दिल्ली (समयबद्ध सेवा प्रदानार्थ नागरिक अधिकार) संषोधन विधेयक, 2015 आनन-फानन में विधानसभा में लाया गया - विजेन्द्र गुप्ता

क्षतिपूर्ति की दरें निर्धारित किये बिना बिल लाना सर्वथा अनुचित
 विपक्ष के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज कहा कि केजरीवाल सरकार द्वारा  ‘‘दिल्ली (समयबद्ध सेवा प्रदानार्थ नागरिक अधिकार) संषोधन विधेयक, 2015‘‘ बिना किसी विस्तृत तथा गहन तैयारी के विधानसभा में लाया गया है । उन्होंने कहा कि सरकार की मंषा इस संषोधित विधेयक के माध्यम से नागरिकों को सेवा में विलम्ब होने पर क्षतिपूर्ति दिलाने के बजाये सस्ती वाहवाही लूटने की है । संषोधित बिल में मूल रूप से लापरवाही की गयी है और इसे आनन-फानन में सदन के समक्ष लाया गया है ।
श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में उनकी पार्टी विपक्ष में हैं और उनकी पार्टी सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाना चाहती है । दिल्ली की जनता के हित के लिए वह अपने कत्र्तव्य का निर्वाह करते हुए उन्होंने प्रस्तावित संषोधनों में मौजूद कमियों की ओर सदन का ध्यान आकर्शित किया । उन्होंने सदन के माननीय सदस्यों से विपक्ष के सुझाव पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि प्रस्तावित धारा 7 में नागरिकों को समय पर सेवायें न प्रदान करने की दषा में उन्हें क्षतिपूर्ति करने का प्रावधान प्रस्तावित है । मूल विधेयक में विलम्ब होने पर 10 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से और अधिकतम 200 रुपये का भुगतान क्षतिपूर्ति के रूप में करने का प्रावधान है । इसे संषोधित करने के लिए वर्तमान विधेयक लाया गया है । इसमें कहा गया है कि विलम्ब के लिए सरकार क्षतिपूर्ति की दर सर्विस वाइज अथवा विभाग वाइज अथवा सामान्य रूप से निर्धारित करेगी । इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने अभी तक दरें निर्धारित नहीं की है । जब दरें ही निर्धारित नहीं की गयी है तो इस संषोधन को लाने का क्या औचित्य है । श्री गुप्ता ने पूछा कि क्या सरकार संषोधन के बाद पुनः संषोधन लेकर आयेगी ?
श्री गुप्ता ने आगे कहा कि इस संषोधन की आत्मा को नागरिकों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति ही है । जब आपने आत्मा का ही निर्धारण नहीं किया तो षरीर का क्या लाभ । मतलब जब आपने क्षतिपूर्ति की दरें ही निर्धारित नहीं की तो इस संषोधन को लाने का क्या लाभ है ?
श्री गुप्ता ने कहा कि जब तक हम इस विधेयक को अधिकारियों एवं कर्मचारियों की एनुअल ऐपरेज्ल रिपोर्ट से नहीं जोड़ेंगे तब तक मात्र आर्थिक पेनल्टी से कुछ नहीं होने वाला है । इस विधेयक के विभिन्न प्रावधानों को कार्यान्वित करने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों में जब तक डर नहीं होगा तब तक सरकार इसका प्रभावकारी क्रियान्वयन नहीं कर सकती है । श्री गुप्ता ने कहा कि जो अधिकारी या कर्मचारी नियमित रूप से लापरवाही करते हुए पाये जाएं, उच्च अधिकारियों द्वारा उनकी वार्शिक रिपोर्ट में एन्ट्री दर्ज करायी जाए ।

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