत्तर प्रदेश में हुई।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि केन्द्र सरकार का कर्मचारी, उत्तर प्रदेश में उसकी हत्या और मुआवजा दिल्ली सरकार दे यह एक अजीब सी बात है जिसका अर्थ सिर्फ एक समझ आता है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने की वोट बैंक पाॅलिटिक्स है। क्या हम समझें कि अब दिल्ली सरकार हर कर्मचारी की निजी कारणों से हुई हत्या पर भी विशेष मुआवजा देगी ?
श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह अजीब विडम्बना है केजरीवाल सरकार ने केन्द्र सरकार के कर्मचारी को तो मुआवजा दे दिया परन्तु दिल्ली सरकार के अपने दलित कर्मचारी डाॅ. दिनेश सिंह को आज तक कोई मुआवजा नहीं दिया और दिल्ली में एक दुखद परिस्थिति में मरे डाॅ. पंकज नारंग के परिवार के घर जाकर मिलने का तो मुख्यमंत्री को आज तक समय भी नहीं मिला।
श्री उपाध्याय ने कहा कि अभी दो दिन पूर्व हमनें दिल्ली सरकार को उर्दू एकादमी का लगभग 1 करोड़ रूपये का फंड, उर्दू या उर्दू प्रेमियों के लिए साहित्य विकास की जगह रोजा इफ्तार पर खर्च करते हुये देखा। वहीं आज हमनें केजरीवाल सरकार को मुआवजे की राशि का दुरूपयोग अपने राजनीतिक विकास केे लिए करते हुये देखा।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पहले कार्यकाल में एक नई व्यवस्था बनाई थी कि सरकारी सेवा के दौरान विशेष परिस्थितियों में मृत्य होने वाले कर्मचारी के परिजनों को अन्य सब सरकारी सुविधाओं के अतिरिक्त 1 करोड़ रूपये का मुआवजा दिया जायेगा। इसी व्यवस्था के चलते एन.डी.एम.सी. अधिकारी श्री एम. एम. खान के परिजनों को आज मुआवजा दिया गया जिसका भारतीय जनता पार्टी पूर्ण समर्थन करती है पर वहीं दूसरी ओर आज एक पुलिस अधिकारी श्री तनजील अहमद के परिजनों को 1 करोड़ रूपये का मुआवजा दिया जाना समझ से परे है। श्री तनजील अहमद केन्द्र सरकार के कर्मचारी थे और उनकी हत्या किसी भी सेवा कार्य से जुड़ी नहीं थी बल्कि एक निजी सम्पत्ति विवाद में उत्तर प्रदेश में हुई।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि केन्द्र सरकार का कर्मचारी, उत्तर प्रदेश में उसकी हत्या और मुआवजा दिल्ली सरकार दे यह एक अजीब सी बात है जिसका अर्थ सिर्फ एक समझ आता है कि यह अल्पसंख्यक समुदाय को रिझाने की वोट बैंक पाॅलिटिक्स है। क्या हम समझें कि अब दिल्ली सरकार हर कर्मचारी की निजी कारणों से हुई हत्या पर भी विशेष मुआवजा देगी ?
श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह अजीब विडम्बना है केजरीवाल सरकार ने केन्द्र सरकार के कर्मचारी को तो मुआवजा दे दिया परन्तु दिल्ली सरकार के अपने दलित कर्मचारी डाॅ. दिनेश सिंह को आज तक कोई मुआवजा नहीं दिया और दिल्ली में एक दुखद परिस्थिति में मरे डाॅ. पंकज नारंग के परिवार के घर जाकर मिलने का तो मुख्यमंत्री को आज तक समय भी नहीं मिला।
Comments
Post a Comment