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यह सवाल ही नहीं है ‘‘राजनीति हो रही है’’

  गुनाह की जीती जागती तस्वीर है लगभग 46 मिनट की विडियो फुटेज़! जिसके 10 सैकंड में तय हो जाती है 4 किसानों और एक पत्रकार की दर्दनाक मौत की दास्तान। किसान मौत से बेख़बर शांति मार्च करते हुए जा रहे थे... अचानक पीछे से तेज़ गति से आती हुई एक ठार जीप ने इन्हें रौंद दिया... इसके पीछे-पीछे आती फॉरच्यूनर भी इनके ऊपर से गुजर गई! कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले एक स्कॉर्पियों भी तड़पते हुए किसानों के ऊपर से गुज़र गई। एक वाहन चालक से गलती हो सकती है, लेकिन क्या तीनों वाहनों से एक जैसे अपराध को अंजाम दिए जाने को केवल हादसा कहकर झुठलाया जा सकता है? क्या इसे सोची समझी साज़िश नहीं कहा जाएगा? जिम्मेदार वाहन चालक तो जानवर को सामने देखकर गाड़ी रोक देते हैं, यह तो जीते जागते इंसान थे। यह भी कहा जा सकता है कि इस वारदात में सैकड़ों लोगों के सामने तीन गाड़ियों को ‘हथियार’ की तरह ‘हत्या’ करने के लिए इस्तेमाल किया गया। किसानों के बाद तीन बीजेपी के  कार्यकर्ताओं  की भी मौत हुई, क्रिया के बाद प्रतिक्रिया कहकर अपराध को कम करके आंकना ठीक नहीं होगा। कानून सबके लिए बराबर है, यहां यह उदाहरण सिद्ध करना सही होगा। मामला हाईप्रोफ