”केजरीवाल सरकार द्वारा संवैधानिक व्यवस्थाओं की अनदेखी से राष्ट्रपति को अवगत कराया जायेगा“ - विजेन्द्र गुप्ता

नई दिल्ली, 24 जुलाई । दिल्ली विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज कहा कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवादों के कारण पिछले साढे पंाच मास से दिल्ली में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। इसका मुख्य कारण केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि उपराज्यपाल के प्रति केजरीवाल सरकार का दुव्र्यवहार ही है । श्री केजरीवाल अपनी संवैधानिक सीमाओं को ना समझते हुये अपनी डिक्टेटरशिप चलाना चाहते हैं । वह आज विधानसभा परिसर में भाजपा विधायक श्री ओमप्रकाश शर्मा तथा श्री जगदीश प्रधान के साथ पत्रकारों को सम्बोधित कर रहे थे ।

श्री गुप्ता ने कहा कि श्री केजरीवाल की हठधर्मिता तथा संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी के कारण दिल्ली सरकार में प्रशासन पूरी तरह ठप्प हो चुका है। जनता बेहाल है। भाजपा दिल्ली की जनता की दयनीय स्थिति को अब आगे और बर्दाश्त नहीं करेगी। श्री गुप्ता ने जानकारी दी कि भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल शीघ्र राष्ट्रपति महोदय से मिलकर उन्हें दिल्ली सरकार द्वारा संवैेधानिक व्यवस्थाओं की अनदेखी से अवगत करायेगा । उन्हेें यह भी बताया जाएगा कि किस प्रकार मुख्यमंत्री जानबूझकर उपराज्यपाल के संवैधानिक पद की गरिमा को ठेस पहुॅंचा रहे हैं । वे दिल्ली में संवैधानिक ढंग से कार्य करने के लिये दिल्ली सरकार को निर्देश देने की मांग करेेंगें। उन्होंने राष्ट्रपति महोदय से मिलने के लिये समय मांगा है ।

विपक्ष के नेता तथा सदस्यों ने कहा कि दिल्ली सरकार अपने संवैधानिक दायरे की सीमाओं को लांघकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं कि जैसे केन्द्र सरकार तथा उपराज्यपाल मुख्यमंत्री को काम नहीं करने देना चाहते, जबकि तथ्य इसके विरूद्ध हैं। दिल्ली पुलिस जब केन्द्र सरकार के अधीन आती है तब राज्य सरकार द्वारा उसके न्यायोचित कार्य संचालन में दखल देना कहां तक उचित है। वह कुमारी मीनाक्षी की दुःखद हत्या का खुलकर राजनीतिकरण कर रहे हैं । इस विषय पर विधान सभा का विशेष सत्र बुलाना राजनीति से प्रेरित है । वे केन्द्र सरकार को इस मामले में बिना बात के लिए घसीट रहे हैं ।  वे समझते हैं कि विशेष सत्र बुलाकर केन्द्र सरकार को जी भरकर कोसा जा सकता है तथा इसका राजनैतिक लाभ उठाया जा सकता है । श्री केजरीवाल ने 27 मई, 2015 को भी विशेष सत्र बुलाया था जिसमें केन्द्र सरकार के 21 मई की अधिसूचना पर बहस की गई थी । इस सत्र से कुछ भी हासिल नहीं हुआ था । इसीप्रकार 28 जुलाई को बुलाया जाने वाला सत्र भी किसी विशेष उद्देश्य को पूरा करने नहीं जा रहा है । यह समय तथा पैसे दोनों की बरबादी है क्योंकि इससे कुछ हासिल होने वाला नहीं है । श्री केजरीवाल विधान सभा चुनावों के दौरान अपने उस वायदे को भूल गये हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि आम आदमी पार्टी व्यापक स्तर पर महिला सुरक्षा दल अथवा महिला सुरक्षा फोर्स की स्थापना करेगी । 10,000 सदस्यों वाले होम गार्ड दल को यह दायित्व सौंपा जाएगा । अभी तक इस दिशा में कोई भी कार्य नहीें किया गया है ।

श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने अतिमहत्वपूर्ण बजट सत्र बुलाने में भी कार्य संचालन नियमावली तथा सदन की परंपराओं का पहले की भांति उल्लघंन कर रहे हैं । पांच महत्वपूर्ण अधिनियम बगैर सदन में चर्चा कराये विपक्ष की नामौजूदगी में पारित कराये गये। अब एक दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है। यह सत्र भी उसी तरह बेकार जायेगा क्योंकि सरकार की मंशा दिल्ली या दिल्ली की महिलाओं का हित नहीं बल्कि सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करना है।

