केजरीवाल सरकार के कुशासन और काले कारनामों पर दिल्ली के नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने पंजाब की जनता के नाम जारी किया 33 सूत्रीय खुला-पत्र

नयी दिल्ली, 01 जुलाई। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने पंजाब की जनता के नाम 33 सूत्रीय खुला पत्र जारी किया है। इसमें केजरीवाल सरकार के गत 16 महीने के शासनकाल में किये गये प्रमुख घोटालों, उनके विधायकों द्वारा जबरिया हफ्ता वसूली, मंत्रियों के भ्रष्टाचार, संविधान और कानून की अवहेलना, सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय, उप राज्यपाल जैसी संवैधानिक संस्थाओं के आदेशों का पालन न करना, जन लोकपाल बिल न लाना, दिल्ली में लोकायुक्त की नियुक्ति न करना, 21 संसदीय सचिवों की गैर कानूनी नियुक्ति कर उन पर करोड़ों रूपये फंूकना आदि महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। यह पत्र हिन्दी और पंजाबी भाषा में जारी किया गया है। इस खुले पत्र को पंजाब के सभी घरों तक पहंुचाया जाएगा ताकि पंजाब की जनता आम आदमी पार्टी के सच को जान सके और इनके लुभावने वायदों में न फंसे। श्री गुप्ता ने बताया कि पंजाब प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के सभी सदस्यों तक यह पत्र पहंुचाया गया है ताकि वे सम्पूर्ण पंजाब के हर घर को केजरीवाल सरकार के कुशासन, घोटालों और असंवैधानिक कार्यों की जानकारी इस पत्र द्वारा पहंुचा सकें। पंजाबी भाषा में भी लिखा गया यह पत्र पंजाब के करोड़ों लोगों तक वितरित किया जाएगा, जो पंजाबी भाषा ही जानते हैं।

श्री गुप्ता ने पंजाब की जनता को सावधान करते हुए पत्र में लिखा है कि केजरीवाल सरकार में दिल्लीवालों के साथ जबरदस्त छल किया है। अब वे पंजाब की जनता को ठगने के लिए अनेक लुभावने वायदे कर रहे हैं, जो वे कभी भी पूरा नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने दिल्ली की जनता से 70 वायदे किये थे, इनमें से एक भी वायदा पूरा नहीं किया गया है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली की दो करोड़ जनता के साथ धोखा किया है। राजधानी के सभी विकास कार्य और प्रशासनिक कार्य ठप हो गये हैं। केजरीवाल सरकार दिल्ली के तीनों नगर निगमों को जनता के हितों के लिए कार्य नहीं करने देने चाहती है इसीलिए वह नगर निगमों के संवैधानिक देयों का भुगतान नहीं कर रही है। इससे नगर निगमों के कर्मचारियों को नियमित वेतन नहीं मिल पा रहा है। सफाई कर्मचारी वेतन समय पर न मिलने के कारण चार बार हड़ताल पर जा चुके हैं। दिल्ली के चैथे वित्त आयोग की रिपोर्ट लागू करना तो दूर रहा दिल्ली सरकार ने तृतीय दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप 2971 करोड़ रूपया निगमों को जारी नहीं किया है।

खुला पत्र में कहा गया है कि सरकार के दो मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किये जा चुके हैं। भ्रष्टाचार तथा अक्षमता के आरोप में अनेक मंत्रियों के विभाग बदले गये हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष वन्दना कुमारी को हटाकर राखी बिड़लान को उपाध्यक्ष बनाया गया। एप आधारित बसों के संचालन घोटाले में शामिल मंत्री गोपाल राय से परिवहन विभाग छीनकर मंत्री सत्येन्द्र जैन को दिया गया है। इस सरकार ने पानी बिक्री मशीन घोटाला, पानी मीटर घोटाला, जल टैंकर घोटाला, दाल घोटाला, प्याज घोटाला, फ्लाईओवर निर्माण घोटाला, सड़क निर्माण घोटाला, मंडी घोटाला, आॅटो परमिट घोटाला, सीएनजी किट घोटाला, सम-विषम घोटाला, सम-विषम योजना के दौरान पर्यावरण स्टीकर घोटाला, सस्ता राशन घोटाला, राशन की चीनी घोटाला, स्वास्थ्य उपकरण खरीद घोटाला, घटिया दवा खरीद घोटाला सहित अनेक घोटाले किये हैं जिससे जनता त्राहि-त्राहि कर रही है।

