काले धन से जुड़े सतेन्द्र जैन ‘आप’ के पहले नेता नहीं

काले धन से जुड़े सतेन्द्र जैन ‘आप’ के पहले नेता नहीं पार्टी का 2015 का चुनाव अभियान भी हवाले डील के साये में था और विधायक करतार सिंह का 130 करोड़ का मामला भी अछूता नहीं: सतीश उपाध्याय

नई दिल्ली, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा है कि आज केजरीवाल सरकार के मंत्री सतेन्द्र जैन के जो व्यापारिक लेन-देन के समाचार सामने आये हैं वह कहीं न कहीं हवाला या काले पैसे के फेरबदल से जुड़े नजर आते हैं।  मंत्री सतेन्द्र जैन की इस स्वीकृति के बाद कि उनका विवादित कम्पनियों से लेन-देन हुआ है अब बहुत कुछ जांच के लिए नहीं बचता है।  मंत्री जी का यह कहना कि मैंने सारे निवेश चुनाव से पूर्व किये थे उनके आर्थिक अपराधों को कम नहीं कर देते है।

श्री उपाध्याय ने कहा है कि आज जिस तरह मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने मात्र आधे घंटे में अपने मंत्री सतेन्द्र जैन को क्लीन चिट देने का प्रयास किया है उसे देखकर ऐसा लगता है कि सतेन्द्र जैन एवं अरविन्द केजरीवाल के संबंध तो लगभग 2010 से बने हुये थे और उस वक्त अरविन्द केजरीवाल एक आयकर उपायुक्त भी थे तो शायद यह सब निवेश दोनों के सलाह मशविरे से होते रहे होंगे।

श्री उपाध्याय ने कहा है कि आज मिली इस जानकारी ने आम आदमी पार्टी के काले चहरे का एक और पन्ना जरूर खोला है पर यह हमें विस्मित नहीं करता क्योंकि यह पार्टी जब 2015 का चुनाव लड़ रही थी उस वक्त भी हवाला कारोबारियों से इसके संबंध सामने आये थे। अभी कुछ ही दिन पूर्व इसके एक विधायक के यहां आयकर छापे में 130 करोड़ रूपये की अघोषित सम्पत्ति पकड़ी गई और आज जिन लोगों के नाम विवादित कम्पनियों से जुड़कर सामने आ रहे हैं, उन्हीं के एक करीबी ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को अपनी कोठी रहने के लिए देने की पेशकश की थी।

श्री उपाध्याय ने कहा है कि एक पार्टी जो खुद को आम आदमी पार्टी की कहती थी, गरीब की पार्टी कहती थी, चंदे से चलने वाली पार्टी कहती थी आश्चर्य की बात है कि जब वह दिल्ली में चुनाव लड़ रही थी तो दिल्ली के एक धनाढ्य परिवार ने कनाट प्लेस में अपना बंगला इस पार्टी को दिया और अब जब पंजाब में लड़ने गई है तो वहां भी एक उद्योग घराने ने ही इसे बंगला दे दिया है।  दिल्ली की राजनीति में इससे पहले किसी भी उद्योग घराने ने अन्य किसी पार्टी को कार्यालय बनाने के लिए सम्पत्ति नहीं दी।  यह स्पष्ट है कि जब कोई आपको इस तरह आपको अपनी सैकड़ों करोड़ रूपये की सम्पत्ति का कब्जा देता है तो आप उसके हितों की रक्षा के लिए कुछ न कुछ जरूर करते हैं और जब मामला उद्योग घराने का हो तो लाभ-हानि का हिसाब भी बहुत बड़ा होता है।
 

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