विधान सभा ने आज पूरा किया आम आदमी पार्टी का काला वर्श -विजेन्द्र गुप्ता

जनतांत्रिक मूल्यों तथा संवैधानिक व्यवस्थाओं की धज्जियाॅं उड़ाईं गईं
आज विधान सभा का एक वर्श का कार्यकाल पूरा होने पर नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने इस समय को “काला वर्श“ करार दिया ।  उन्होंने कहा कि जब से विधान सभा का गठन हुआ है तब से वैधानिक दृश्टि से यह सबसे खराब समय रहा है । उन्होंने कहा कि विधान सभा अध्यक्ष ने एक स्वतंत्र एथारिटी के रूप में कार्य न करके सत्तापक्ष की कठपुतली के रूप में काम किया है । उन्होंने कहा कि संख्या के आधार पर आम आदमी पार्टी ने अनेकों बार विपक्ष के गणतांत्रिक अधिकारों का हनन किया । समय समय पर सत्तापक्ष ने विपक्ष की आवाज दबाई तथा उन्हें जनहित के मुद्दे नहीं उठाने दिये । समय समय पर उनके माइक बंद किये गये और उन्हें सदन से बाहर निकालने के आदेष दिये गये । इसमें मार्षलों का भी भरपूर उपयोग कर विपक्ष के माननीय सदस्यों का अनादर किया गया । गणतंात्रिक मूल्यों, संवेैधानिक संस्थानों तथा प्राधिकारियों की अवमानना व अवमूल्यन किया गया । सभी कायदे कानून तथा संवैधानिक प्रावधान तोड़े गये ।

नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने भाजपा विधायक श्री ओमप्रकाष षर्मा की सदस्यता को रद्द किये जाने की दिल्ली विधानसभा की आचरण समिति की सिफारिष के लीक होना आम आदमी पार्टी का एक काला कारनामा है ।  इस सारे मामले में विधानसभा के विषेशाधिकारों का हनन हुआ है । यह रिपोट्र सदन में रखे जाने तक गुप्त रखी जाती है । यह तो आप सरकार ही बतायेगी कि उसने इस प्रक्रिया को क्यों नही अपनाया । श्री गुप्ता ने अध्यक्ष श्री रामनिवास गोयल से मांग करी थी कि वे एक जाॅच कमेटी बैठायें ताकि यह पता लगाये कि किन हालात में और किसने एक गुप्त रिपोर्ट को लीक किया है । जो भी दोशी पाया जाये उसके विरूद्ध कार्यवाही की जानी चाहिये । परंतु सत्तापक्ष ने सत्ता के मद में विपक्ष की मांग को ठुकरा दिया ।

श्री गुप्ता ने कहा कि सदन में बिना उपराज्यपाल की अनुमति के अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये । हमें षीघ्र की विधान सभा की गरिमा के छिन्न भिन्न होने का अंदेषा है क्यों कि जब इन्हें न्यायालय में चुनौती दी जाएगी तब इनका कसौटी पर खरा उतरना सम्भव नहीं है । इससे भारी गड़बड़ होने की आषंका है । हमारा संविधान अनुच्छेद 239 और 239एए के अंतर्गत उपराज्यपाल को राश्ट्रपति का प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें विषेशाधिकार प्रदान करता है । परंतु विधान सभा में उन्हें कुछ माना ही नहीं जाता । इसीलिये अनेक बिल जिन पर उपराज्यपाल की अनुमति आवष्यक है, वे आज तक कानूनी रूप से अपंग हैं । दिल्ली षहरी आश्रय सुधार बोर्ड, दिल्ली नेताजी सुभाश तकनीकी विष्वविद्यालय, दिल्ली विधान सभा के सदस्यों की अपात्रता दूर करने संबंधी बिल आज तक लटके हुये हैं ।


उपराज्यपाल के गरिमामयी पद का जानबूझकर निरादर और अवमूल्यन किया गया है । विधान सभा की वर्श 2016 की डायरी में उपराज्यपाल का नाम तक प्रकाषित करना गंवारा नहीं समझा गया ।  गत एक वर्श में विधान सभा की 26 बैठकंे हुईं परंतु सदन को मात्र दो ही बार बुलाया गया। षेश बैठकों के लिये सत्रावसान का प्रयोग किया गया ।

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