दिल्ली में जन वितरण प्रणाली में 100 करोड़ से अधिक का घोटाला, केजरीवाल सरकार चुप क्यों? -

विजेन्द्र गुप्ता ने उपराज्यपाल से राषन घोटाले की उच्चस्तरीय निश्पक्ष जाँच की माँग की 

नई दिल्ली, 12 जनवरी। नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार के षासन में जन वितरण प्रणाली में लगभग 100 करोड़ रुपये का घोटाला किया जा चुका है । उन्होंने कहा कि दिल्ली में जन वितरण प्रणाली पूरी तरह विफल हो गयी है । जरूरतमंदों को सस्ता राषन न मिलकर कालाबाजार की भंेट चढ़ रहा है । इस पूरी विफलता और भ्रश्टाचार के लिए दिल्ली सरकार दोशी है । इसकी सारी जानकारी मुख्यमंत्री और खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री को है । चूँकि भ्रश्टाचार के तार ऊपर तक जुड़े हुए हैं इसलिए सबकुछ जानते हुए भी सरकार ने आज तक भ्रश्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है । श्री गुप्ता ने उपराज्यपाल से माँग की है कि वे इस घोटाले की समयबद्ध जाँच किसी निश्पक्ष एजेंसी से कराकर दोशियों को दंडित करें । पत्रकार वार्ता में भाजपा विधायक श्री ओ. पी. षर्मा व जगदीष प्रधान भी मौजूद थे । उन्होंने भी दिल्ली में राषन वितरण प्रणाली में चल रहे भारी भ्रश्टाचार का खुलासा किया ।
घोटाले का विस्तृत ब्यौरा नेता प्रतिपक्ष ने आज पत्रकारों को दिया । उन्होंने बताया कि जनवरी, 2016 में 12 दिन बीत गये हैं, लेकिन दिल्ली सरकार ने केन्द्र सरकार से कोटा जारी होने के बाद भी अभी तक कुल आवंटित चीनी के कोटे का सिर्फ 20 प्रतिषत हिस्सा ही राषन दुकानदारों को जारी किया है । सरकारी आँकड़ों के अनुसार जन वितरण प्रणाली का कुल 52 प्रतिषत हिस्सा कालाबाजार में सीधे बेच दिया जाता है । दिल्ली में इस समय कुल 2485 राषन की दुकानें हैं,  जिनके जरिये आम जनता को गेहूँ, चावल, चीनी का वितरण किया जाता है । विभाग के इंस्पेक्टर से लेकर आयुक्त तथा मंत्री तक को भेंट चढ़ाने के बाद ही राषन का कोटा जारी किया जाता है । यह भेंट प्रति दुकान न्यूनतम 5,000 रुपये महीने से लेकर 12,000 रुपये महीने तक है । इसके बगैर किसी भी कोटेदार को राषन आवंटित नहीं किया जाता है ।
जन वितरण प्रणाली के तहत दिल्ली में अब तक सिर्फ 72,06,962 लोगों को राश्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के दायरे में लिया गया है । इसके लिए 19,61,794 परिवारों को राषन कार्ड जारी किये गये हैं । राषन कार्ड जारी करने में भी भारी घोटाला सरकारी मषीनरी से मिलीभगत करके किया गया है । खाद्य सुरक्षा के दायरे में आने के लिए राषन कार्ड बनवाने के लिए सिर्फ आधार कार्ड की जरूरत होती है । दिल्ली में बने कुल 19,61,794 राषन कार्डों में से लगभग 40 प्रतिषत राषन कार्ड फर्जी हैं । ये कार्ड दिल्ली के बाहर के लोगों के आधारकार्ड के आधार पर बनाये गये हैं । बाहर के आधार कार्डों में दिये गये पतों में हेरा-फेरी करके खाद्य विभाग के दस्तावेजों में उन आधार कार्डों में दिल्ली का पता दिखाया गया है । ऐसे राषन कार्डों पर सारा राषन जारी किया दिखाकर सीधे कालाबाजार में बेच दिया जाता है । जागरूक लोगों की लगातार षिकायत और अदालत में जाने की धमकी दिये जाने के बाद खाद्य विभाग ने फर्जी राषन कार्डों का गुपचुप पता लगाने के लिए विभागीय वरिश्ठ लोगों को लगाया तो अभी तक 6,53,000 फर्जी राषन कार्ड  पकड़ में आये हैं । यदि सख्ती से जाँच की जाए तो यह संख्या बढ़कर लगभग 9,00,000 हो जाएगी ।
दिल्ली में अंत्योदय अन्न योजना, गरीबी की रेखा के नीचे अर्थात बी.पी.एल योजना, गरीबी की रेखा से ऊपर अर्थात ए.पी.एल. योजना, झुग्गी राषन कार्ड अर्थात जे.आर.सी. , पुनर्वास काॅलोनी राषन कार्ड योजना अर्थात आर.सी.आर.सी. के तहत पाँच प्रकार के राषन कार्ड जारी किये गये थे । 1 सितम्बर, 2013 से षुरू हुए राश्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अब एन.एफ.एस. कार्ड जारी किये गये हैं । इसके तहत लाल कार्ड और सफेद कार्ड उपभोक्ताओं को दिये गये हैं । लाल कार्ड जिसे अंत्योदय अन्न योजना के तहत जारी किया गया है, पर हर महीने 25 किलो गेहूँ, 10 किलो चावल और 6 किलो चीनी दी जाती है । इनका मूल्य क्रमषः 2 रुपया, 3 रुपया और 13.50 रुपया निर्धारित किया गया है । सफेद कार्ड पर 4 किलो गेहूँ, 1 किलो चावल प्रति व्यक्ति दिया जाता है । इस कार्ड को प्रायरिटी कार्ड कहते हैं । एक और कार्ड प्रायरिटी सीनियर जिसे बीपीएल कार्ड भी कहते हैं । इस कार्ड पर प्रति सदस्य 4 किलो गेहूँ, 1 किलो चावल तथा 6 किलो चीनी प्रति कार्ड दिया जाता है ।

