एन.डी.पी.एल. ने ट्यूबवेलों में बिजली की 10 किलोवाट से उपर की खपत पर से सब्सिडी हटाकर व्यवसायिक श्रेणी में डाल दिया है

Ø    दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने नई दिल्ली पावर लिमिटेड ने केजरीवाल सरकार के कहने पर किसानों पर अतिरिक्त बोझ डालते हुए सिचाई के लिए इस्तेमाल किया जाने टयूबवेल्स की बिजली की दरों को व्यवसायिक दरों की श्रेणी में डालकर एकतरफा बिजली के दामों को बढ़ाने को लेकर प्रेसवाता की।


नई दिल्ली, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की मुख्य प्रवक्ता श्रीमती शर्मिष्ठा मुखर्जी ने नार्थ दिल्ली पावर लिमिटेड तथा दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के द्वारा ट्यूबवैल्स के इस्तेमाल पर व्यवसायिक दरों पर एक तरफा बिजली की दरों को बढाए जाने व किसानों द्वारा सिंचाई के लिए ट्यूबवैल्स की लोड केपेसिटी को 20 किलोवाट से कम करके 10 किलोवाट किए जाने की भत्र्सना की। श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि बिजली की व्यवसायिक दरों की सीमा 20 किलोवाट से 10 किलोवाट किए जाने के कारण किसानों पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है क्योंकि अब किसानों द्वारा सिंचाई के लिए ट्यूबवैल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली बिजली के 10 किलोवाट से उपर व्यवसायिक दरों पर बिल लिये जायेंगे।

दिल्ली प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि 10 किलोवाट से उपर सिंचाई के लिए ट्यूबवेलों के द्वारा इस्तेमाल की गई बिजली पर व्यवसायिक दरों पर बिल के कारण एनडीपीएल ने गरीब किसानों की कमर तोड़ दी है। किसानों को अभी तक दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा पिछले साल उनकी ओलावृष्टि के कारण बर्बाद हुई फसल के 50-50हजार के मुआवजे भी नही मिले है। यह आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार के झूठे वायदों की भी पोल खोलता है। आज के इस संवाददाता सम्मेलन में बवाना के पूर्व विधायक सुरेन्द्र कुमार वरिष्ठ कांग्रेसी नेता श्री चतर सिंह भी मौजूद थे। 

श्रीमती मुखर्जी ने बताया कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय माकन के नेतृत्व में 16 अगस्त को 12 बजे ट्यूबवैलों पर इस्तेमाल होने वाली बिजली की दरो को व्यवसायिक श्रेणी डालने के खिलाफ मुख्यमंत्री निवास पर प्रदर्शन करेंगी।

श्रीमती शर्मिष्ठा मुखर्जी ने एनडीपीएल के 20 जुलाई 2016 के नोटिफिकेशन के पेरा 3 का हवाला देते हुए कहा जिसमें कृषि की श्रेणी की दरों को नोन डोमेस्टिक लाईट में बदलने की बात कही गई है। उन्होंने उक्त नोटिफिकेशन के पेरा 3 का हवाला देकर कहा कि अब किसान कृषि रेट केटेगरी के लिए योग्य नही माना जायेगा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की एक तरफा बढ़ोतरी बिना किसानों की जानकारी के किए जाना बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है जिसके कारण किसानों पर अतिरक्त भार पड़ेगा।

श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी तब उन्होंने किसानों की समस्याओं को संज्ञान में लेते हुए 15 अक्टूबर 2002को एक आदेश निकाला था जिसमें कृषि उपभोक्ताओं की एम.डी.आई लिमिट 20 किलोवाट कर दी थी। श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि एनडीपीएल द्वारा ट्यूबवेल के इस्तेमाल पर व्यवसायिक दरों पर बढाऐ जाने वाले बिलो का हवालो देते हुए कहा कि श्री मोती राम हाउस नः1600 गांव पाना मामूदपुर सिटी नरेला दिल्ली जिसका बिजली लोड 8 किलोवाट था उसका बिजली का बिजली का बिल 25 जुलाई 2016 का850 रुपये आया था। अब उसको हजारों रुपये बिजली के बिल के रुप में देने पड़ेगे क्योंकि उसकी टयूब वेल की लोड केपेसिटी को 13किलोवाट बड़ा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार अन्य किसानों की लोड केपेसिटी 6-8 किलोवाट से बढ़ाकर 11-14 किलोवाट तक कर दी है। ताकि उनको व्यवसायिक श्रेणी में डाला जा सके।

श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि दूसरे किसान श्री अमीचन्द निवासी खसरा न 25/3, गाव पल्ला नेरला दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि इस किसान की लोड केपेसिटी को 12 किलोवाट कर दिया गया है इसके कारण उसको 40,565.45 रुपये का बिजली का बिल 16 अगस्त2016 तक भरना है। जबकि मार्च 2016 में उसका बिजली का बिल मात्र 1956.14 रुपये आया था क्योंकि उस समय उसकी लोड केपेसिटी 6किलोवाट थी उन्होंने कहा कि इस प्रकार किसानों के द्वारा सिंचाई के लिए ट्यूबवेलों के इस्तेमाल पर बढाकर पैसे लिये जाना दिन के उजाले में डकैती है।

श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि केजरीवाल सरकार जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले बड़े-बडे वायदे किए थे जिसमें मुफत पानी व सस्ते रेट पर बिजली देने के वायदे भी थे वे खोखले नजर आ रहे है क्योंकि पानी का मिलना दूभर हो रहा है और घंटो-2 बिजली की कटौती लोगों के जीवन का अंग बन गया है।

श्रीमती मुखर्जी ने कहा कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने पिछले वर्ष मार्च में जैसे ओलावृष्टि के कारण किसानो की फसल बर्बाद होने की घोषणा हुई थी उसके तुरंत बाद उन्होंने किसानों के पास खेतो में जाकर उनके नुकसान का जायजा लिया था जबकि केजरीवाल सरकार किसानों के पास जब गए थे जब उनकी फसल कट चुकी थी। इसके कारण किसानों की बर्बाद हुई फसल का सरकार अनुमान ठीक से नही लगा पाई थी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल द्वारा 50-50 हजार के जो मुआवजे की घोषणा की गई थी वह अभी तक कई किसानों को नही मिला है।

श्रीमती शर्मिष्ठा ने कहा कि आप की दिल्ली सरकार और केन्द्र की भाजपा सरकार दोनो किसान विरोधी है क्योंकि दोनो ने अपनी नाकारात्मक योजनाओं के द्वारा लोगों के विश्वास को तोड़ा है। उन्होंने पंजाब के लोगों को आगाह किया कि वे केजरीवाल के बड़े बडे झूठे वायदों के चक्कर में न आए। क्योंकि केजरीवाल पंजाब में राजनीतिक लाभ के लिए खुद का प्रचार प्रसार करके दिल्ली के करदाताओं के पैसे का गलत इस्तेमाल कर रहे है।

बवाना के पूर्व विधायक सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि किसानों द्वारा टयूबवेल के इस्तेमाल को बिजली की दरों को बढाकर व्यवसायिक श्रेणी में डालकर किसानों पर अतिरिक्त बोझ लाद दिया गया है। जबकि किसानों को अभी तक केजरीवाल सरकार द्वारा पिछले साल उनकी ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर घोषित 50-50 हजार के मुआवजे भी अभी तक नही मिले।

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