भाजपा विधायक अगले सत्र में वेतन त्यागने पर करेंगे चर्चा

सरकार व विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की गरिमा गिराई, मीडिया एवं जनता को गुमराह किया

नई दिल्ली, 3 जुलाई। दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय और दिल्ली विधानसभा में नेता
प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज संयुक्त पत्रकार-वार्ता में विधानसभा अध्यक्ष और सरकार पर तीखे आरोप लगाते हुये कहा कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने हाउस में वैट पर कोई चर्चा ही नहीं होने दी। इतने महत्वपूर्ण संशोधन विधेयक को चंद सेकन्डों में ही पारित करा दिया और बाहर निकलकर मीडिया से यह कहा कि उन्होंने इस विषय पर सदन मंे चर्चा करायी लेकिन विपक्ष ने चर्चा में भाग ही नहीं लिया। इस प्रकार उन्होंने सदन, मीडिया और दिल्ली की जनता को गुमराह करने का प्रयास किया। पत्रकार-वार्ता में विधायक श्री ओमप्रकाश और श्री जगदीश प्रधान भी उपस्थित थे।

श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली विधानसभा के दो नियमित एवं एक विशेष सत्र जो केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में हुये हैं की कार्यवाही देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार संख्या बल के आधार पर लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ विपक्ष की आवाज सुनने को तैयार नहीं है। देश की संसद में भी कार्यवाही गतिरोध आते रहे हैं पर जिस प्रकार का मार्शलों का उपयोग संख्या में नगण्य विपक्ष के विरूद्ध इस सरकार ने सदन में स्पीकर के माध्यम से कराया है ऐसा लोकतंत्र में न संसद न किसी अन्य राज्य की विधानसभा में कभी देखा गया है।

 उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि एक के बाद एक अपने विधायकों की अराजकता के किस्सों को दबाने के लिये सरकार विपक्ष को सदन की कार्यवाही से बाहर रखने का प्रयास करती रही है। सरकारी पैसे का भारी दुरूपयोग मुख्यमंत्री के महिमामंडन के लिये किया जा रहा है। अन्य राज्यों के अखबारों एवं रेडियो में दिल्ली सरकार के विज्ञापनों में देश के विकास की बात की जा रही है और दुआओं में याद रखने की अपील की जा रही है। ऐसा लगता है कि यह दिल्ली की बातों पर चर्चा न होकर आम आदमी पार्टी को राष्ट्रव्यापी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

पत्रकारों द्वारा आम आदमी पार्टी के विधायकों द्वारा वेतन और बढ़ोत्तरी की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुये भाजपा विधायक श्री ओम प्रकाश शर्मा ने कहा कि हम राजनीति में सेवा भाव को लेकर आये हैं पहले तो जो वेतन मिल रहा है वह काफी है पर व्यक्तिगत तौर पर मैं तो मात्र एक रूपये के वेतन पर कार्य करना चाहता हूं। भाजपा विधायक दल के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता एवं श्री जगदीश प्रधान ने श्री शर्मा की भावना का समर्थन किया और कहा कि हम आगामी सत्र में विधानसभा में इस संदर्भ में प्रस्ताव लायेंगे। हम केवल सचिवालय भत्ता लेंगे और वेतन का त्याग करने को तैयार हैं।

श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि तारांकित प्रश्न जो कि सरकारी पदों पर को-टर्मिनस नियुक्तियों को लेेकर विपक्ष ने सरकार से पूछा था। तारांकित प्रश्न पूछने के बावजूद भी संबधित मंत्री ने प्रश्न का जवाब ही नहीं दिया और विधानसभा अध्यक्ष ने भी विपक्ष के साथ सौतेला व्यवहार करते हुये समय की कमी का बहाना बनाकर इस महत्वपूर्ण प्रश्न को ही चर्चा से बाहर कर दिया। बजट सत्र जैसे महत्वपूर्ण सत्र को सिर्फ 6 कार्य दिवसों में समेट दिया गया। इन दिनों में भी सदन का 80 प्रतिशत समय महत्वपूर्ण विधायी कार्यो पर खर्च न करके सिर्फ केन्द्र सरकार पर दोषारोपण करने और आम आदमी पार्टी की घटिया राजनीति करने पर बिताया गया। दुखद बात यह थी कि सदन के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठने के बावजूद विधानसभा अध्यक्ष का रवैया पूरी तरह पक्षपातपूर्ण और संदिग्ध रहा। उन्होंने भाजपा जैसी राष्ट्रव्यापी पार्टी के दिल्ली विधानसभा के प्रतिपक्ष के मुखिया को भी बोलने नहीं दिया और मीडिया से कहा कि उन्होंने प्रतिपक्ष के नेता को 20 मिनट बोलने दिया। यहाँ तक की सरकार ने अपनी ही पार्टी के सदस्य श्री पंकज पुष्कर को सदन में बोलने का मौका देने से रोका। मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने भरे सदन में अपनी ही पार्टी के सदस्य को अपमानित किया। श्री गुप्ता ने कहा कि सरकार ने अपनी पार्टी के ही सामान्य विधायकों को आधा-आधा घन्टे से अधिक का समय लचर बातों में बोलने के लिये दिया, लेकिन विपक्ष के नेता के पद और गरिमा की कतई परवाह नहीं की।


