दिल्ली में उत्पन्न जल संकट केजरीवाल सरकार की लापरवाही का नतीजा, उच्चतम न्यायालय की फटकार इसका प्रमाण - सतीश उपाध्याय

नई दिल्ली, 22 फरवरी।  दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने आज पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि हरियाणा में चल रहे आंदोलन के कारण दिल्ली में उत्पन्न हुये जल संकट ने एक बार फिर स्थापित किया कि अरविन्द केजरीवाल सरकार पूरी तरह गैर जिम्मेदार सरकार है।  अनुभवहीनता एवं अतिउत्साह यह दोनों इस सरकार के हर निर्णय में झलकते रहे हैं पर जिस तरह केजरीवाल सरकार ने जल संकट के इस मामले में बचकाना तरीके से काम किया है उससे जहां दिल्ली की जनता को भारी तकलीफ हुई है वहीं प्रशासकीय फजीहत भी हुई है।  सरकार ने जल संकट पर अपनी कोई प्रशासकीय जिम्मेदारी पूरी नहीं की और स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दिल्ली में काल्पनिक आतंक दर्शाने की कोशिश की।  वहीं इस सरकार के अधिकारियों और विधायकों ने स्वयं सरकार की घोषणाओं को धता बताई।

श्री उपाध्याय ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने जल संकट को हल करने के लिए न तो हरियाणा सरकार से मुनक नहर या अन्य स्रोत्रों से मिलने वाले जल सप्लाई को जारी रखने के लिए सम्कर्प किया, न ही उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड सरकार से बात कर वैकल्पिक व्यवस्था करने का प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि बीते शुक्रवार से सरकार दिल्ली की जनता को सिर्फ यह कहती रही कि हम उच्चतम न्यायालय से हस्तक्षेप की गुहार करेंगे।  ऐसा वातावरण बनाया गया कि मानो उच्चतम न्यायालय के पास कोई प्रशासकीय बटन है जिसे दबाते ही हरियाणा से दिल्ली के लिए पानी चल पड़ेगा।  आज जब उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह मामला उठा तब सरकार को जिस तरह की झाड़ न्यायाधीशों से पड़ी उसने सरकार के निकम्मेपन और अनुभवहीनता की पोल खोल दी।  उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि दिल्ली सरकार ने स्वयं तो कोई प्रशासकीय कार्रवाई की नहीं ऐसे में कोर्ट के पास कोई जादुई छड़ी नहीं।

श्री उपाध्याय ने कहा कि दो दिन तक हम मुख्यमंत्री को टेलीवीजनों पर अप्रत्याशित संकट की घोषणाओं के साथ दिल्ली की जनता से जल संरक्षण की अपील करते देखते रहे जबकि जल तो नलों मंे आ ही नहीं रहा था।  मुख्यमंत्री लोगों को गुमराह कर रहे थे कि मैं स्वयं भी कम से कम जल का उपयोग करूंगा पर दूसरी ओर उनकी अपनी सचिव सुश्री अश्वती ने दिल्ली जल बोर्ड पर अनैतिक दबाव डालकर अपने सरकारी आवास पर पूरा टैंकर जल भरवाया।  यह तब जब उस सरकारी आवासीय कालोनी में निवासी अन्य अधिकारियों को एक बूंद जल भी दो दिनों से नहीं मिला है।

श्री उपाध्याय ने कहा कि केजरीवाल सरकार जब से आई है इसके पास किसी भी तरह के संकट से लड़ने के लिए चाहे वह प्रदूषण का हो या जल संकट का एक नया हथियार देखा गया है कि स्कूलों में औचक अवकाश की घोषणा कर दो। स्कूल अध्यापक संघ के विरोध के बाद भी अपनी इसी प्रणाली के चलते केजरीवाल सरकार ने आज दिल्ली के सभी सरकारी एवं निजी स्कूलों में अवकाश रखवाया पर इसमें भी केजरीवाल सरकार का दोहरा चरित्र आज देखने को मिला।  दिल्ली के सत्ताधारी विधायक श्री रघुविन्द्र शौकीन एवं उनकी पत्नी श्रीमती मनीषा शौकीन पश्चिमी दिल्ली के निहाल विहार में राजेन्द्र पब्लिक स्कूल नाम का एक काफी बड़ा स्कूल चलाते हैं और आज यह स्कूल अन्य दिनों की तरह पूरी तरह से खुला है।  स्मरणीय है कि विगत वर्ष जुलाई में भी यह स्कूल प्रिंसिपल द्वारा छात्रों की पिटाई के मामले में भी सुर्खियों में आया था।

उन्होंने कहा कि भाजपा का मानना है कि दिल्ली में आज स्कूलों को बंद रखने लायक कोई परिस्थिति नहीं है पर जब सरकार ने स्कूल बंदी के आदेश कर दिये तब उसके बावजूद सत्ताधारी दल के विधायक श्री रघुविन्द्र शौकीन का स्कूल खुलना कुछ यह दर्शाता है कि सईयां भये कोतवाल तो डर काहे का !  हम केजरीवाल सरकार से जानना चाहते हैं कि आप ने शिक्षकों की अपील, स्कूल प्रशासनों की अपील के बावजूद आज दिल्ली में जबरन शिक्षा होलिडे दिया पर आपके अपने विधायक ने उसे मानने से इंकार कर दिया, ऐसे में अब सरकार इस स्कूल के विरूद्ध क्या कार्रवाई करेगी ?  

श्री उपाध्याय ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने सिर्फ उच्चतम न्यायालय के समक्ष लगाई याचिका के लिए आतंक की स्थिति उत्पन्न करने के लिए स्कूलों को बंद करने का तुगलकी फरमान जारी किया।

श्री उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली सरकार को आज की उच्चतम न्यायालय से मिली फटकार से सबक लेना चाहिए और प्रशासकीय कार्यों को संवैधानिक प्रशासकीय व्यवस्था से करना सीखना चाहिए।  हर छोटी-बड़ी बात पर न्यायालयों का रूख करना केवल जिम्मेदारी से बचने का एक रास्ता है।

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