मोदी सरकार पिछले 2 वर्षों से भी ज्यादा समय में गरीब, किसान और मजदूर विरोधी सरकार रही है: अजय माकन

  • श्री अजय माकन ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि  आज देश के अंदर भारतीय मजदूर संघ के अलावा जितनी भी ट्रेड यूनियनस हैं, सभी ने हड़ताल की है और 12 सूत्रीय मांग पत्र उन्होंने रखा है। कांग्रेस पार्टी ट्रेड यूनियनस की हड़ताल और वर्कर्स के हितों की आवाज का समर्थन करती है।


      आज जब देश के अंदर इतनी बड़ी हड़ताल पूरे देश भर में हो रही है, सारी राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनस हड़ताल पर हैं, प्रधानमंत्री जी विदेश दौरे पर हैं और अगर ये 12 सूत्रीय मांग पत्र को देखें तो ये सारी पिछले ढाई वर्ष में खास तौर से जिस प्रकार से ये सरकार मजदूर विरोधी कदम उठाती रही है, बड़े-बड़े उद्योगपति मित्रों, क्रोनी कैप्टलिज्म को फायदा पहुंचाने के लिए ये करती रही है। उस तरफ ये एक तरीके का ये रास्ता दिखाती है।

लेबर लॉ में लेबर रिफॉर्म के नाम पर जो संशोधन करने की ये सरकार बात करती है, जैसे कि पहले 100 व्यक्तियों से कम के जितने भी उद्योग हैं उनके अंदर मजदूरों को हटाया जा सकता है, उस 100 की आऊटर लिमिट को 300 करने का प्रावधान लेबर रिफॉर्म के नाम पर किया जा रहा है। तो देश के अंदर ज्यादातर इंडस्ट्रीज इसकी परिधि में आ जाएंगे और हायर एंड फायर पॉलिसी बहुत आराम से पूरे देशभर में लागू की जा सकती है।

ट्रेड यूनियनस का हिंदुस्तान में काम कर पाना ही दुर्गम हो जाएगा, अभी 10 या 15 प्रतिशत अलग-अलग राज्यों के हिसाब से सदस्यता की जरुरत होती है किसी भी ट्रेड यूनियन को रिकोगनाईज होने के लिए। लेबर रिफॉर्म के नाम के ऊपर इसको 30 प्रतिशत तक लेकर जाया जा रहा है, जिससे कि और मुश्किल हो जाएगा किसी भी ट्रेड यूनियन को रिकोग्निशन लेने के लिए।

जब करप्शन का कोई मसला होता है तो करप्शन के ऊपर भी पहले जैसे भी 7 वर्षीय था, कोर्ट ने कहा था कि कभी भी करप्शन हुआ हो तो उसके खिलाफ ऐक्शन होना चाहिए, उसी तरह से अगर इन्डस्ट्रीयल डिस्प्यूट हुआ हो कभी तो उसके ऊपर भी कार्यवाही होनी चाहिए, लेकिन ये सरकार उसको 3 वर्ष के लिए कर रही है।

कॉन्ट्रेक्ट लेबर का हमने देखा कि किस प्रकार से, यहाँ तक कि हमारे बहुत से पत्रकार भी कॉन्ट्रेक्ट पर हैं, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में से हर 2 में से 1 शोर्ट-टर्म कॉन्ट्रेक्ट पर है। यहाँ तक की गवर्मेंट में भी 30 प्रतिशत वर्क फोर्स कॉन्ट्रेक्ट पर हैं, इस वक्त। नेशनल कॉन्ट्रेक्ट एक्ट 1970 के तहत अगर 20 से ज्यादा लोग कॉन्ट्रेक्ट पर हों तो उनको प्रोटेक्शन दिया जाता है। इसके बावजूद पूरे देश में 3 करोड़ 60 लाख लोग कॉन्ट्रेक्ट लेबर हैं, उसमें से मात्र 60 लाख लोगों को कॉन्ट्रेक्ट एक्ट 1970 के तहत प्रोटेक्शन मिलता है।

रिफॉर्म के नाम के पर इस 20 की संख्या को बढ़ाकर 50 करने का प्रावधान लेबर रिफॉर्मस के अंदर किया जा रहा है, जिसमें कॉन्ट्रेक्ट एक्ट के तहत अभी 3.6 में से जब 60 लाख हैं तो इस 60 लाख में से मुश्किल से 10 लाख लोग रह जाएंगे, कॉन्ट्रेक्ट एक्ट की परिधि में, जिनको प्रोटेक्शन मिल पाएगा।

