अरविंद केजरीवाल सरकार बिजली कंपनियों के वित्तीय घोटालों पर एक श्वेत पत्र प्रस्तुत करें

हम जानते हैं कि केजरीवाल सरकार की मिलीभगत के कारण ही डी.ई.आर.सी. ने बिना जनसुनवाई के नई बहुवर्षीय टैरिफ तैयार हुआ है फिर भी दिल्ली की जनता के हित में हम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से विद्युत अधिनियम की धारा 108 के अधीन डी.ई.आर.सी. के इस प्रारूप को नामंजूर करने या दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अधिवेशन में प्रारूप को प्रस्तुत करने और उसे नामंजूर करने का आग्रह करते हैं - मनोज तिवारी

नई दिल्ली, 8 फरवरी।  दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा है कि केजरीवाल सरकार की लापरवाही और मिलीभगत के कारण आने वाले नगर निगम चुनावों के ठीक बाद दिल्ली में बिजली की दरों में भारी वृद्धि होगी। 

अरविंद केजरीवाल सरकार अपने अहंकार के कारण सदस्य नियुक्ति नियमों का पालन नहीं कर रही जिसके फलस्वरूप दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) में पूरे सदस्य नहीं है। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग में अध्यक्ष की नियुक्ति में नियमों का पालन नहीं किये जाने के कारण यह न्यायपालिका के विचाराधीन है किन्तु केजरीवाल सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों में निजी भागीदारों के साथ मिलीभगत करके सदस्य (वित्त) की नियुक्ति को भी लटका रखा है।  

इसके परिणाम स्वरूप एकल सदस्यीय डी.ई.आर.सी. ने निजी कंपनियों के साथ मिलीभगत करके बिना जनसुनवाई की प्रक्रिया का अनुपालन किये ही बिजली की दरों के पुनरीक्षण के प्रारूप को अंतिम रूप दे दिया है। ऐसा करके डी.ई.आर.सी. के एकल तकनीकी सदस्य श्री बी.पी. सिंह ने विद्युत अधिनियम की धारा 61 और 86 का उल्लंघन किया है जिसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जायेगी और बहुवर्षीय टैरिफ दरें तय करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाये रखा जायेगा। 

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार की पहले से ही निजी कंपनियों टाटा और रिलायंस के साथ मिलीभगत है और नगर निगम चुनावों के बाद ही अप्रैल के मध्य में बिजली की दरें बढ़ जायेंगी। डीईआरसी की सिफारिशें केजरीवाल सरकार के संज्ञान में हैं किन्तु वह नगर निगम चुनाव होने तक दिल्ली विधानसभा में इसे अनुमोदन के लिये नहीं रखेगी। 

श्री तिवारी ने कहा है कि हालांकि हम जानते हैं कि केजरीवाल सरकार की मिलीभगत के कारण ही डी.ई.आर.सी. ने बिना जनसुनवाई के नई बहुवर्षीय टैरिफ तैयार हुआ है फिर भी दिल्ली की जनता के हित में हम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से विद्युत अधिनियम की धारा 108 के अधीन डी.ई.आर.सी. के इस प्रारूप को नामंजूर करने या दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर अधिवेशन में प्रारूप को प्रस्तुत करने और उसे नामंजूर करने का आग्रह करते हैं।

श्री तिवारी ने कहा है कि अरविंद केजरीवाल सरकार सभी बिजली उपभोक्ताओं के लिये बिजली की दरों को कम करने का वादा करके सत्ता में आई थी। पिछले दो वर्षों में दिल्ली सरकार ने कुछ नहीं किया है। केजरीवाल सरकार रिलायंस और टाटा कंपनियों के साथ तीनों वितरण कंपनियों में 49 प्रतिशत की भागीदार है किन्तु केजरीवाल सरकार ने अपने निजी भागीदार कंपनियों द्वारा की जा रही वित्तीय गड़बड़ियों को रोकने के लिये कोई कदम नहीं उठाया है। केजरीवाल सरकार ने मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के हितों की अनदेखी करके छोटे उपभोक्ताओं को सरकारी खजाने से सब्सिडी देकर एक वोट बैंक बनाया है। मध्यम वर्ग को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी भी नहीं दी गई है। 

एक ओर केजरीवाल सरकार ने छोटे उपभोक्ताओं को सब्सिडी देकर बेवकूफ बनाया है और दूसरी ओर उसने बढ़े हुये पी.पी.सी.ए. चार्ज वसूलने की भी इजाजत दे दी है।  इसका परिणाम यह हुआ है कि सरकार की निजी भागीदार कंपनियां रिलायंस और टाटा को सरकारी खजाने से सब्सिडी का धन मिल रहा है और उसने दो वर्षों में पी.पी.सी.ए. के रूप में 10 हजार करोड़ रूपये भी वसूले हैं। अब समय आ गया है कि अरविंद केजरीवाल सरकार बिजली कंपनियों के वित्तीय घोटालों पर एक श्वेत पत्र प्रस्तुत करें। 

