उदित राज ने अपने ट्वीट में बीफ खाने या न खाने का जिक्र नहीं किया
डॉ. उदित राज, सांसद एवं राष्ट्रीय चेयरमैन, अनुसूचित जाति/जन जाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, ने अपनी निजी राय व्यक्त करते हुए उसेन बोल्ट पर ट्वीट किया कि गरीबी की पृष्ठभूमि से आने के बावजूद उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए रियो ओलंपिक में 9 गोल्ड मेडल जीते। मीडिया में आयी खबरों के अनुसार बोल्ट गरीब परिवार से थे और कैरियर के शुरूआती दौर में प्रोटीन की आवश्यक खुराक उन्हें नहीं मिल पा रही थी तो उनके ट्रेनर ने उन्हें दिन में दो बार बीफ खाने की सलाह दी थी, जिससे कि प्रोटीन आवश्यक मात्रा में उन्हें मिल सके।
डॉ. उदित राज ने अपने ट्वीट में बीफ खाने या न खाने का जिक्र नहीं किया बल्कि बोल्ट के ही बयान को दोहराया था, जिसको कुछ मीडिया के मित्रों द्वारा तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है। डॉ. उदित राज को भलीभांति पता है कि खान-पान की आदत किसी पर थोपी नहीं जा सकती, ऐसा न तो हमारे सामाजिक संस्कारों के अनुसार ही उचित है और न ही संविधान के अनुरूप होगा।
डॉ0 उदित राज का ट्वीट सिर्फ भारतीय धावकों को प्रोत्साहित करने के लिए था कि गरीबी के बावजूद भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। वे सिर्फ संदेश देना चाहते थे कि बहाने बनाकर हम नहीं बच सकते। यह सत्य है कि कुछ मामलों में हमारी सरकारें धावकों को अपेक्षित सुविधाएं मुहैया कराने में असमर्थ हैं लेेकिन यह भी सत्य है कि हजारों भर्तियां भारत सरकार, राज्य सरकारों एवं सरकारी उपक्रमों द्वारा खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए की जाती हैं और उन्हें अच्छा-खासा वेतन, सुविधाएं एवं स्वतंत्रता दी जाती है कि वे अपनी प्रतिभा को निखार सकें। खेलों और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए खेल मंत्रालय द्वारा यथासंभव कोशिश की जाती रहती है, इसलिए रियो ओलंपिक में कम पदक प्राप्त करने का ठीकरा सिर्फ सरकार पर फोड़ना बहुत उचित नहीं होगा। डॉ. उदित राज यह कहना चाहते थे कि बजाय परिस्थितियों को दोष देने व बहानेबाजी के हमारे अंदर करो या मरों का जज़्बा होना चाहिए।
डॉ. उदित राज को यह जानकर बड़ा धक्का लगा कि उनके विचारांे को गलत समझा गया और उपरोक्त प्रेस विज्ञप्ति उनके विचारों की पुष्टि करने और इस अनावश्यक बहस को समाप्त करने के लिए जारी किया जा रहा है।
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