केजरीवाल सरकार दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति असंवेदनशील

निगम नेताओं को अस्पतालों में सफाई व्यवस्था के औचक निरीक्षण के आदेश के साथ भाजपा ने की डेंगू मरीजों की मदद के लिये रक्तदान शिविर की घोषणा

नई दिल्ली, 14 सितम्बर।  दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता में आज कहा कि हम डेंगू बुखार की समस्या को एक राजनीतिक विषय के रूप में नहीं देखते हैं पर पिछले दिनों जिस तरह दिल्ली में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और दिल्ली सरकार उससे लड़ने के उपाय करने में पूरी तरह अक्षम रही है ने उन्हें दर्शाया है कि इस सरकार को जनता के सरोकारों से नहीं केवल राजनीतिक रोटियां सेंकने में जुटी रहती है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली पिछले एक माह से डेंगू के प्रकोप में है पर मुख्यमंत्री हो या स्वास्थ्य मंत्री सभी की प्राथमिकता डूसू चुनाव जीतने की कोशिश करना बनी रही। संवदेनशीलता के बड़े बड़े दावे करने वाली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने डेंगू के कारण एक पूरे परिवार के दुखद अंत पर दो अस्पतालों को नोटिस थमाकर इतिश्री कर ली। यदि स्वास्थ्य मंत्री में नैतिकता होती तो वह इसकी जिम्मेदारी स्वयं पर लेकर या तो उचित कार्यवाही करते या फिर इस्तीफा देते।

श्री उपाध्याय एवं श्री गुप्ता ने कहा है कि यह गंभीर चिंता का विषय है कि दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिये सुविधाओं की कमी है। एक-एक बेड पर दो या तीन लोगों के उपचार चलने के समाचार सुनने में आते हैं पर इसी दिल्ली में जनकपुरी एवं ताहिरपुर में 1100 बेड के दो अस्पतालों के भवन तैयार खड़े हैं पर 7 माह से राजनीतिक गणित बैठाने में व्यस्त बिना विभाग के मुख्यमंत्री हो उनके स्वास्थ्य मंत्री किसी को उन अस्पतालों को चालू करवाने में कोई रूची नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार बताये कि वह बार-बार दिल्ली में अस्पतालों में बेड बढ़ाने की बात करती है तो फिर महीने में इन अस्पतालों को चालू करने के लिये कोई काम क्यों नहीं किया गया?

भाजपा नेताओं ने कहा कि दिल्ली सरकार ने करोड़ों रूपये का प्रचार करके एक मौहल्ला क्लीनिक का उद्घाटन किया। राजनीतिक लाभ लेने के लिये उसका नाम आप क्लीनिक  रख दिया और चार माह बाद भी दिल्ली वाले दूसरी मौहल्ला “आप क्लीनिक“ खुलने का इंतजार कर रहे हैं। इन आप क्लीनिकों  की घोषणा के बाद से दिल्ली में कुछ माह पूर्व तक कार्यरत सरकारी डिस्पेंसरियों की व्यवस्था ठप्प हो गई है, वहां दवाओं की उपलब्धता बिल्कुल नहीं है। श्री उपाध्याय एवं श्री गुप्ता ने कहा है कि यदि दिल्ली सरकार जनता के प्रति जवाबदेही समझती है तो अविलंब सभी सरकारी डिस्पेंसरियों को सुचारू करे और वहां डेंगू की प्राइमरी जांच के केन्द्र स्थापित करे।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली में डेंगू के मरीजों को सबसे बड़ी परेशानी खून एवं प्लेटलेट्स की उपलब्धता को लेकर हो रही है। दिल्ली प्रदेश भाजपा दिल्ली की जनता की इस समस्या के प्रति जागरूक है और आगामी 24 सितम्बर को दिल्ली में एक बड़ा रक्तदान शिविर आयोजित किया जा रहा है। इसके पूर्व इसी सप्ताह भाजपा कार्यकर्ता प्रदेश कार्यालय में भी एक रक्तदान शिविर का आयोजन करेंगेे और एकत्र रक्त सरकारी अस्पतालों के डेंगू पीडि़तों के लिये उपलब्ध कराया जायेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली के तीनों नगर निगमों के महापौर एवं स्वास्थ्य समिति चेयरमैन नियमित तौर पर प्रतिदिन दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों, डिस्पेंसरियों के साथ-साथ निजी अस्पतालों में भी डेंगू वार्डों एवं सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिये निरीक्षण दौरे करेंगे।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में किसी भी आपातकाल की स्थिति में एम्बुलेंस विलम्ब से पहुंचती हैं, साधारणतयः रोगी को अस्पताल ले जाने के लिये आम आदमी महंगी निजी एम्बुलेंस सेवाओं पर निर्भर रहता है। यहां तक कि सभी सरकारी अस्पतालों के बाहर सुविधाविहिन खटारा निजी एम्बुलेंसों की लाइन लगी रहती है जो मौकानुसार लोगों की मजबूरी का लाभ उठाते हैं पर संवेदनशीलता के बड़े बड़े दावे करने वाली केजरीवाल सरकार इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रही है। सरकार नई एम्बुलेंसें खरीदने की बाते कर रही है पर दिल्ली सरकार की सैकड़ों कैट सेवा एम्बुलेंसे जन्क यार्ड में पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि यह जांच का विषय है कि किस तरह पिछली कांग्रेस सरकार और वर्तमान केजरीवाल सरकार की लापरवाही के चलते दिल्ली में सरकारी एम्बुलेंस सेवा का इतना बड़ा बेड़ा ठप्प हो गया। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के चुनाव क्षेत्र के बिल्कुल बगल में यह एम्बुलेंसे जंक यार्ड में जंग खा रही हैं।


श्री उपाध्याय एवं श्री गुप्ता ने कहा कि डेंगू जैसे गम्भीर मुद्दे पर चर्चा के दौरान हम राजनीतिक बिन्दु नहीं छूना चाहते पर केजरीवाल सरकार की असंवेदनशीलता हमें इस पर बोलने को बाध्य करती है कि एक ओर तो दिल्ली में सरकारी अस्पतालों में मरीजों के लिये स्थान नहीं है, सुविधायें नहीं है पर दूसरी ओर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री आदेश जारी कर विभिन्न सरकारी अस्पतालों के प्रशासन पर स्थानीय विधायकों के कार्यालय बनाने का दवाब डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में विधायकों को कार्यालय देने का प्रयास 49 दिन की सरकार के दौरान आप कार्यकर्ताओं के सरकारी अस्पतालों में स्वतः निरीक्षण उत्पात की पुनरावृति जैसा है।

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