शीला दीक्षित ने नगर निगमों को निधि देने से संबंधित चैथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को भी लागू नहीं किया और न ही उन्होंने वित्तीय रूप से पंगु पूर्वी एवं उत्तरी दिल्ली नगर निगमों को आवश्यक निधि आबंटित की इसलिये दिल्ली के लोगों के प्रति अजय माकन के इस दावे से बड़ा काई मजाक नहीं हो सकता कि कांग्रेस नगर निगमों को सुदृढ़ करेगी

नई दिल्ली, 8 फरवरी।  दिल्ली भाजपा के महामंत्री श्री कुलजीत सिंह चहल, श्री रविन्द्र गुप्ता एवं श्री राजेश भाटिया ने कहा है कि दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष के इस बयान से बड़ा मजाक नहीं हो सकता कि वे नगर निगमों को स्वाबलंबी और कार्यकुशल बनायेंगे। 

भाजपा नेताओं ने कहा है कि वर्ष 2002 में दिल्ली की तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित और एकिकृत नगर निगम के नेताओं के बीच सत्ता के संघर्ष से ही नगर निगमों को कमजोर करने की प्रक्रिया शुरू हुई। यह शीला दीक्षित सरकार ही थी, जिसमें श्री अजय माकन भी थे, जिसने कांग्रेस के भीतर राजनैतिक विरोधियों को कमजोर करने के लिये वित्तीय और अन्य कठिनाइयां उत्पन्न की।

तत्पश्चात 2007 में जब भाजपा सत्ता में आई तब भी श्रीमती शीला दीक्षित ने दनगर निगमों के विरूद्ध अपनी गंदी राजनीति जारी रखी और निधियों में कटौती करके तथा अनेक आरोप लगाकर नगर निगमों को कमजोर किया। 

वर्ष 2012 में श्रीमती शीला दीक्षित ने बिना आवश्यक निधि या प्रशासनिक व्यवस्था किये ही नगर निगमों को तीन भाग में बांट दिया और इसके परिणाम स्वरूप अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई। 

इतना ही नहीं श्रीमती शीला दीक्षित ने नगर निगमों को निधि देने से संबंधित चैथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को भी लागू नहीं किया और न ही उन्होंने वित्तीय रूप से पंगु पूर्वी दिल्ली नगर निगम और कमजोर उत्तरी दिल्ली नगर निगम को आवश्यक निधि आबंटित की जैसा की उन्होंने वादा किया था। 

केजरीवाल सरकार ने भी वर्ष 2002 से 2013 के बीच कांग्रेस द्वारा शुरू की गई नगर निगमों को कमजोर करने की गंदी राजनीति का ही अनुसरण किया है। 

दिल्ली में श्रीमती शीला दीक्षित नगर निगमों की वित्तीय बदहाली के लिये जिम्मेदार हैं और इसलिये दिल्ली के लोगों के प्रति अजय माकन के इस दावे से बड़ा काई मजाक नहीं हो सकता कि कांग्रेस नगर निगमों को सुदृढ़ करेगी। 

निगम चुनाव को ध्यान में रखते हुये उपराज्यपाल सुनिश्चित करें कि नगर निगम कर्मचारियों को वेतन के भुगतान एवं निगम सेवाओं के रखरखाव को 30 अप्रैल, 2017 तक चलाने के लिए आवश्यक निधि अविलम्ब नगर निगमों को मिले

नई दिल्ली, 8 फरवरी।   पूर्वी दिल्ली नगर निगम की महापौर श्रीमती सत्या शर्मा एवं नेता सदन श्री संजय जैन ने आज पूर्वी दिल्ली की वित्तीय समस्याओं को लेकर दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल से मुलाकात की।  

श्रीमती सत्या शर्मा एवं श्री संजय जैन ने उपराज्यपाल से कहा कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम को तृतीय दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार भी पूरा पैसा अभी तक दिल्ली सरकार द्वारा नहीं दिया गया है।  साथ ही यदि चैथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार पैसा यदि जारी कर दिया जाये तो निगम का आर्थिक संकट पूरी तरह दूर हो सकता है।

निगम नेताओं ने उपराज्यपाल से कहा कि राजनीतिक द्वेष के चलते दिल्ली सरकार बार-बार किश्तों में पैसा दे रही है जिसके चलते पूर्वी दिल्ली नगर निगम अपने कर्मचारियों का वेतन भुगतान भी समय पर नहीं कर पाता और बार-बार हड़ताल होती है। अतः आगामी निगम चुनाव को ध्यान में रखते हुये उपराज्यपाल सुनिश्चित करें कि नगर निगम कर्मचारियों को वेतन भुगतान एवं निगम सेवाओं के रखरखाव को 30 अप्रैल, 2017 तक चलाने के लिए आवश्यक निधि अविलम्ब नगर निगमों को मिले। उपराज्यपाल ने निगम नेताओं की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया।

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