मुख्यमंत्री भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी रहे हैं। उन्हें सरकार बनाने से पहले मालूम था कि दिल्ली की शासन व्यवस्था के लिये संविधान में अनुच्छेद 239 ए ए के तहत मुख्यमंत्री तथा उपराज्यपाल के दायित्व तथा सीमायें निर्धारित हैं। फिर मुख्यमंत्री हर रोज अपनी सीमायें लांघ कर जानबूझकर उपराज्यपाल के हवाले से केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हैं।

विपक्ष के नेता ने पूछा कि क्या दिल्ली सरकार जानबूझकर नित नये विवाद पैदा करती है ताकि वह जनता को गुमराह कर सके और मीडिया में स्थान पा सके। इसीलिए दिल्ली सरकार के इतिहास में पहली बार 526 करोड़ रूपये का प्रोपेगंडा फंड रखा गया है ताकि अपने असत्य कथनों द्वारा दिल्ली तथा देश की जनता को भ्रमित किया जा सके।

श्री गुप्ता ने कहा कि यदि सरकार दिल्ली का हित चाहती है तो वह विपक्ष की मौजूदगी में दिल्ली की जनता से संबन्धित समस्त मुद्दों जैसे-महंगाई, बिजली पानी के बढ़े दाम, बिजली कंपनियों द्वारा पुनः दाम बढाने की मांग, अनाधिकृत काॅलोनियों को नियमित करना तथा उन्हें सभी सुविधायें उपलब्ध कराना, गरीबों को सरकार के पास मौजूद 23000 पक्के मकान तुरन्त आवंटित करना, दिल्ली के लोगों को पेंशन की रूकी धनराशि हेतु धन आवंटित करना, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा आदि पर सदन मंे विस्तार से चर्चा कराये और तत्संबंधित कानून बनाये।

विपक्ष के सदस्यों ने पूछा कि क्या दिल्ली सरकार ने मीडिया में दिल्ली पुलिस की छवि धूमिल करने के लिये करोड़ों रूपये के विज्ञापन दिये हैं। क्या इससे दिल्ली तथा देश की पुलिस का मनोबल घटेगा नहीं? ऐसा करके क्या दिल्ली सरकार देश के अन्य राज्यों, जहां की भाजपा की सरकार नहीं है, वहां के मुख्यमंत्रियों को संविधान विरोधी कार्य करने के लिये उकसा रही है! क्या किसी मुख्यमंत्री द्वारा अपने ही राज्य के पुलिस बल को ठुल्ला जैसे घटिया शब्द से सम्बोधित करना मर्यादोचित् आचरण है?

विपक्ष के अनुसार दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष की कुर्सी पर असंवैधानिक ढंग से नियुक्ति की। ऐसा जानबूझकर किया गया ताकि संविधान तथा संवैधानिक व्यवस्था को नकारा जा सके।
श्री गुप्ता ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल शासन करने की क्षमता खो चुकें हैं। लगातार असंवैधानिक कार्य करके क्या वे दिल्ली में जानबूझकर संवैधानिक संकट उत्पन्न कर रहे हैं ताकि इस बार सरकार उन्हें बर्खास्त करे और वे देश भर में घूम-घूम कर प्रचार करे कि उनकी सरकार को काम नहीं करने दिया गया। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार हर रोज अखबारों, टीवी चैनलों, एफएम चैनलांे पर विज्ञापन दे रही है कि ”वो परेशान करते रहे, हम काम करते रहे”। सरकार जनता के बीच एक श्वेतपत्र जारी करके बताये कि पिछले साढे पांच महीने में उसने दिल्ली की जनता के लिये क्या क्या कार्य किये।

विपक्ष के नेताओं ने कहा कि किसी भी सरकारी विज्ञापन पर अंत में लिखा होना चाहिये ”जनहित में जारी”। दिल्ली सरकार के किसी भी विज्ञापन में ऐसा नहीं लिखा गया है। ये विज्ञापन जनता के पैसे पर मुख्यमंत्री और सरकार का सिर्फ महिमामंडन कर रहे हैं और जनता की सहानुभूति पाने के लिये जारी किये जाते हैं। यह सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है।

श्री ओ.पी. शर्मा तथा श्री जगदीश प्रधान ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार तीनों नगर निगमों को ग्लोबल शेयर का पैसा जानबूझकर नहीं दे रही है ताकि तीनों नगर निगम पैसे के अभाव में जनहित के कार्य न कर सकें और पूरी तरह से पंगु हो जायंे। सरकार दिल्ली चतुर्थ वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू क्यों नहीं कर रही है?

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