पूर्व सैनिक मंच ने मोदी सरकार द्वारा वन रैंक-वन पेंशन दिये जाने पर किया धन्यवाद
सेना में जो लोग भर्ती होते हैं वह देश की सेवा के भाव से भर्ती होते हैं, मिलने वाली सुविधायें कभी भी प्रेरक नहीं होती, सैन्य सेवाओं में मिलने वाला सम्मान निश्चय ही प्रोत्साहन देता है
नई दिल्ली, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय एवं महामंत्री श्री आशीष सूद आज पूर्व सैनिक मंच द्वारा नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक सभा में पूर्व सैन्य अधिकारियों एवं सैनिकों के साथ सम्मिलित हुये। मंच के प्रदेश संयोजक जय प्रकाश शर्मा ने बैठक की अध्यक्षता की। वन रैंक-वन पेंशन की पूर्व सैनिकों की चार दशक से लंबित मांग को स्वीकारने और सैन्य अधिकारियों एवं कर्मियों को पूर्ण सम्मान दिये जाने के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सरकार के निर्णय पर धन्यवाद करने के लिये पूर्व सैनिक मंच द्वारा आयोजित बैठक में मंच के राष्ट्रीय संयोजक ब्रिगेडियर बी.डी. मिश्रा, सह-संयोजक प्रबोध कुमार, मेजर जनरल श्रीवास्तव, कर्नल रघुवीर, ब्रिगेडियर दिलबाग सिंह एवं ग्रुप कैप्टन मलिक सहित बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक सम्मिलित हुये। दिल्ली छावनी परिषद के उपाध्यक्ष श्री जगत प्रकाश लोहिया एवं अन्य पार्षद भी उपस्थित थे।
बैठक को संबोधित करते हुये श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि वन रैंक-वन पेंशन भारत के सैनिकों की एक तर्क संगत मांग थी जिसे स्वीकारने में तत्कालीन सरकारों ने दिखावटी कार्य किया। जब भी मांग तेज होती तो अंतरिम राहत के छलावे आगे बढ़ा दिये जाते पर पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इस संवेदनशील मुद्दे का एक सर्वमान्य हल निकालने का प्रयास किया और उसी के परिणाम स्वरूप अब भारत में वन रैंक-वन पेंशन सिद्धांतात्मक रूप से लागू की गई है। इसे लागू करने में जहां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पहल महत्वपूर्ण रही वहीं रक्षा मंत्री श्री मनोहर परिक्कर एवं वित्त मंत्री श्री अरूण जेटली ने भी दृढ़ता से कार्य कर देश के सैनिकों को यथोचित सम्मान दिलाने का प्रयास किया।
श्री उपाध्याय ने कहा कि जहां एक ओर मोदी सरकार सैनिकों के सम्मान के लिये कृतसंकल्प है वहीं कुछ विपक्षी दल एवं मीडिया के एक वर्ग विशेष का कश्मीर से लेकर दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के परिसर तक में संवेदनशील राज्यों में सैनिक कार्यवाहियों पर विवाद उत्पन्न करना जहां एक ओर सैनिकों को दुख पहुंचाता है वहीं इन नेताओं एवं पत्रकारों की मंशा पर भी सवाल उठाता है।
प्रदेश भाजपा महामंत्री श्री आशीष सूद ने कहा कि मेरी राजनीतिक यात्रा 1989 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष चुने जाने के साथ प्रारंभ हुई, यह वह दौर था जब देश में चारों ओर बोफोर्स तोप घोटाले गूंज थी। उस वक्त भी सैनिकों के मन में तत्कालीन सरकार के प्रति जहां सैन्य समान खरीद में घोटालों को लेकर रोष था वहीं उन्हें यह भी दुख था कि राजनेता सैन्य मामलों में भी घोटाले कर रहे हैं पर उन्हें उनकी पेंशन देने में वित्तीय संकट की दुहाई देते हैं। उन्होंने कहा कि आज हमें गर्व है कि प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने सैनिकों को उनका सम्मान देने का वादा पूर्ण किया है।
मंच के राष्ट्रीय संयोजक ब्रिगेडियर बी.डी. मिश्रा ने कहा कि कोई भी सरकार सैनिकों को उनकी न्यायोचित पेंशन देकर उन पर कोई एहसान नहीं करती पर जिस तरह विगत लगभग 4 दशक से इस मांग को टाला या दबाया गया वह काफी कष्टकारी था। उन्होंने कहा कि सेना में जो लोग भर्ती होते हैं वह देश की सेवा के भाव से भर्ती होते हैं, मिलने वाली सुविधायें कभी भी प्रेरक नहीं होती, सैन्य सेवाओं में मिलने वाला सम्मान निश्चय ही प्रोत्साहन देता है। पिछले दो दशक में सैनिकों को यह सम्मान एवं प्रोत्साहन या तो कारगिल युद्ध के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय अनुभव हुआ या आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के समय अनुभव हो रहा है।
बिग्रेडियर मिश्रा ने कहा कि जहां प्रधानमंत्री मोदी ने वन रैंक-वन पेंशन देकर पूर्व सैनिकों को संतोष दिया है वहीं सैनिकों के दिल को उनके शासन में सीमा पार से होने वाली घुसपैठ पर कार्यवाही की खुली छूट हर्ष देती है। उन्होंने कहा कि चीन की एक पुरानी नीति रही है कि उसके शासक पड़ोसी देश से मिठास दिखाते हुये यात्रा पर जाते हैं पर पीछे से उनकी सेना उस पड़ोसी देश के बाॅर्डर पर सैन्य कार्यवाही करती है। इसी तरह का एक अनुभव चीन ने उस दौरान भारत को देने का प्रयास किया जब राष्ट्रपति जी जिनपिंग 2014 में भारत यात्रा पर आये तब प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति जिनपिंग का आतिथ्य तो जारी रखा पर 1962 के बाद पहली बार भारत ने रातों रात चीन बाॅर्डर पर एक ब्रिगेड सेना भेजी जिसके चलते चीन को अपने कदम बाॅर्डर से पीछे खीचने पड़े। भारतीय नागरिकों और सैनिकों को इस वर्ष 15 अगस्त को उस वर्ष अत्यन्त हर्ष हुआ जब प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के कश्मीर राग का जवाब देते हुये बलुचिस्तान के मुद्दे को उठा कर अंतर्राष्ट्रीय चर्चा में पहुंचा कर पाकिस्तान को शमिन्दा किया।
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