दिल्ली भाजपा ने केजरीवाल से पूछ 5 सवाल
केजरीवाल पार्टी की ए.बी.सी. अब साफ है ...एनारकी, बोगसनेस, चीटिंग
“दिल्ली सरकार को नहीं मालूम किस कानून में नियुक्त किये गये हैं 21 संसदीय सचिव“
डिफरेंस बता-बता कर सत्ता में आई आम आदमी पार्टी वाकई ही पार्टी विथ ए डिफरेंस साबित हो रही है।
आप के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने चुनाव पूर्व अपने प्रत्याशियों का परिचय कराते हुये कहा था कि हमारा हर प्रत्याशी आंतरिक लोकपाल द्वारा जांचा परखा है। जब फर्जी डिग्री मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर का मामला खुला तो श्री केरजीवाल ने कहा कि वे निर्दोष हैं और मैं तोमर के साथ हूँ। उन्होंने तोमर को गिरफ्तारी के बाद ही मंत्रिमंडल से निकाला।
अब विधायक मनोज कुमार को 2012 के धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। आश्चर्य का विषय है कि आंतरिक लोकपाल को यह मामला नहीं दिखा। साथ ही मनोज कुमार के वकील और आप नेता श्री एच एस फुलका ने मीडिया से साफ कहा है “विधायक को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया और जब भी उन्हें थाने बुलाया गया, वह जांच में शामिल हुये।“ इसका मतलब कानूनी भाषा में जो भी हो पर एक आम आदमी के लिए स्पष्ट है कि “आप“ नेतृत्व को भली भांति 2013 से ही पता था कि मनोज कुमार धोखाधड़ी मामले में लिप्त हैं फिर भी उन्हें टिकट दिया गया।
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शाहदरा के एक व्यापारी को धमकी देने का मामला तो जग जाहिर था ही अब कल विधानसभा की उपाध्यक्षा श्रीमती वंदना सिंह के पति द्वारा एक स्कूल प्रिंसिपल को धमकी देने का मामला सामने आया है। शायद इसी तरह शिक्षा नीति में परिवर्तन लायेगी केजरीवाल सरकार।
केजरीवाल पार्टी की ए.बी.सी. अब साफ है ...एनार्की, बोगसनेस, चीटिंग।
श्री केजरीवाल के विधायकों ने लगातार ए-एनार्की (अराजकता) का वातावरण बनाया है। अब विधायकों श्री अखिल त्रिपाठी एवं श्री संजीव झा ने बुराड़ी थाने पर हमला कर जो खेल शुरू किया उसे श्रीमती प्रोमिला टोकस, सुश्री राखी बिड़लान, श्री ऋतुराज, श्री जरनैल सिंह सहित अनेक विधायकों ने बखूबी आगे बढ़ाया है।
बी-बोगसनेस (फर्जीवाड़ा) का जितेन्द्र सिंह तोमर का फर्जीवाड़े साफ हैं और श्री सुरेन्द्र कमांडो, श्री विशेष रवि और कुछ अन्यों के सामने आने वाले हैं।
सी-चीटिंग एवं करपशन (धोखाधड़ी एवं भ्रष्टाचार) का विधायक मनोज कुमार का मामला अब साफ है और सुश्री राखी बिड़लान के रातों-रात अमीरी के किस्से सब ओर चर्चित हैं जिन्होंने अपने विधायक फंड से 10 गुना महंगे दामों पर सीसीटीवी लगवाये।
दिल्ली भाजपा मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल से अविलम्ब पांच सवालों का जवाब मांगती है।
1 अगर आप के आंतरिक लोकपाल ने सभी विधायकों की जांच की थी तो फिर तोमर की फर्जी डिग्री और मनोज कुमार की धोखाधड़ी जांच में कैसे बच निकली ?
2 क्या आप ने जानकारी में आने के बाद मनोज कुमार के मामले की आंतरिक लोकपाल से कोई जांच करवाई क्योंकि मनोज के वकील और आप के सहयोगी नेता श्री एच एस फुलका ने साफ कहा है कि मनोज लम्बे समय से पुलिस जांच में सहयोग कर रहा था ?
3 क्या आप ने जितेन्द्र सिंह तोमर और मनोज कुमार को विधानसभा से इस्तीफा देने को कहा है क्योंकि आप ने तो कहा था कि अगर किसी भी विधायक के खिलाफ कोई मामला सामने आयेगा तो हम उसको हटा देंगे ?
4 क्या आप अब अपने विधायकों की अराजकता, फर्जीवाड़ों और भ्रष्टाचार की जांच आप के आंतरिक लोकपाल से करा कर उन पर स्वतः कोई कार्रवाई करेंगे ?
5 क्या आप दिल्ली पुलिस को विधायकों श्री अखिलेश त्रिपाठी और श्री संजीव झा जिन्होंने अराजकता शुरू की थी और श्रीमती प्रोमिला टोकस जिन पर एक अनुसूचित जाति महिला से मारपीट आदि का मुकदमा दर्ज है उनकी गिरफ्तारी के लिए लिखेंगे ?
एक आर.टी.आई. जवाब का हवाला देते हुये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने पत्रकारों के समक्ष कहा कि यह अजब सरकार है जो खुद निर्णय लेती है उसके कानूनी पहलू को नजर अंदाज करती है इसका स्पष्ट उदाहरण है 25 जून, 2015 को दिल्ली के लक्ष्मी नगर निवासी श्री चेतन शर्मा को सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग से मिला जवाब।
श्री शर्मा ने विभाग से पूछा कि किस कानून के अंतर्गत दिल्ली में 21 संसदीय सचिव नियुक्त किये गये हैं और इनको शपथ आदि कैसे दिलाई जाती है ? उस पर दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने जवाब दिया कि हमारे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है।
स्मरणीय है कि इन संसदीय सचिवों की नियुक्ति के आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ने ही निकाला था।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि दिल्ली सरकार ने लोकतांत्रिक मर्यादाओं को लगातार क्षति पहुंचाई है और मुख्यमंत्री सहित सात मंत्रियों की तय सीमा वाली दिल्ली में 21 विधायकों को मंत्री समान संसदीय सचिव बनाना इसका साक्षात प्रमाण है।
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