इसी तरीके से अप्रेन्टिसशिप में 14 साल से उपर के बच्चे को अप्रेन्टिसशिप में रखा जा सकता है, पहले इसकी अवधि 1 साल की थी, अब इसको अनलिमिटिड़ टाईम कर दिया गया है, यानि नौकरी की जगह अप्रेन्टिसशिप में रखकर जितने मर्जी साल तक कम तनख्वाह के अंदर काम करवाया जा सकता है, 14 साल के बच्चे से काम करवाया जा सके, यह लेबर रिफोर्म के नाम पर किया जा रहा है। तो इन सब चीजों को इक्कट्ठा करके, साथ में मिनिमम वैजिस की मांग 18000 की गई है, ये 12 सूत्रीय मांग के अंदर और केंद्रीय सरकार ने इसके मुकाबले 9 हजार 100 रुपया सिर्फ उन्होंने माना है।

आज इन सब बातों को लेकर PSUs  रेलवे, डिफेंस, सभी इम्पलोईज के अंदर बड़ा रोष है, और केन्द्रीय कर्मचारियों के अंदर भी बड़ा रोष है, वो आज की इस हड़ताल से साबित होता है और कांग्रेस पार्टी हमारे देश के कामगारों के साथ में, मजदूरों के साथ में खड़ी है औऱ उनकी मांगो का हम पूरी तरह से समर्थन करते हैं।

एक प्रश्न पर कि रिलायंस एड में प्रधानमंत्री जी की फोटो है, आप क्या कहेंगे, श्री माकन ने कहा कि  प्रधानमंत्री जी की फोटो किसी भी एड में इस्तेमाल करने के लिए नार्मस होते हैं और उनके तहत जहाँ तक की हम लोगों को जानकारी है, मिनिस्ट्री में भी हम लोगों को एड निकालना पड़ता था उसमें प्रधानमंत्री जी की फोटो देनी होती थी तो उसमें भी प्रधानमंत्री जी के कार्यालय से इजाजत लेकर फोटो एड के लिए दे सकते थे, नहीं तो नहीं दे सकते हैं, तो उसमें भी प्रश्न ये उठता है कि क्या रिलायंस ने इसके बारे में प्रधानमंत्री से य़ा उनके कार्यालय से अनुमति ली है, और अगर रिलायंस को अनुमति दी है तो कल को केडबरी या दूसरे प्रोडक्ट वाले या दूसरे लोगों को भी कोई भी अगर अनुमति लेना चाहे तो उसको भी अनुमति मिलेगी एड के लिए उनकी फोटो देने के लिए औऱ सबसे बड़ी बात ये है कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इसके लिए ध्यान रखना चाहिए कि प्रधानमंत्री जी पूरे देश के हैं, अकेले नरेन्द्र मोदी जी व्यक्ति के तौर पर नहीं हैं, देश के प्रधानमंत्री जी की फोटो का इस्तेमाल बहुत सोच समझ कर इस्तेमाल के लिए दी जानी चाहिए, बिना इजाजत के इस्तेमाल नहीं की जानी चाहिए। अगर बगैर इजाजत के इस्तेमाल किया है तो कानूनन कार्यवाही होनी चाहिए, प्रधानमंत्री जी को और प्रधानमंत्री कार्यलय को कार्यवाही करनी चाहिए। मिनिस्टर होने के नाते मुझे याद है कि अगर मुझे स्पोर्टस मिनिस्ट्री की एड के लिए प्रधानमंत्री जी की फोटो लगानी पडती थी तो हमें उसके लिए अप्रूवल लेना पड़ता था। तो अगर बिना उनकी इजाजत से ऐसा हुआ है तो इसका संज्ञान लेकर उचित  कार्यवाही करनी चाहिए।

