दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली अग्निशमन सेवा की लगातार आपराधिक उपेक्षा

अधिकारियों, कर्मचारियों एवं उपकरणों तथा संयंत्रों की भारी कमी ।
कमियों के चलते कर्मियों की शहादत व दुर्घटनाओं का सिलसिला जारी

विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने आज विधानसभा की बैठक में दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली अग्निशमन सेवा की आपराधिक उपेक्षा की ओर ध्यान आकर्षित किया । उन्होंने इस अत्यन्त महत्वपूर्ण सेवा में अग्निशमन अधिकारियों व कर्मचारियों की भारी कमी तथा अग्निशमन सेवा के लिए आधुनिक उपकरणों ही नहीं अपितु इस कार्य में आने वाले बेसिक यंत्रों की अनुपलब्धता की ओर भी सरकार का ध्यान दिलाया । 
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि इन कमियों के चलते गत सप्ताह विकासपुरी अग्निकांड में श्री हरिओम व श्री हरिसिंह मीणा शहीद हो गए। उन्होंने कहा कि उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि सरकार अग्निशमन सेवा के अविलम्ब रिक्त पद भरकर और नए उपकरण व संयंत्र खरीद कर अग्निशमन सेवा को सुदृढ़ बनाए । यदि अग्निशमन सेवा के पास पर्याप्त उपकरण होते तो ये साहसिक जाबांज कर्मी आज हमारे बीच होते ।
  विपक्ष के नेता ने कहा कि दिल्ली के विस्तार को देखते हुए अग्निशमन अधिकारियों व कर्मचारियों की संख्या व गाडि़यों व उपकरणों में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है । दोनों की स्थिति वही है जो आज से 30 साल पहले थी । आम आदमी सरकार ने दो वर्ष के कार्यकाल में इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है । अग्निशमन की गाडि़यों में बेसिक यंत्र जैसे फावड़ा, खुदाल, कुंडी तक अक्सर नहीं होते हैं । 100 वाटर टैंकर गाडि़यों में से 20 में ही मात्र पम्प सिस्टम लगा है । हर गाड़ी में होज़ पाईप की रील होनी चाहिए । परन्तु चिन्ता का विषय है कि मात्र 10 गाडि़यों में ही ये रीलें लग रही हैं । बताया जाता है कि अग्निशमन सेवा के पास 300 गाडि़यां हैं, परन्तु तथ्य यह है कि इस संख्या में साईकिले, मोटर साईकिलें व प्रशासनिक सेवाओं संबंधित गाडि़यां भी सम्मिलित हैं । फायर फाईटिंग सूट, बड़ी टार्च, रेडियो, टेलीफोन, लाइटयुक्त फायर फाइटिंग हेल्मेट, मोटे रबर के दस्ताने  और जूते, केमिकलयुक्त सूट (ताकि आग उस शूट पर असर न करें), रेडियो एक्टिव पदार्थों की जांच के लिए डिटेक्टर, उंची मंजिल पर आम लगने पर फंसे लोगों को नीचे उतारने के लिए आवश्यक उपकरण आदि का जबरदस्त अभाव है । 
फायर ब्रिगेड की वर्कशॉप की हालत अत्यन्त खस्ता है । स्टॉफ और आवश्यक सामग्री की भारी कमी है । गत 25 वर्षों में कोई नई भर्ती नहीं हुई है । 
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि जो-जो अधिकारी व कर्मचारी सेवानिवृत होते जा रहे हैं, उनके स्थान पर नई नियुक्तियां नहीं हो रही हैं । 