विधायक श्री ओ पी षर्मा और श्री जगदीष प्रधान ने बताया कि इस समय दिल्ली में मौजूद कुल 2,485 राषन दुकानों में से 0 से 50 क्विंटल कोटा लेने वाले दुकानदारों की संख्या 5.82 प्रतिषत है । 50 से 100 क्विंटल कोटा उठाने वाले दुकानदारों की संख्या 17.40 प्रतिषत, 100 से 200 क्विंटल कोटा उठाने वाले दुकानदारों की संख्या 47.20 प्रतिषत, 200 से 300 क्विंटल कोटा उठाने वालों की संख्या 22.11 प्रतिषत, 300 से 400 क्विंटल कोटा उठाने वालों की संख्या 5.43 प्रतिषत तथा 400 क्विंटल से अधिक कोटा उठाने वाले दुकानदारों की संख्या 2.04 प्रतिषत है । दुकानदारों को महीने में चीनी का कोटा आबंटित कोटे से काफी कम दिया जाता है या उनके कोटे में चीनी जारी करके विभाग सारी चीनी स्वयं कालाबाजार में बेच देता है । उदाहरणार्थ जनवरी 2016 में दुकानदारों को कुल 2,28,421 क्विंटल गेहूँ, 59,696 क्विंटल चावल और 16,385 क्विंटल चीनी 12 जनवरी, 2016 तक जारी की गयी है । जबकि हर महीने की चीनी, चावल तथा गेहूँ महीने की पहली तारीख से पहले ही जारी हो जानी चाहिए और यह राषन दुकानदारों के यहाँ आ जाना चाहिए । राषन की दुकानें महीने के सभी दिनों में खोलने का आदेष है, लेकिन ये दुकानें महीने में एक या दो दिन खोलकर षेश समय नोटिस बोर्ड पर लिख दिया जाता है कि राषन समाप्त हो गया है । यह स्थिति तभी सुधर सकती है जब राषन सब्सिडी का पैसा सीधे उपभोक्ता के खाते में डाल दिया जाए । केन्द्र सरकार यह कदम उठाने जा रही है । 

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