एक अन्य प्रश्न पर कि आम आदमी पार्टी के आशुतोष जी ने संदीप कुमार के बचाव में ब्लॉग लिखा है, क्या कहेंगे, श्री माकन ने कहा है कि हम लोगों ने देखा कि परसों शाम को किस तरीके से केजरीवाल जी ने खुद ही ट्वीट करके अपने मंत्री को मंत्री पद से हटाय़ा ट्वीट के माध्यम से। सीडी हम और आप लोगों ने नहीं देखी, लेकिन केजरीवाल जी ने देखी होगी, उसकी जांच की होगी औऱ केजरीवाल जी ने कहा कि मैंने हटाया और क्रेडिट लिया कि आधे घंटे के अदर अदंर कार्यवाही की औऱ मंत्री को हटा दिया गया। आशुतोष जी चुप रहे कुछ नहीं बोले, परसों शाम तक, कल शाम तक, कल सुबह वही मंत्री जब कहते हैं कि उनके खिलाफ षडयंत्र हो रहा है क्योंकि वो दलित हैं तो उसके बाद में आशुतोष जी वापस जाकर फिर ब्लॉग लिखते हैं और उनको बचाने की कोशिश करते हैं। हम लोगों ने मांग भी नहीं की पहले ही केजरीवाल जी ने सीडी को देख लिया औऱ देखने के बाद उनको हटा दिया और कहा कि गंदी मछली है जो तालाब को गंदा कर रही है। उसके बाद में जब उन्होंने ये कहा कि मैं दलित हूँ इसलिए मेरे ऊपर कार्यवाही की जा रही है तो आशुतोष जी ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए, केजरीवाल जी को इससे बचाने के लिए, संदीप को बचाने के लिए महात्मा गाँधी जी से नेहरु जी से तुलना करनी शुरु कर दी। ये पूरा का पूरा वाक्या ऐसा है जिसके अंदर जवाब आप पार्टी और केजरीवाल जी को देना चाहिए। जिससे वो बच रहे हैं। हमने देखा कि ट्वीट पर मोनोलोग चल रहा है। सवालों का जवाब देने की जगह केजरीवाल राष्ट्र के नाम संदेश दे रहे हैं, आशुतोष ब्लॉग लिखकर जवाब दे रहे हैं तो इनकी अपनी पार्टी के अंदर की सोच हैं और ये पहले मंत्री नहीं जो इस तरह से हटाए गए हैं, ये 6 में से तीसरे मंत्री हैं, 6 में से 50 प्रतिशत मंत्री इनके डेढ साल के अंदर हटे हैं। कोई करप्शन के आधार पर हटा है, एक नकली डिग्री के आधार पर हटा है, एक अश्लील सीडी के आधार पर हटा है, तो जवाब इनको देना चाहिए और ये जनता से बच रहे हैं। हम लोग ये सोचते हैं कि ये मैटर इस तरह का नहीं है कि इस पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए। लेकिन संदीप कुमार को बचाने के लिए अगर महात्मा गाँधी जी और नेहरु जी के साथ तुलना की जाए तो मैं नहीं समझता कि इस पर कोई टिप्पणी की जानी चाहिए या यह टिप्पणी करने के काबिल है।
एक अन्य प्रश्न पर कि दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया है कि हाईकोर्ट ये मानता है कि LG ही दिल्ली की सरकार चलाते हैं, तो हमारा क्या मतलब है, श्री माकन ने कहा कि हाईकोर्ट ने जो दिल्ली सरकार और LG की पॉवर के बारे में कहा है हाईकोर्ट ने सिर्फ यही कहा है कि लैफ्टिनेंट गवर्नर दिल्ली के एडमिनिस्ट्रेटर हैं, जैसे 1993 में पहली दिल्ली की सरकार बनी थी, तबसे लेकर अब तक के 2016 तक जैसे LG एडमिनिस्ट्रेटर दिल्ली के अंदर 23 साल से रहे हैं वैसे ही अब भी हैं। इसका मतलब है जैसे दिल्ली के अंदर शीला दिक्षीत जी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान, मदन लाल खुराना, सुषमा स्वराज जी, साहब सिंह वर्मा के कार्यकाल के दौरान दिल्ली के अंदर जो रुल्स और नार्मस थे वही अब भी हैं। केजरीवाल जी स्पेशल नार्मस चाहते हैं अपने लिए। वही हाईकोर्ट ने कहा है कि जो नार्मस पहले चल रहे थे, वही अब चलेंगे, उसके अलावा दिल्ली हाईकोर्ट ने कुछ नहीं कहा।  

एक अन्य प्रश्न पर कि पंजाब में आप पार्टी के के स्टिंग के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री माकन ने कहा कि आज के अखबारों में वहाँ पर और कल छोटेपुर और किंगरा ने, उन्होंने वो स्टिंग दिया है जिसमें रिकोर्डिंग दिखाई है जिसमें 5 लाख रुपया मांगा जा रहा है, हर व्यक्ति से इनके नेशनल लीडर्स के साथ में meeting कराने के लिए। तो इस प्रकार की बातें पहले प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव भी करते रहे हैं कि टिकट दिल्ली के अंदर पैसे लेकर दिए जाते हैं और मिनिस्टर भी बनाने के लिए consideration दूसरे थे और दिल्ली के अंदर भी जिनको टिकट दी वो एक-एक करके बेनकाब हो गए, अलग-अलग मुद्दों पर मंत्रियों को हटाया गया और पंजाब में तो अभी चुनाव भी नहीं हुए हैं और इस तरह की बातें सामने आ रही हैं। तो आम आदमी पार्टी जिन मुद्दों को लेकर, जिस आईडियोलिजी को लेकर बना था, वो उनके लिए मुख्य नहीं रह गए हैं। इंटरनल लोकपाल लेकर आए थे, उसको बंद कर दिया, जो लोग उनके उपर एलिगेशन लगाते थे उनको बाहर निकाल दिया जाता है, स्टिंग ऑपरेशन होते हैं, इनके अपनी पार्टी के लोग अपने ही मंत्रियों के खिलाफ कराते हैं, तो ये पूरी की पूरी पार्टी किस तरह से चल रही है, ये धीरे-धीरे लोगों के सामने आता जा रहा है।

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