दिल्ली बजट पर बी जे पी की प्रेस विज्ञप्ति
1. घाटे वाले बजट को लाभ वाला बजट बताया गया
2. खर्चा कम करने के उपाय नहीं
3. नगर निगमों को वित्त सहायता देने वाले आंकड़े गलत
4. मंहगी षराब की बिक्री से अधिक प्राप्ति की राह
5. वेट को बढ़ाने की तैयारी
6. मंहगाई में वृद्धि व मनोरंजन मंे कटौती
7. गरीबों तथा मध्यम वर्ग के अपना मकान अब दूर का सपना होगा
8. पुरानी योजनाओं को अपने खाते में डालना
9. अनुसूचित जाति व जनजाति तथा अल्पसंख्यों के लिये कोई योजना या फंड नहीं
10. केन्द्र सरकार का आभार नहीं
नयी दिल्ली, 29 जून। उपमुख्यमंत्री/वित्तमंत्री श्री मनीश सिसोदिया द्वारा दिल्ली विधान सभा में दिल्ली सरकार के वर्श 2015-16 के लिए प्रस्तुत बजट प्रस्तावों पर चर्चा प्रारम्भ करते हुये प्रतिपक्ष के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता ने इसे आंकड़ों की बाजीगरी बताया । उन्होंने कहा कि बजट प्रस्ताव आंकड़ों को गलत ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं । हवा-हवाई प्रस्तावों से वास्तव में मंहगाई बढ़ेगी ।
घाटे वाले बजट को लाभ वाला बजट बताया गया
विपक्ष के नेता ने इस बात पर बल दिया कि इस बजट प्रस्तावों में 371 करोड़ रू. का लाभ दिखाया गया है जबकि वास्तव में 417.82 करोड़ रू. का घाटा है । प्राप्ति की राषि 39984.13 है जबकि व्यय 41129 करोड़ रू. है । प्राप्ति में आंकड़ों को वास्तविकता से कहीं ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है । बहुत सी प्राप्तियां बजट में सम्मिलित कर ली गई हैं जबकि वास्तव में उनके आने की कोई संभावना ही नही ंहै । यह जानबूझकर किया गया है । घाटे वाले बजट को लाभ वाले बजट के रूप में प्रस्तुत किया गया है । ओपनिंग बेंलेंस लाभ दिखाता है जबकि वास्तव में यह घाटे वाला है ।
खर्चा कम करने के उपाय नहीं
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि घाटे वाले बजट को लाभ वाले बजट में प्रस्तुत करने से आषंका बनती है कि आगे आने वाला समय दिल्लीवासियों के लिए चिंतनीय होगा । सरकार ने खर्चों में कमी के लिये कोई प्रस्ताव लेकर नही आई । 15 करोड़ रू. मंत्रियों तथा विधान सभा अध्यक्ष के कार्यालय में खर्च किये जाने का प्रस्ताव है जो कि गत वर्श के मुकाबले कहीं ज्यादा है ।
नगर निगमों को वित्त सहायता देने वाले आंकड़े गलत
यह कहना सरासर गलत है कि दिल्ली सरकार नगर निगमों को अपने बजट का 14.4 प्रतिषत अर्थात 5908 करोड़ रू. की वित्त सहायता दे रही है । वस्तुतः इसमें 1394 करोड़ रू. वह सम्मिलित है जो दिल्ली सरकार दिल्ली नगर निगम के लिये वसूलती है और जिस पर वह 3.5 प्रतिषत कलेक्षन चार्ज लेती है । इसमें 1664 करोड़ रू. वह भी सम्मिलित है जो योजना मद से मिलते हैं । यह राषि केन्द्र द्वारा दी जाती है । दिल्ली सरकार की इसमें मात्र पोस्ट आफिस वाली भूमिका है । दिल्ली सरकार ने चैथे वित्त आयोग के लिये कोई प्रावधान नहीं रखा है इससे सरकार की मंषा का पता चलता है ।
