सर्वोच्च न्यायालय की फटकार से दिल्ली सरकार सबक ले - विजेन्द्र गुप्ता

दिल्ली की दो करोड़ जनता के लिए सरकार पानी के वैकल्पिक स्थायी उपाय करे
नई दिल्ली, 23 फरवरी। नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली के अभूतपूर्व जल संकट के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार बताते हुये भविश्य के लिए ऐसी आपात स्थिति में दिल्ली की दो करोड़ जनता के हित के लिए जल के स्थायी वैकल्पिक उपाय करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय में जल संकट की सुनवाई करते हुये मुख्य न्यायाधीष की बेंच ने दिल्ली सरकार को सिर्फ इसलिए कड़ी फटकार लगायी क्योंकि यह सरकार हर संकट का राजनीतिक लाभ उठाना चाहती है भले ही दिल्ली की जनता भूखांे मरे या बंूद बूंद पानी को तरसे।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री से  कहा है कि दिल्ली के डेढ़ करोड़ लोग गत् तीन दिन से पानी के अभूतपूर्व संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे समय में जबकि दिल्ली सरकार को जनता की मुसीबत दूर करने के लिए सभी कार्य छोड़कर युद्धस्तर पर पानी के वैकल्पिक प्रबंध करने चाहिये थे, आपकी सरकार ने अपनी आदत के कारण जल संकट का ठीकरा केंद्र सरकार और न्यायपालिका पर फोड़ कर बंूद-बंूद पानी के लिए तरस रही दिल्ली की जनता को अपनी सस्ती राजनीति का खिलौना बनाकर भाजपा सरकार से अपनी जगजाहिर दुष्मनी निकालने का प्रयास किया। यह कार्य आपकी सरकार पिछले एक वर्श से लगातार करती आयी है। जब भी दिल्ली में कोई संकट पैदा होता है तो उसका समाधान निकालने के स्थान पर आपकी सरकार केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ती रही है।
दिल्ली सरकार की इस आदत का नोटिस माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी लिया। जल संकट पर सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल उसकी याचिका को मुख्य न्यायाधीष टी. एस. ठाकुर तथा यूयू ललित की बेंच ने 22 फरवरी, 2016 को सुनवाई के दौरान अदालत मंे मौजूद दिल्ली सरकार के जल मंत्री कपिल मिश्रा सहित समूची दिल्ली सरकार को फटकार लगायी कि आप तो अपने एसी चैंबर में बैठे रहते हैं। किसी भी संकट का समाधान न करके हर मामले में अदालत भागकर आ जाते हैं। बेंच ने सरकार से पूछा कि आपने हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री से बात क्यों नहीं की आदि। न्यायालय दिल्ली सरकार की याचिका को रद्द करना चाहती थी, लेकिन याचिका को रद्द न करके सरकार को फटकार लगाकर अपना दायित्व निभाने को कहा।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री तथा दिल्ली सरकार को सुझाव दिया है कि दिल्ली के जल संकट को ध्यान में रखते हुये आगे के लिये ऐसी परिस्थिति में राजधानी की दो करोड़ जनता के लिए पानी का अग्रिम वैकल्पिक प्रबंध करने का स्थायी उपाय करे। सुझाव के मुख्य बिंदु हैं:-
दिल्ली के सभी लगभग 700 वाॅटर बाडीज को पुनर्जीवित करें। इन पर हो गये अवैध कब्जों को तुरंत हटायें। वाॅटर बाडीज पर कब्जे को गंभीर अपराध मानकर कार्यवाही करें। इनकी सुरक्षा सर्वोच्च स्तर पर करें। बरसात के पानी का इन वाॅटर बाडीज में संरक्षण करें ताकि आपदा काल में इस पानी का उपयोग किया जा सके। वाॅटर बाडीज के पुनर्जीवन से दिल्ली का भू-जल स्तर भी ऊंचा उठेगा।
उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेष, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कष्मीर, हिमाचल प्रदेष सरकारों से दिल्ली को पानी की सप्लाई हेतु स्थायी करार दिल्ली सरकार करे ताकि दिल्ली की वर्तमान कुल आवष्यकता 1050 एमजीडी पानी हर दिन उपलब्ध हो सके।
दिल्ली में योजनाबद्ध तरीके से बड़ी संख्या में भूमिगत जलाषयों का निर्माण किया जाए। इस पानी का उपयोग वैकल्पिक जल प्रबंध के रूप में किया जाए।
दिल्ली की चतुर्दिष सीमा में पेरीफेरी पर सोनीपत और दिल्ली सीमा से यमुना नदी से पक्की नहर निकालकर बदरपुर फरीदाबाद बार्डर पर नहर को पुनः यमुना नदी से जोड़ा जाए। इस नहर के दोनों सिरों पर अत्याधुनिक स्वचालित गेट लगाये जाएं। इस नहर में वर्शभर लबालब पानी भरा रहे। नहर के दोनों तरफ पक्की सड़क बनायी जाए। इस सड़क का उपयोग उन वाहनों के लिए आवष्यक किया जाए जो दिल्ली के बाहर बाहर निकलना चाहते हों।
नहर के दोनों ओर सड़कों के निर्माण के साथ ही इस मार्ग पर पेरीफेरल मेट्रो रेल चलायी जाए।

दिल्ली की सभी बड़ी इमारतों (सरकारी तथा गैर सरकारी) में भू-जल संरक्षण को अनिवार्य बनाया जाए।

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