आशा किरन मामले में महिला आयोग का नोटिस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया, मुख्यमंत्री केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया को बचाने का प्रयास : मनोज तिवारी

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने अरविंद केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया की लापरवाही को आशा किरन होम में 11 बच्चों की मृत्यु के लिये दोषी मानते हुये कहा कि मनीष सिसोदिया नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा दें और केजरीवाल दिल्ली सरकार के ऐसे सभी समाज कल्याण होम्स में रहने वालों की जीवन स्थिति सुधारने के लिये कदम उठायें

आशा किरन मामले में महिला आयोग का नोटिस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया , मुख्यमंत्री केजरीवाल एवं मनीष सिसोदिया को बचाने का प्रयास - मनोज तिवारी


नई दिल्ली, 5 फरवरी।  दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री मनोज तिवारी ने कहा है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित आशा किरन होम में मारे गये 11 निर्दोष बच्चों की असमायिक मृत्यु के लिये दिल्ली सरकार जिम्मेदार है और अब अपनी जिम्मेदारी से बचने एवं दिल्ली की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। 

कल शनिवार दोपहर दिल्ली भाजपा के मीडिया विभाग द्वारा इस मुद्दे को उठाये जाने के बाद केजरीवाल सरकार जागी और अपनी चिंता प्रकट करते हुये दिल्ली महिला आयोग से समाज कल्याण विभाग को नोटिस जारी कराया। 

दिल्ली सरकार का समाज कल्याण विभाग जो आशा किरन होम को संचालित करता है ने कभी भी यहां भर्ती बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता नहीं की है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा समाज कल्याण विभाग को मंत्रीविहीन रखने के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई। जवाबदेही से मुक्त आशा किरन होम के प्रशासन ने बच्चों पर ध्यान देना बिल्कुल ही बंद कर दिया। 

श्री तिवारी ने कहा है कि इस मामले में दिल्ली महिला आयोग द्वारा नोटिस दिया जाना ही सरकार की कोताही का एक प्रमाण है क्योंकि अगर सरकार संवेदनशील होती तो सबसे पहला संज्ञान चाइल्ड वेल्फेयर बोर्ड को लेना चाहिये था।

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने कहा है कि दिल्ली महिला आयोग के नोटिस की भाषा भी स्पष्ट दर्शाती है कि आशा किरन होम में 11 बच्चों की मृत्यु की जिम्मेदारी का दोष अधिकारियों पर डालने का और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जिन पर नैतिक एवं कानूनी जिम्मेदारी है, को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। आखिर उन्होंने ही तो विभाग को लम्बे समय से मंत्रीविहीन रखा है। 

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जिनके पास समाज कल्याण विभाग का अतिरिक्त कार्यभार है उन्हें आशा किरन होम के 11 बच्चों की मृत्यु की जिम्मेदारी स्वीकार कर इस्तीफा देना चाहिये। अगर पहले बच्चे की असमायिक मौत का समाचार पाकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सतर्कता दिखाई होती तो शायद बाकी बच्चों को बचाया जा सकता था।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी 11 बच्चों की मृत्यु की नैतिक जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिये और अविलंब एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर उसके माध्यम से आशा किरन होम सहित दिल्ली के अन्य बाल सुधार गृहों एवं वृद्ध आश्रमों में रहने वालों की स्थिति सुधारने के लिये कार्य करना चाहिये। 

दिल्ली की जनता उम्मीद करती है कि उनके विभागविहीन मुख्यमंत्री कम से कम आशा किरन होम जैसे संवेदनशील मामले में अपनी जिम्मेदारी निभायेंगे।  

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