मंहगी षराब की बिक्री से अधिक प्राप्ति की राह
राजस्व वसूली के आंकड़े बहुत बढ़ा चढ़ाकर बताये गये हैं । वेट 18 हजार करोड़ रू. से बढ़कर 24 हजार करोड़ रू. होने के आंकड़ें प्रस्तुत किए गये हैं । इसमें 30 प्रतिषत यानि 600 करोड़ रू. की वृद्धि होने का अनुमान है । कर नहीं बढ़ाये गये है तो बढ़ा हुआ राजस्व कैसे मिलेगा । वास्तव में वित्त मंत्री पीछे के रास्ते से राजस्व बढ़ा रहे हैं । यह मध्यम श्रेणी की षराब की बिक्री को बंद कर मंहगी षराब की बिक्री को प्रोत्साहन देगी । इससे मध्यम वर्ग के लोग अनधिकृृत रूप से बेची जाने वाली षराब के चंगुल में फंस जायेंगे ।
वेट को बढ़ाने की तैयारी
वित्त मंत्री ने आज वेट से केपिंग हटाने का प्रस्ताव रखा है । यह वास्तव में पीछे के दरवाजे से वेट में वृद्धि करने का मार्ग प्रषस्त करता है ।
मंहगाई में वृद्धि व मनोरंजन मंे कटौती
वित्त मंत्री ने व्यवसायिक गाडि़यों के प्रवेष पर टेक्स में वृद्धि, और मनोरंजन कर में वृद्धि, केबल/डीटीएच सेवाओं में वृद्धि कर 1500 करोड़ रू. की अतिरिक्त आमदनी का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है । व्यवसायिक गाडि़यों में वृद्धि से मंहगाई बढ़ेगी और मनोरंजन कर में वृद्धि से दिल्लीवासी मनोरंजन से वंचित रह जायेंगे ।
गरीबों तथा मध्यम वर्ग के अपना मकान अब दूर का सपना होगा
कृशि भूमि के सर्कल रेट में 2 करोड़ रू. तक की वृद्धि की गई जो वर्तमान दर से 125 से 200 प्रतिषत तक अतिरिक्त है । इसके साथ ही साथ स्टेम्प डयूटी और पंजीकृत षुल्क में भी स्वतः वृद्धि होगी । अभी तक ये संभावना व्यक्त की जा रही थी कि लेंड पूलिंग से 25 लाख मकान उपलब्ध होंगे और गरीब तथा मध्यम वर्ग के निवासी इन्हें खरीद सकेंगे परंतु उनके लिये अब यह सपना बनकर रह गया है ।
कमजोर वर्गों को मांगी गई राषि जमा कराने पर भी मकान नहीं
स्लम बस्तियों में कमजोर आय वर्ग के रहने वाले 5 हजार लोगों ने 72 हजार प्रति निवासी की दर से सरकार द्वारा मांगी गई आवंटन राषि जमा कराये हुये कई वर्श हो गये हैं परंतु इन्हें आज तक मकान नहीं दिया गया है ।
पुरानी योजनाओं को अपने खाते में डालना
वित्तमंत्री ने कई पुरानी योजनाओं को अपने खाते में डालकर वाहवाही लूटने की कोषिष करी है । ऐसा बताया गया कि स्किल डव्लपमेंट केन्द्र के विकास के लिये 285 करोड़ रू. पहली बार रखे गये हैं । परंतु मंत्री जी यह बताना भूल गये कि यह योजना पुरानी है और इसके लिए पूर्वी दिल्ली में पहले ही भूमि अधिगृहित की जा चुकी है । 6 कामकाजी महिला होस्टल बनाने की योजना भी पुरानी है । 1380 लोफलोर बसों को खरीदने की बात कही गई है परंतु यह नहीं बताया गया कि इसके लिए जवाहर लाल नेहरू योजना के अंतर्गत जो फंड दिये गये थे उन्हें स्टाफ सेलरी में खर्च कर दिया गया ।
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