मजदूर विरोधी केजरीवाल सरकार निर्माण मजदूरांे के कल्याण फंड के 1,200 करोड़ रूपये गैर कानूनी ढंग से अन्य कार्यों की ओर मोड़कर लाखों निर्माण मजदूरों का हक मार रही है। दिल्ली जल बोर्ड में हुए 400 करोड़ रूपये के पानी टैंकर घोटाले को दबाने के आरोप में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार करने की एफआईआर दर्ज हुई है। एप आधारित प्रीमियम बस सर्विस में भारी भ्रष्टाचार के कारण उप राज्यपाल ने इन बसों पर रोक लगाकर भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को जांच के आदेश दिये हैं। एसीबी की जांच जारी है। केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को 20,00,000 मकान बनाकर देने की राह में किसान विरोधी दिल्ली सरकार ने रोड़े अटकाए। लैण्ड पूलिंग पाॅलिसी से किसानों को करोड़ों रूपये का फायदा होता लेकिन दिल्ली सरकार ने इस मामले में जानबूझकर अडं़गा लगाया। जनता की इच्छा के विपरीत अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान बंटाने के लिए ‘आप‘ सरकार ने दिल्ली में सम-विषम योजना लागू की। उसे सफल बताने के लिए करोड़ों रूपये का विज्ञापन देकर जनता को गुमराह किया। अब यह योजना सरकार ने स्वयं समाप्त कर दी है। 22 अप्रैल 2016 को फ्री कार डे घोषित किया गया था लेकिन सम-विषम योजना विफल होने के कारण फ्री कार डे रद्द कर दिया गया।

सरकार ने संवैधानिक प्रक्रियाओं को पूरे किये बगैर केंद्र सरकार के पास 14 बिल पास होने के लिए भेजे थे। प्रक्रियाओं का पालन न किये जाने के कारण केंद्र सरकार ने विधायकों को की अयोग्यता निवारण बिल को दिल्ली सरकार के पास वापस भेज दिया है क्योंकि राष्ट्रपति महोदय ने इस बिल पर हस्ताक्षर न करके उसे रद्द कर दिया है। 13 बिल अभी भी लटके हुए हैं। 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति का अधिकार न होने पर भी उनकी नियुक्ति करके उन पर करोड़ों रूपया फंूकने और विधायकों को कानून विरूद्ध लाभ का पद देने का मामला चुनाव आयोग, भारत के पास लंबित है। 14 जुलाई को इन 21 विधायकों की सदस्यता चुनाव आयोग रद्द करने की सिफारिश राष्ट्रपति महोदय से कर सकता है। दिल्ली के विधायक उद्यमियों और व्यापारियों से अनेक प्रकार से जबरिया वसूली कर रहे हैं। दिल्ली के राशन दुकानदारों से भी जबरिया वसूली की जा रही है।

दिल्ली के लाखों संविदा कर्मचारियों जिन में विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी, अध्यापक, डाॅक्टर, नर्सें, डीटीसी कर्मचारी, डीटीसी ड्राइवर और कंडेक्टर आदि को नियमित करने का वायदा किया गया था। इन लोगों के साथ जबरदस्त धोखा किया। जो कर्मचारी नियमित करने की मांग करते हैं उन्हें पुलिस द्वारा पिटवाया जाता है।

दिल्ली की 1900 अनधिकृत काॅलोनियों को नियमित करके उनकी पक्की रजिस्ट्री करने का वायदा था जो पूरा नहीं हुआ। इससे 50,00,000 लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं। दिल्ली की 1,100 झुग्गी बस्तियों के 30,00,000 लोगों को ‘जहां झुग्गी-वहीं मकान‘ के नारे के तहत पक्के मकान का वायदा था जो हवा में फुर्र हो गया। सभी पुनर्वास बस्तियों को नियमित किया जाना था। यह कार्य आज तक लम्बित है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत उच्च न्यायालय ने 16 अप्रैल 2014 को दिल्ली सरकार को आदेश दिया था कि आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ाई, कांपी-किताब, वर्दी आदि सरकार निःशुल्क उपलब्ध कराए। निजी स्कूलों में भी यह कार्य सुनिश्चित करे लेकिन लाखों गरीब बच्चे इस अधिकार से वंचित हैं। दिल्ली सरकार के 39 अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे है। जनता की गाड़ी कमाई के 526 करोड़ रूपये जनता को गुमराह करने के लिए विज्ञापनों पर खर्च किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री के पास कोई मंत्रालय नहीं है परंतु उनके लिए 300 से अधिक का स्टाॅफ कार्यरत है। जनता का धन आम आदमी पार्टी की सरकार अनावश्यक कार्यों में लुटा रही है। 

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