गाँवों का लाल डोरा क्षेत्र बढ़ाया जाए - विजेन्द्र गुप्ता

दिल्ली के 360 गाँवों के समग्र विकास के लिए नीतिगत योजना बनाकर दिल्ली सरकार लागू करे, किसानों को पर्याप्त मुआवजा तथा उनके बच्चों को नौकरियों में आरक्षण दे 

नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार से माँग की है कि वह राजधानी के 360 गाँवों के समग्र विकास और लाखों ग्रामवासियों के उन्नयन के लिए एक ठोस नीति बनाकर लागू करे ताकि दिल्ली देहात का चेहरा भी षहरी दिल्ली की तरह हो जाए । 

उन्होंने बताया कि आज भी दिल्ली में लगभग 3,00,000 एकड़ भूमि पर खेती होती है । दिल्ली के लगभग 250 ग्रामीण गाँवों की अर्थव्यवस्था अभी भी कृशि पर ही आधारित है । जबतक गाँववासियों को देष के अन्य उन्नत राज्यों के गाँवों की तरह सभी सरकारी सुविधायें नहीं मिलतीं, दिल्ली का सर्वांगीण विकास असंभव है । सभी गाँवों का लाल डोरा क्षेत्र बढ़ाने की माँग करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से कहा कि वे किसान  तथा गाँव विरोधी दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम की धारा 81 को तुरंत समाप्त करें । गाँववासियों को यह सुविधा दी जाए कि जिस किसान के पास 8 एकड़ से कम भूमि है, वह किसान इस भूमि का भी विक्रय या खरीद कर सके । 

श्री गुप्ता ने दिल्ली सरकार से माँग की कि इस वर्श बेमौसम बरसात से बर्बाद हुई फसल का उचित मुआवजा दिल्ली के सभी किसानों को दिया जाए । अभी जो मुआवजा दिया जा रहा है, उससे किसानों की क्षतिपूर्ति नहीं हो रही है । किसानों को मुआवजे की रकम का जो चैक सरकार द्वारा दिया गया है, उसपर जून 2015 की तारीख पड़ी है । चैक उन्हें कई महीना बीत जाने के बाद दिया गया । बैंकिंग के नियमों के अनुसार कोई भी चैक तीन महीने तक ही वैध रहता है । किसानों को जब चैक मिले, उनकी वैधता समाप्त हो गयी थी । किसान चैकों को नयी तिथि डालकर बदलवाने के लिए राजस्व अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। एक मेज से दूसरी मेज और एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय तक चक्कर काटकर किसान परेषान हो गये हैं । उनकी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है । 

पंडवाला, कराला, बवाना, नरेला, कंझावला, अलीपुर, नजफगढ़, मटियाला, कापसहेड़ा, कुतुबगढ़ सहित कई दर्जन गाँवों के किसान मुआवजे की रकम का भुगतान न होने के कारण अपने परिवार का पालन-पोशण नहीं कर पा रहे हैं । किसानों की माँग है कि उनके बच्चों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाए । ज्ञात हो कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने दिल्ली में किसानों की खेती की भूमि पर पैदावार करने को कृशि उपज मानने से इंकार कर दिया था । दिल्ली में देहात का अस्तित्व स्वीकारने से ही पूर्व मुख्यमंत्री षीला दीक्षित ने इंकार कर दिया था । इसके बाद किसानों को मिलने वाली सारी सुविधायें स्वतः समाप्त हो गयी थीं । यदि कोई किसान अपनी उपज की सिंचाई के लिए ट्यूबवैल लगवाता था तो उसे हवालात में डालकर उसपर अवैध भूजल निकासी का मुकदमा दर्ज कर दिया जाता था । 

श्री गुप्ता ने दिल्ली सरकार से माँग की कि कांग्रेस सरकार के जमाने में किसानों और गाँववासियों पर अवैध जल निकासी के जितने मुकदमें कायम किये गये थे, उन्हें वापस लें । गाँवों में जो भूमिहीन किसान हैं, उन्हें पक्के मकान बनाकर देने और रोजी रोटी के लिए बैंकों से सस्ती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराने की माँग भी उन्होंने की है । गाँवों के बुजुर्गों को प्रतिमास 3000 रुपये पैंषन देने की माँग करते हुए श्री गुप्ता ने कहा कि गाँवों में चारागाह के लिए छोड़ी गयी जमीन गाँववासियों को सरकार वापस लौटाये ।
 

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