CBI को राजनीतिक और सरकारी नियंत्रण से आज़ाद किया जाए: AAP


हाल ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल ने कोर्ट को कोयला घोटाले से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सौंपी है जिसमें सीबीआई के पूर्व चीफ़ रंजीत सिन्हा की भूमिका सवालों के घेरे में बताई गई है। आम आदमी पार्टी का उस वक्त भी और आज भी यही कहना है कि केंद्र में बैठी सरकार हमेशा सीबीआई का दुरुपयोग करती आई है और आज भी इस जांच एजेंसी का दुरुपयोग ही हो रहा है। आम आदमी पार्टी शुरु से यह मांग रखती आई है कि सीबीआई जैसी जांच एजेंसी को राजनीतिक नियंत्रण से बाहर किया जाए और उसे संवैधानिक दर्ज़ा दिया जाए ताकि भ्रष्टाचार और दूसरे मुकदमों की जांच निष्पक्ष तरीके से हो सके। पूर्व की कांग्रेस पार्टी की यूपीए सरकार ने भी इस जांच एजेंसी को अपने तरीके से दुरपयोग करते हुए चलाया और अब भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार भी सीबीआई को अपने तरीके से इसका दुरुपयोग करते हुए चला रही है और जैसा चाहे और जिसके ख़िलाफ़ चाहे उसका इस्तेमाल कर रही है जो लोकतंत्र और देश की कानून व्यवस्था के लिए भी एक ख़तरा है। 

आम आदमी पार्टी की मांग है कि सीबीआई के पूर्व चीफ़ रंजीत सिन्हा और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह के सम्बधों की भी जांच होनी चाहिए क्योंकि साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद सीबीआई ने अमित शाह के ख़िलाफ़ चल रहे मुकदमों को ना केवल ढीला कर दिया था बल्कि एक तरह से अमित शाह को सभी आरोपों से मुक्त कराने का इंतजाम भी कर दिया था। देश की न्यायपालिका में हमारी अटूट आस्था है और हमें उम्मीद है माननीय सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और सीबीआई नामक उसके इस तोते के बीच की साज़िशों को देश के समक्ष जरुर रखेंगे।    

आपको बता दें कि कोयला घाेटाले में कथित हेरफेर के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल की जांच में पाया गया है कि कई आरोपियों ने सिन्‍हा से मुलाकात की थी और यह भी पता चला कि सिन्‍हा के सीबीआई चीफ़ रहते कोयला घोटाले की जांच से भी छेड़छाड़ की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के पैनल का मानना है कि आरोपियों से सिन्‍हा की मुलाकात का जांच पर असर पड़ा है।

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