श्री गुप्ता ने कहा विधानसभा अध्यक्ष के संदिग्ध और पक्षपातपूर्ण आचरण को विधानसभा कार्यवाही की वीडियो रिकाॅडिग देखकर आसानी से जाँचा और परखा जा सकता है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का महिमामन्डन करने के लिये एफएम रेडियो पर जो 76 सेकन्ड का विज्ञापन दिन में 40 बार दिखाया जा रहा था, उसके विरूद्ध दायर जनहित याचिका पर अपना निर्णय सुनाते हुये माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिये थे कि जनता का पैसा जनहित के कार्यों पर ही खर्च किया जाना चाहिये। किसी नेता या मुख्यमंत्री का महिमामन्डन जनता के धन से विज्ञापनों पर कदापि नहीं खर्च किया जाना चाहिये। इसकी सरासर अवमानना करते हुये दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने वर्ष 2015-16 के बचे हुये 9 महीने के लिये 526 करोड़ रूपये की धनराशि विज्ञापन पर खर्च करने के लिये रखी। साफ पता चलता है कि इस सरकार को न तो संविधान की कोई परवाह है और न ही यह सरकार सर्वोच्च न्यायालय जैसी माननीय संस्था के आदेशों को मानती है।

श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री प्रशांत भूषण ने भी सरकार की इस कार्यवाही की निंदा की है और कहा है कि वे  विज्ञापन मद में 526 करोड़ रूपये के प्रावधान के खिलाफ जल्दी ही सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दिल्ली सरकार को दंडित करने की प्रार्थना करेंगे। ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार ने विज्ञापन मद में धनराशि का आवंटन दिल्ली विधानसभा के इतिहास मेें दर्ज होने वाले विज्ञापन मद आवंटन के द्वारा लगभग 200 प्रतिशत बढ़ा दिया। इसके विपरीत सरकार ने लगभग आधा दर्जन महत्वपूर्ण विभागों के लिये 100 से लेकर 300 करोड़ तक के ही फंड का ही प्रावधान किया। इसमें श्रम और सेवायोजन विभाग भी शामिल हैं। यह विभाग बेरोजगारोें को रोजगार भी दिलाता है। सरकार बेरोजगारांे को बारोजगार नहीं बनाना चाहती।

सरकार ने सदन को ऐसा चलाया जैसे कि दिल्ली में आपातकाल लगा हो। सदन दिल्ली की जनता की आवाज को रखने की सबसे बड़ी पंचायत है। इस पंचायत में विपक्ष की आवाज को लगातार दबाया गया। विपक्षी सदस्यांे को बोलने का मौका ही नहीं दिया गया। उनके बोलने पर माइक बंद कर दिये गये। बार-बार सदन में मार्शलों का प्रयोग करके विपक्षी सदस्यों को सदन से अपमानित करके बाहर निकाला गया।

भाजपा के सदस्य श्री ओमप्रकाश शर्मा को बोलने का समय आवंटित करने के बाद भी बोलने का मौका नहीं दिया गया और सदन से बहिर्गमन किया। 23 जून 2015 को उन्हें सदन से बाहर निकालते समय माननीय विधानसभा अध्यक्ष की अशोभनीय और असंसदीय टिप्पणी कोई भी आदमी दिल्ली विधानसभा की वीडियो रिकाॅडिंग निकलवाकर आसानी से देख सकता है। भाजपा सरकार और विधानसभा अध्यक्ष के सदन में आचरण से क्षुब्ध और आक्रोशित है। जल्दी ही इस मसले को लेकर भाजपा के लोग उपराज्यपाल महोदय से मिलेंगे और सरकार के विरूद्ध कार्यवाही की मांग करेंगे।

विधायक श्री ओमप्रकाश शर्मा ने कहा कि हम एक अजीब सदन के सदस्य हैं, अनेक सदनों में सदस्य आवेशवष अमर्यादित भाषा का प्रयोग कर जाते हैं पर इस सदन में विधानसभा अध्यक्ष अनेक बार अमर्यादित भाषा का प्रयोग करते हैं और फिर अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर उसे हटवा देते हैं। बजट सत्र में विपक्ष के माइक बंद करने का एक रिकाॅर्ड बना और नियम पुस्तिका का तो कोई महत्व ही नहीं बचा है। सरकार हर मसले में अपनी हठधर्मी करती है और यह तब तक चलता है जब तक न्यायालय का निर्णय सरकार की फजीहत नहीं कर देता।


विधायक श्री जगदीश प्रधान ने कहा कि सरकार अपने बजट को शिक्षा के लिये क्रांति का बजट बता रही है पर सदन में नये स्कूल खोलने पर 1 मिनट की भी चर्चा नहीं हुई। दिल्ली देहात हो या पूर्वी दिल्ली के यूपी से लगने वाले क्षेत्र हों सभी जगह स्कूलों का भारी आभाव है और बच्चे यूपी और हरियाणा के स्कूलों में पढ़ने जाने में बाध्य हैं।  

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