21 विधायकों को लाभ पहुंचाने के उद्देष्य से पारित संषोधन न्यायिक प्रक्रिया का घोर उल्लंघन करने के कारण असंवैधानिक - विजेन्द्र गुप्ता
नयी दिल्ली, 24 जून। नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि दिल्ली विधान सभा मंे आज विधायकों की अयोग्यता को दूर करने के लिये जो विधेयक आनन फानन में प्रस्तुत कर बिना विपक्ष की बात सुने पारित किया गया, वह न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन करने के कारण पूरी तरह से असंवैधानिक है । उन्होंने खेद व्यक्त किया कि भाजपा विधायक चर्चा में भाग नहीं ले सके क्योंकि तीनों विधायकों - उन्हें स्वयं, श्री ओमप्रकाष षर्मा तथा श्री जगदीष प्रधान को मार्षलों द्वारा विधान सभा से बाहर कर दिया गया था ।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि यह मामला पहले से ही दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है । मामले को गत 20 मई को माननीय मुख्य न्यायाधीष तथा माननीय न्यायाधीष श्री राजीव सहाय एन्डले के बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया था । इस मामले में दिल्ली सरकार की स्टेंडिंग कौंसिल ने सरकार से निर्देष प्राप्त करने के उद्देष्य से कुछ समय मांगा । माननीय न्यायाधीष श्री एन्डले ने सरकारी कौंसिल की बात दृश्टि में रखते हुये इस मामले को 1 जुलाई को पुनः नोटिफाई करने के आदेष दिये । अतः यह मामला अब 1 जुलाई को पुनः प्रस्तुत किया जायेगा ।
जब मामला न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हो तो उस मामले पर दिल्ली सरकार द्वारा संषोधन लाना पूरी तरह असंवैधानिक है । इतना ही नहीं अधिनियम में जो संषोधन प्रस्तावित हैं उसके अनुरूप संषोधन को 14 फरवरी 2015 से प्रभावी समझा जाएगा ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी का जब गठन हुआ था तब श्री केजरीवाल ने अपने तथा मंत्रियों व विधायकों के लिये गाडि़यां, कोठी, सिक्योरिटी और किसी भी प्रकार का सरकारी लाभ लेने से मना किया था परंतु पद ग्रहण करने के उपरांत इनकी कथनी और करनी में जमन और आसमान का अंतर आ गया । श्री केजरीवाल अपने सभी विधायकों को रेवडि़यां बांटने में लग गये ताकि उन्हें अपने नियंत्रण में रखा जा सके ।
श्री गुप्ता ने कहा कि वह इस मामले को उपराज्यपाल और आवष्यक हुआ तो महामहिम राश्ट्रपति तक लेकर जायेंगे । वह न्यायालय में भी अपना पक्ष पुरजोर तरीके से रखेंगे ।
श्री केजरीवाल की मंषा थी कि सभी 21 संसदीय सचिवों को उच्च स्तर की सरकारी सुविधाऐं दी जायें ताकि अधिक से अधिक विधायक प्रसन्न होकर उनसे बंधे रहें । इस करोडा़ें रूप्यों का वार्शिक खर्चा आना था । परंतु भाजपा के विरोध के कारण तथा मामले के न्यायालय में आने के उपरांत उनको 21 विधायक के कानूनी षिकंजे में फंसते नजर आये और उन्होंने अब उन्हें लाभ के पद से निकालने के उद्देष्य से संषोधन का रास्ता निकाला । संषोधन का प्रस्ताव न्यायिक प्रक्रिया का घोर उल्लंघन है ।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि यह मामला पहले से ही दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है । मामले को गत 20 मई को माननीय मुख्य न्यायाधीष तथा माननीय न्यायाधीष श्री राजीव सहाय एन्डले के बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया गया था । इस मामले में दिल्ली सरकार की स्टेंडिंग कौंसिल ने सरकार से निर्देष प्राप्त करने के उद्देष्य से कुछ समय मांगा । माननीय न्यायाधीष श्री एन्डले ने सरकारी कौंसिल की बात दृश्टि में रखते हुये इस मामले को 1 जुलाई को पुनः नोटिफाई करने के आदेष दिये । अतः यह मामला अब 1 जुलाई को पुनः प्रस्तुत किया जायेगा ।
जब मामला न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हो तो उस मामले पर दिल्ली सरकार द्वारा संषोधन लाना पूरी तरह असंवैधानिक है । इतना ही नहीं अधिनियम में जो संषोधन प्रस्तावित हैं उसके अनुरूप संषोधन को 14 फरवरी 2015 से प्रभावी समझा जाएगा ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी का जब गठन हुआ था तब श्री केजरीवाल ने अपने तथा मंत्रियों व विधायकों के लिये गाडि़यां, कोठी, सिक्योरिटी और किसी भी प्रकार का सरकारी लाभ लेने से मना किया था परंतु पद ग्रहण करने के उपरांत इनकी कथनी और करनी में जमन और आसमान का अंतर आ गया । श्री केजरीवाल अपने सभी विधायकों को रेवडि़यां बांटने में लग गये ताकि उन्हें अपने नियंत्रण में रखा जा सके ।
श्री गुप्ता ने कहा कि वह इस मामले को उपराज्यपाल और आवष्यक हुआ तो महामहिम राश्ट्रपति तक लेकर जायेंगे । वह न्यायालय में भी अपना पक्ष पुरजोर तरीके से रखेंगे ।
श्री केजरीवाल की मंषा थी कि सभी 21 संसदीय सचिवों को उच्च स्तर की सरकारी सुविधाऐं दी जायें ताकि अधिक से अधिक विधायक प्रसन्न होकर उनसे बंधे रहें । इस करोडा़ें रूप्यों का वार्शिक खर्चा आना था । परंतु भाजपा के विरोध के कारण तथा मामले के न्यायालय में आने के उपरांत उनको 21 विधायक के कानूनी षिकंजे में फंसते नजर आये और उन्होंने अब उन्हें लाभ के पद से निकालने के उद्देष्य से संषोधन का रास्ता निकाला । संषोधन का प्रस्ताव न्यायिक प्रक्रिया का घोर उल्लंघन है ।
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