उपराज्यपाल के सम्बोधन में भविष्य की योजनाएं तथा सरकार को दिशानिर्देश नहीं
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने आज विधानसभा में कहा कि उपराज्यपाल द्वारा विधानसभा में कल दिए गए सम्बोधन में भविष्य की योजनाओं व दूरदृष्टि का नितान्त अभाव रहा । इसमें सरकार के लिए कोई दिशानिर्देश तय नहीं किए गए । यह तो ऐसा सम्बोधन था, जिसमें केजरीवाल सरकार  की कथित उपलब्धियों का ब्यौरा दिया गया था । इसमें कुछ भी नया नहीं था क्योंकि सरकार विज्ञापनों के माध्यम से ये बातें पहले से ही प्रचारित कर चुकी थी । 
विपक्ष के नेता ने कहा कि उपराज्यपाल का अभिभाषण काफी निराशाजनक था गया हो । सरकार के सामने भविष्य के लिए अपनी नीतियां प्रस्तुत करने का एक यह स्वर्ण अवसर था, परन्तु सरकार ने इसको गवॉं दिया । 
यद्यपि दिल्ली की एक तिहाई से भी अधिक आबादी अनधिकृत कालोनियों, झुग्गी-झोंपड़ी समूहो, पुर्नवास बस्तियों तथा स्लम कटरों में रहती हैं, परन्तु सरकार ने उपराज्यपाल के माध्यम से इन क्षेत्रों के विकास के लिए कोई कारगर व विस्तृत योजना पेश नहीं करी । 
विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि स्वराज बजट तथा मोहल्ल सभाएं सरकार की दृष्टि से अब ओझल हो चुकी हैं । चुनावी घोषणपत्र में भी किए गए वायदे फीके पड़ गए हैं । आम आदमी कैंटीन खोलने का सपना अब तक साकार नहीं हुआ है । ऐसे में सरकार से कुछ आशा करना व्यर्थ है । 
विपक्ष के नेता ने कहा कि उपराज्यपाल के सम्बोधन में कुछ भी नया नहीं है, स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण, रैन बसेरों, जल आपूर्ति, अवजल निष्पादन इत्यादि जैसे मूलभूत मसलों में सरकार ने कोई नया दृष्टिकोण नहीं प्रस्तुत किया है । केवल कुछ किए गए कामों का ही बखान किया है । इससे यही आभास होता है कि गत दो वर्ष में सरकार का जनता के प्रति समर्पण फीका पड़ता जा रहा है । 
विपक्ष के नेता ने कहा कि कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि सरकार के पास नई दृष्टि का नितान्त अभाव है । इसके चलते दिल्ली के स्वस्थ व सम्पूर्ण विकास के लिए आशा करना बेमानी होगी ।    

‘‘ केजरीवाल सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल में 60 करोड़ रू0 के आवंटन के बावजूद भी गरीबों के लिए खोले जाने वाले आम आदमी कैैटिनों का अता-पता नहीं ’’

आज दिल्ली विधान सभा में बोलते हुए विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने दो वर्ष के कार्यकाल में अभी तक कोई आम आदमी कैंटीन नहीं खोला है । चालू वित्त वर्ष में इन कैंटिनों के लिए 10 करोड़ और गत वित्त वर्ष में 50 करोड़ रू0 का प्रावधान रखा था ।  ये कैंटीन अस्पतालों, कार्यालय केन्द्रों, स्लम बस्तियों, औद्योगिक क्षेत्रों, मार्केटों तथा शैक्षिक संस्थानों में खुलने थे । उन्होंने पूछा इस विषय में क्या कदम उठाये गये हैं । 
श्री गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा इन कैंटीनों के माध्यम से 10 लाख मजदूर, 5 लाख हाकरों और 4 लाख से ज्यादा झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में रहने वाले लोगों को सुबह और शाम का पौष्टिक नाश्ता तथा दोपहर और रात्रि का भोजन उपलब्ध कराना था । इनकी कीमत मात्र 5 से 10 रूपये आनी थी । आम आदमी पार्टी की निष्क्रियता के चलते गरीब लोगों की आशा और धैर्य अब समाप्त हो गया है ।  
विपक्ष के नेता ने कहा कि इन कैंटीनों को सितम्बर  2015 से चालू हो जाना था, परंतु, डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी केजरीवाल सरकार आज तक इन कैंटिनों को खोलने में असफल रही  है । केजरीवाल सरकार ने सफलतापूर्वक चलाये जा रहे जनाहार कैंटिनों को बंद करने में बहुत फुर्ती दिखाई । इन कैंटिनों के माध्यम से हजारों जरूरतमंदों को 15 रू0 प्रति थाली की दर से खाना उपलब्ध कराया जा रहा था ।  श्री गुप्ता ने कहा कि यद्यपि अब बहुत देर हो चुकी है और गरीब लोग आस खो चुके हैं यथापि दिल्ली सरकार समाज में कमजोरों वर्गों के प्रति लेशमात्र भी संवेदनशीलता बची है तो वह अविलंब उन्हें आम आदमी कैंटीनों का दिया गया सपना साकार कर उनके पेट भरने का प्रबंध करें । 

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