भाजपा नेताओं ने दिल्ली सरकार को निगम फंड के मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा की दी चुनौती



दिल्ली सरकार जनता के हित में नगर निगमों की बकाया राशि के भुगतान के साथ-साथ चैथे वित्त आयोग की रिपोर्ट आगामी विधानसभा सत्र में सदन पटल पर रखकर उसके अनुरूप नगर निगमों का भुगतान करें
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर।  दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय तथा दिल्ली के तीनों नगर निगमों के महापौर श्री सुभाष आर्य, श्री रविन्द्र गुप्ता एवं श्री हर्ष मल्होत्रा ने आज एक संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में कहा कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार निहित राजनीति स्वार्थों के चलते निगम सेवाओं को ठप्प करने के प्रयास कर रही है जिसका परिणाम दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है। 

श्री उपाध्याय एवं तीनों महापौरों ने दिल्ली सरकार को चुनौती दी है कि वह नगर निगमों के महापौरों एवं प्रतिनिधियों के साथ सार्वजनिक मंच पर बैठ कर चर्चा करें ताकि जनता के सामने सच उजागर हो कि केजरीवाल सरकार भी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह ही नगर निगमों के फंड रोक कर उनकी सेवाओं को पंगू बनाने का राजनीतिक खेल खेल रही है।



प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि केजरीवाल सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का उल्लंघन कर नगर निगमों को आवश्यक आर्थिक संसाधन उपलब्ध नहीं करा रही है।  सभी विषमताओं के बावजूद नगर निगम, दिल्ली की जनता को स्वच्छता, प्राथमिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवायें दे रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि यह अजीब परिस्थिति है कि राजनीतिक गुणाभाग के खेल के चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल उपराज्यपाल को पत्र लिखकर नगर निगमों की कमजोर आर्थिक स्थिति को स्वीकारते हैं, उनसे डी.डी.ए. पर देय सम्पत्ति कर नगर निगमों को दिलवाने का अनुरोध करते हैं पर स्वयं अपने अंतर्गत आने वाले विभागों दिल्ली ट्रांस्को, मेट्रो रेल, जल बोर्ड, पावर डिस्कोम, डी.टी.सी. एवं वैट विभाग आदि पर बकाया सम्पत्ति कर के विषय पर मौन साधे बैठे हैं। 

श्री उपाध्याय ने कहा है कि बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल ओछी राजनीति करने की बजाये दिल्ली जनता के हित में नगर निगमों की बकाया राशि के भुगतान के साथ-साथ चैथे वित्त आयोग की रिपोर्ट आगामी विधानसभा सत्र में सदन पटल पर रखकर उसके अनुरूप नगर निगमों को भुगतान करें।

तीनों महापौरों ने पत्रकारों के समक्ष अपने अपने नगर निगम के दिल्ली सरकार पर बकाया का विवरण रखा और कहा कि तीनों नगर निगम अपने आय के मुख्य साधन सम्पत्ति कर की वसूली करने के लिए पूरे प्रयास कर रहे हैं। पिछले वित्त वर्षों के मुकाबले इस वर्ष के पहले 6 माह में सम्पत्ति कर का राजस्व बढ़ाया भी है और इसी के साथ तीनों नगर निगम आवश्यक मुनिसिपल रिफोर्म भी तेजी से लागू कर रहे हैं पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार नगर निगमों के साथ दुव्र्यवहार कर रही है जिसका परिणाम निगम सेवाओं में कभी-कभी दिखता है।  सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जैसे विषय पर केजरीवाल सरकार ने पहले भी राजनीति की और आज भी राजनीति ही कर रही है।

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर श्री हर्ष मल्होत्रा ने कहा दिल्ली नगर निगम को जब 2012 में तीन निगमों में बांटा गया उसी वक्त यह सर्व विदित था कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम की वित्तीय स्थिति बेहद कमजोर है।  जिसके चलते निगम बटवारे के समय 400 करोड़ रूपया कर्मचारी मद में और 200 करोड़ रूपया ठेकेदारों के मद में देने के साथ-साथ ऋण माफ करने का निर्णय हुआ था जोकि आज तक लागू नहीं किया गया।  इसी तरह पूर्वी दिल्ली नगर निगम का लगभग 161 करोड़ रूपया दिल्ली ट्रांस्को पर, 30 करोड़ रूपया पावर डिस्कोम पर, 25 करोड़ रूपया दिल्ली जल बोर्ड पर और 18 करोड़ रूपया दिल्ली मैट्रो पर बकाया है। 


पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने सभी विषमताओं के बावजूद मुनिसिपल रिफोर्म लागू करने के लिए पूरी तत्परता से कार्य किया है पर 2012 से आज तक दिल्ली सरकार ने पूर्वी दिल्ली निगम का मुनिसिपल रिफोर्म फंड नहीं दिया है और लगभग 300 करोड़ रूपया बकाया है।  इसके अतिरिक्त 76.56 करोड़ रूपया दिल्ली सरकार से घोषित अनुदान राशि का भी बकाया है।

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर श्री रविन्द्र गुप्ता ने कहा कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम के माध्यम से जहां हम स्वच्छता, स्वास्थ्य और शिक्षा की प्राथमिक सेवायें दे रहे हैं वहीं बाड़ा हिन्दू राव एवं कस्तूरबा गांधी अस्पताल जैसे दो विशाल अस्पतालों के माध्यम से हम दिल्ली की जनता की सेवा कर रहे हैं।  इस के अतिरिक्त उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने मुनिसिपल रिफोर्म लागू करने में भी तत्परता से काम किया है, हमारी अनेकों सवायें आॅन लाइन हैं और हम सेवाओं में सतत् सुधार के लिए कृतसंकल्प हैं।  उन्होंने बताया कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम को 2012 से अब तक मुनिसिपल रिफोर्म का पैसा नहीं मिल रहा है जोकि लगभग 372 करोड़ रूपये है। पावर डिस्काॅम पर लगभग 600 करोड़ रूपया बकाया है।  यूनिट एरिया सम्पत्ति कर लागू करने में हुई क्षति की मुआवजा राशि लगभग 476 करोड़ रूपये जो 2009 से दिल्ली सरकार पर बकाया है।  शिक्षा अनुदान का बकाया लगभग 158 करोड़ रूपये, जल बोर्ड पर बकाया लगभग 269 करोड़ रूपये हैं।  इसके अतिरिक्त दिल्ली सरकार की सांझेदारी के पावर डिस्काॅमों ने 36 करोड़ रूपया सम्पत्ति कर देना है जिसको न्यायालयों मे विवादित बनाकर टालमटोल की जा रही है।

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के महापौर श्री सुभाष आर्य ने कहा कि दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अपने संसाधनों को जुटाकर दिल्ली की जनता को बेहतर जनसुविधायें देने के लिए कार्य कर रहा है पर दिल्ली सरकार द्वारा आर्थिक संसाधनों को नियमित रूप से न देने के कारण सेवायें सुचारू रखने पर कुप्रभाव पड़ता है।  दक्षिणी दिल्ली नगर निगम का दिल्ली ट्रांस्को पर  33 करोड़ रूपये, पावर डिस्काॅम पर 51 करोड़ रूपये, दिल्ली जल बोर्ड पर 9.57 करोड़ रूपया सम्पत्ति कर बकाया है।  इसके अतिरिक्त 2014-15 का 215 करोड़ रूपये घोषित अनुदान का, मुनिसिपल रिफोर्म फंड का 570 करोड़ रूपये तो दिल्ली सरकार पर सम्पत्ति कर का 800 करोड़ रूपये बकाया है। 

श्री आर्य ने कहा कि चैथे वित्त आयेग की रिपोर्ट 2013 से लम्बित है और उसको 2013 से लागू किया जायेगा तब दक्षिणी दिल्ली को लगभग 2700 करोड़ रूपये अतिरिक्त, उत्तरी दिल्ली को लगभग 2700 करोड़ रूपये एवं पूर्वी दिल्ली को लगभग 3000 करोड़ रूपये बकाया देना होगा। 

तीनों महापौरों ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार सही मायने में दिल्ली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की राजधानी के रूप में विकसित करना चाहती है तो नगर निगमों को आर्थिक रूप से पुष्ट करे ताकि वह जनता को स्वचछता, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधायें प्रदान करने के साथ-साथ दिल्ली को हरित बनाने के कार्य एवं प्रदूषण मुक्त करने में अपना सहयोग दे सकें।

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