चांदनी चैक पार्षद द्वारा किरानी बाजार नगर निगम विद्यालय पर धोखे से कब्जा करके एक व्यावसायिक केन्द्र बनाने की बिल्डर माफिया की कोशिश के विरूद्ध संघर्ष
नई दिल्ली, 29 सितम्बर | चांदनी चैक की पार्षद श्रीमती सुरेखा गुप्ता ने किरानी बाजार में धोबी बाड़ा स्थित परिसर पर जिसमें उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा किराये पर लेकर विद्यालय चलाया जा रहा है, स्थानीय बिल्डरमाफिया द्वारा जबरन कब्जा करने के विरूद्ध कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
श्रीमती गुप्ता ने आज प्रातः तीस हजारी न्यायालय परिसर में सिविल जज के न्यायालय नम्बर 12 में स्वयं उपस्थित होकर स्थानीय बिल्डर के गैरकानूनी काम के बारे में न्यायालय को अवगत कराया। बिल्डर स्थानीय नगर निगम भवन निर्माण विभाग के इंजीनियरों की मिलीभगत से एक आवेदन फाइल करके “स्टेटस-को“ रिपोर्ट प्राप्त करने की कोशिश कर रहा था। स्थानीय पार्षद के हस्तक्षेप करने और सैंकड़ों स्थानीय नागरिकों के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के बाद बिल्डर को अपना आवेदन वापस लेने को बाध्य होना पड़ा।
श्रीमती सुरेखा गुप्ता ने कहा है कि हाल ही में स्थानीय बिल्डर माफिया ने एक नया तरीका अपना लिया है। यहां लगभग दो दर्जन ऐसे बड़े परिसर हैं जो पुराने मकान मालिकों द्वारा विद्यालय और औषद्यालय चलाने के लिये किराये पर दिये गये हैं। इनके किराये पुरानी दर पर हैं और बहुत कम हैं तथा समय बीतने के साथ ही ये भवन जीर्णावस्था में हैं। अधिकतर मकानमालिकों ने पिछले 2-3 वर्षों में अपने अधिकार स्थानीय बिल्डरों या बड़े व्यापारिक घरानों को बेच दिये हैं और स्थानीय नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से इन भवनों को खतरनाक बताते हुये उन पर कब्जा प्राप्त करने की कोशिश की है।
वर्तमान मामले में धोबी बाड़ा विद्यालय परिसर को भी खतरनाक घोषित किया गया था और यहां से छात्रों को थोड़ी दूर स्थित स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसका कब्जा उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास ही बना था। जिस बिल्डर ने विद्यालय परिसर को खरीदा है उसने बगल वाले भवन से होकर इस विद्यालय परिसर में घुस कर 15 दिनों से भी कम समय में ही पुराने भवन को गिरा दिया और उस पर तीन मंजिला भवन खड़ा कर दिया।
पिछले दो सप्ताह में स्थानीय पार्षद ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के प्रत्येक अधिकारी से संपर्क किया और अंत में नगर निगम अधिकारियों को बाध्य होकर उस बिल्डर का नोटिस देना पड़ा। उसके बाद बिल्डर ने माननीय न्यायालय से डिमोलिशन के खिलाफ स्थगन आदेश देने का अनुरोध किया।
न्यायाल में इस मामले के पहुंचने की जानकारी मिलते के बाद श्रीमती गुप्ता स्वयं न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुईं और बिल्डर को अपना मामला वापस लेना पड़ा। उत्तरी दिल्ली नगर निगम सिटी जोन के अधिकारियों ने भी न्यायालय में यह स्वीकार किया कि उस बिल्डर ने विद्यालय परिसर का जबरन कब्जा लेकर गैर कानूनी निर्माण किया।
श्रीमती सुरेखा गुप्ता ने यह मांग की है कि उत्तर दिल्ली नगर निगम के उपायुक्त द्वारा धोखे से कब्जा करने और गैर कानूनी रूप से निर्माण करने के लिए बिल्डर के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई जाये।
श्रीमती गुप्ता ने आज प्रातः तीस हजारी न्यायालय परिसर में सिविल जज के न्यायालय नम्बर 12 में स्वयं उपस्थित होकर स्थानीय बिल्डर के गैरकानूनी काम के बारे में न्यायालय को अवगत कराया। बिल्डर स्थानीय नगर निगम भवन निर्माण विभाग के इंजीनियरों की मिलीभगत से एक आवेदन फाइल करके “स्टेटस-को“ रिपोर्ट प्राप्त करने की कोशिश कर रहा था। स्थानीय पार्षद के हस्तक्षेप करने और सैंकड़ों स्थानीय नागरिकों के साथ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के बाद बिल्डर को अपना आवेदन वापस लेने को बाध्य होना पड़ा।
श्रीमती सुरेखा गुप्ता ने कहा है कि हाल ही में स्थानीय बिल्डर माफिया ने एक नया तरीका अपना लिया है। यहां लगभग दो दर्जन ऐसे बड़े परिसर हैं जो पुराने मकान मालिकों द्वारा विद्यालय और औषद्यालय चलाने के लिये किराये पर दिये गये हैं। इनके किराये पुरानी दर पर हैं और बहुत कम हैं तथा समय बीतने के साथ ही ये भवन जीर्णावस्था में हैं। अधिकतर मकानमालिकों ने पिछले 2-3 वर्षों में अपने अधिकार स्थानीय बिल्डरों या बड़े व्यापारिक घरानों को बेच दिये हैं और स्थानीय नगर निगम अधिकारियों की मिलीभगत से इन भवनों को खतरनाक बताते हुये उन पर कब्जा प्राप्त करने की कोशिश की है।
वर्तमान मामले में धोबी बाड़ा विद्यालय परिसर को भी खतरनाक घोषित किया गया था और यहां से छात्रों को थोड़ी दूर स्थित स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसका कब्जा उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पास ही बना था। जिस बिल्डर ने विद्यालय परिसर को खरीदा है उसने बगल वाले भवन से होकर इस विद्यालय परिसर में घुस कर 15 दिनों से भी कम समय में ही पुराने भवन को गिरा दिया और उस पर तीन मंजिला भवन खड़ा कर दिया।
पिछले दो सप्ताह में स्थानीय पार्षद ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम के प्रत्येक अधिकारी से संपर्क किया और अंत में नगर निगम अधिकारियों को बाध्य होकर उस बिल्डर का नोटिस देना पड़ा। उसके बाद बिल्डर ने माननीय न्यायालय से डिमोलिशन के खिलाफ स्थगन आदेश देने का अनुरोध किया।
न्यायाल में इस मामले के पहुंचने की जानकारी मिलते के बाद श्रीमती गुप्ता स्वयं न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुईं और बिल्डर को अपना मामला वापस लेना पड़ा। उत्तरी दिल्ली नगर निगम सिटी जोन के अधिकारियों ने भी न्यायालय में यह स्वीकार किया कि उस बिल्डर ने विद्यालय परिसर का जबरन कब्जा लेकर गैर कानूनी निर्माण किया।
श्रीमती सुरेखा गुप्ता ने यह मांग की है कि उत्तर दिल्ली नगर निगम के उपायुक्त द्वारा धोखे से कब्जा करने और गैर कानूनी रूप से निर्माण करने के लिए बिल्डर के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई जाये।
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