निजी बिजली कम्पनियों द्वारा दिल्ली की लूट में कांग्रेस और आप दोनों सरकारें शामिल - सतीश उपाध्याय

विगत 13 वर्षों से दिल्ली सरकार एवं निजी कम्पनियांे की सांझेदारी की बिजली डिस्काॅमों द्वारा जनता की लूट की हो सी.बी.आई. जांच-सतीश उपाध्याय

नई दिल्ली, 18 अगस्त।  भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा है कि आज दिल्ली के एक अखबार में दिल्ली की निजी बिजली कम्पनियों के सी.ए.जी. आॅडिट से संबंधित जो समाचार छपा है वह काफी चिंता जनक है और उसे पढ़कर ऐसा स्पष्ट दिखता है कि यह निजी बिजली कम्पनियां लगातार दिल्ली की जनता को लूटती रही हैं और इस लूट में तत्कालीन कांग्रेस एवं वर्तमान आम आदमी पार्टी सरकार भी सम्मिलित रही हैं।  उन्होंने कहा है कि भाजपा मांग करती है कि विगत 13 वर्ष में दिल्ली सरकार एवं निजी कम्पनियों की 49: 51 सांझेदारी में चल रही बिजली डिस्काॅम, संबंधित सरकारी मंत्रियों और उनके बोर्डों में सरकारी निर्देशकों के साथ-साथ डी.ई.आर.सी. की भूमिका की भी सी.बी.आई. जांच कराई जाये।  भाजपा ने मांग की है कि दिल्ली सरकार तुरन्त यह बताये कि जनता से लूटा गया पैसा किस प्रकार वापस मिलेगा।

डी.ई.आर.सी. की भूमिका भी समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट के आधार पर संदिग्ध दिखाई देती है।  इसी तरह दिल्ली सरकार द्वारा गत माह फ्युल सरचार्ज के नाम पर बिजली कम्पनियों द्वारा दरों में 6 प्रतिशत की वृद्धि होने देना और सत्ता में आते ही 1800 करोड़ रूपया डिस्काॅम को देना केजरीवाल सरकार को भी कटघरे में खड़ा करते हैं।  अगर इन्हें निजी कम्पनियों की धांधली के बारे में मालूम था जैसा श्री केजरीवाल प्रचारित करते रहे हैं तो फिर 1800 करोड़ रूपया क्यांे दिया था।

विगत 13 वर्षों से भाजपा लगातार दिल्ली की सत्ता से बाहर है और हमनें समय-समय पर दिल्ली विधानसभा में तथा सार्वजनिक प्रदर्शनों के माध्यम से निजी बिजली कम्पनियों की धांधलियों एवं तत्कालीन और वर्तमान सरकार की भूमिका पर प्रश्न खड़े किये हैं।  भाजपा ने विगत दो चुनावों के अपने घोषणा पत्र में दिल्ली में बिजली दरें कम करने का वायदा किया और हमनें लगातार कहा है कि अगर धांधली रोक दी जाये तो बिजली के दाम कम किये जा सकते हैं।

श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह रिपोर्ट अभी तक औपचारिक रूप से न तो सी.ए.जी. ने न ही दिल्ली सरकार ने जारी की है।  ऐसे में अब यह बहुत आवश्यक है कि इस रिपोर्ट को संबंधित अधिकारी प्रमाणित करें और दिल्ली सरकार तुरन्त विधानसभा के पटल पर सी.ए.जी. की रिपोर्ट को रख कर सार्वजनिक चर्चा कराये ताकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार एवं वर्तमान सरकार द्वारा निजी बिजली कम्पनियों के बोर्ड पर नामांकित सरकारी मनोनीत निर्देशकों की भूमिका भी सामने आये।

श्री उपाध्याय ने कहा है कि ऐसा कैसे मुमकिन है कि पिछले 13 वर्ष से दिल्ली में निजी बिजली कम्पनियों की धांधलियां चल रही थीं और सरकार बेखबर थी।  यह रिपोर्ट शीला दीक्षित सरकार की भूमिका विशेषकर विद्युत मंत्री रहे श्री हारून यूसुफ एवं श्री अरविन्दर सिंह लवली की भूमिका पर बड़े प्रश्न चिन्ह लगाती है।

श्री उपाध्याय ने कहा है कि अगर इस रिर्पोट को प्रमाणिक माना जाये तो डी.ई.आर.सी. की भूमिका पर भी बड़े सवाल उठते हैं।  यह जांच का विषय है कि डी.ई.आर.सी. किस तरह विद्युत खरीद दरों, प्रभारों, कैरियर कोस्ट आदि पर चुप्पी साधे रही और डी.ई.आर.सी. में दिल्ली की वर्तमान अरविन्द केजरीवाल सरकार के रहते किस तरह डी.ई.आर.सी. ने फ्यूल सर चार्ज के नाम पर 6 प्रतिशत वृद्धि होने दी।


श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह अपने आप में संदेह का विषय है कि घाटे के नाम पर जो रिलायन्य कम्पनी मेट्रो सेवा काॅन्ट्रेक्ट तीन वर्ष में ही छोड़ देती है वह घाटे के बावजूद 13 सालों से लगातार बिजली कम्पनियां चला रही है।

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