दिल्ली सरकार बिजली दरों में बढ़ोत्तरी के लिए दोषी - सतीश उपाध्याय
नई दिल्ली, 13 जून। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने दिल्ली में बिजली की दरों में 6 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने देने के लिए दिल्ली सरकार की कड़ी निंदा की है।
उन्होंने कहा है कि पहले तो दिल्ली सरकार ने डी.ई.आर.सी. के समक्ष बढ़ोत्तरी का विरोध तर्क संगत तरीके से नहीं रखा और बढ़ोत्तरी की घोषणा के बाद दिल्ली के बिजली मंत्री श्री सतेन्द्र जैन की जो टिप्पणी आई है वह अक्षरशः वही शब्द हैं जो अपने कार्यकाल में हर बढ़ोत्तरी के बाद श्रीमती शीला दीक्षित बोलती थीं।
उन्होंने कहा है कि पहले तो सरकार ने सही प्रयास नहीं किये और बढ़ोत्तरी के बाद अब मुख्यमंत्री और बिजली मंत्री घडि़याली ट्वीट करके दिल्लीवालों को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि दिल्ली में चाहे शीला दीक्षित सरकार रही हो या अब अरविन्द केजरीवाल की कोई भी सरकार डी.ई.आर.सी. के समक्ष जनता के हित का पक्ष सही तरीके से नहीं रखती क्योंकि सच यह है कि हर बढ़ोत्तरी का लाभ सरकारी खजाने के साथ-साथ प्राइवेट पार्टनर के माध्यम से सत्ताधारी दल के खजाने तक जाता है।
दिल्ली अब भलि भांति समझती है कि जिन्हें निजी डिस्काॅम कहा जाता है वह दिल्ली सरकार और प्राइवेट कम्पनियों के संयुक्त डिस्काॅम हैं और डिस्काॅम का मुनाफा 51: 49 की भागीदारी में निजी बिजली कम्पनियों और सरकार के बीच बटता है। इसीलिए सरकारें बदल जाती हैं, बाहर बहुत कुछ कहती हैं पर डी.ई.आर.सी. के दफ्तर में कागज वही पहुंचते हैं जिनके माध्यम से प्राइवेट कम्पनियों की बात मान ली जाती है।
उन्होंने कहा है कि पहले तो दिल्ली सरकार ने डी.ई.आर.सी. के समक्ष बढ़ोत्तरी का विरोध तर्क संगत तरीके से नहीं रखा और बढ़ोत्तरी की घोषणा के बाद दिल्ली के बिजली मंत्री श्री सतेन्द्र जैन की जो टिप्पणी आई है वह अक्षरशः वही शब्द हैं जो अपने कार्यकाल में हर बढ़ोत्तरी के बाद श्रीमती शीला दीक्षित बोलती थीं।
उन्होंने कहा है कि पहले तो सरकार ने सही प्रयास नहीं किये और बढ़ोत्तरी के बाद अब मुख्यमंत्री और बिजली मंत्री घडि़याली ट्वीट करके दिल्लीवालों को मूर्ख बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि दिल्ली में चाहे शीला दीक्षित सरकार रही हो या अब अरविन्द केजरीवाल की कोई भी सरकार डी.ई.आर.सी. के समक्ष जनता के हित का पक्ष सही तरीके से नहीं रखती क्योंकि सच यह है कि हर बढ़ोत्तरी का लाभ सरकारी खजाने के साथ-साथ प्राइवेट पार्टनर के माध्यम से सत्ताधारी दल के खजाने तक जाता है।
दिल्ली अब भलि भांति समझती है कि जिन्हें निजी डिस्काॅम कहा जाता है वह दिल्ली सरकार और प्राइवेट कम्पनियों के संयुक्त डिस्काॅम हैं और डिस्काॅम का मुनाफा 51: 49 की भागीदारी में निजी बिजली कम्पनियों और सरकार के बीच बटता है। इसीलिए सरकारें बदल जाती हैं, बाहर बहुत कुछ कहती हैं पर डी.ई.आर.सी. के दफ्तर में कागज वही पहुंचते हैं जिनके माध्यम से प्राइवेट कम्पनियों की बात मान ली जाती है।
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