दिल्ली भाजपा द्वारा निजी कालेजों और छात्रावासों की लूट पर नियंत्रण करने के लिए नियामक संस्था के गठन की मांग
दिल्ली के युवाओं को मुफ्त सुविधाओं का वायदा करके उन्हें गुमराह करना बंद करें केजरीवाल, इसके बदले उनकी समस्याओं का ठोस समाधान निकालें
श्री उपाध्याय ने कहा कि आज के युवाओं की दो सबसे बड़ी समस्यायें हैं, निजी कालेजों की मंहगी फीस और निजी कोचिंग सेन्टरों द्वारा की जा रही लूट साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा नये कालेज नहीं खोला जाना और छात्रावास का अभाव भी चिंता की बात है जिसके कारण उन्हें निजी मकानों में मंहगे कमरे लेने पड़ते हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री निजी कालेजों की ऊंची फीसों पर नियंत्रण करने की बजाय वह कोचिंग सेन्टरों को बढ़ावा दे रहे हैं और बिना कोई समस सीमा बताये नये छात्रावास बनाने के खोखले वायदे कर रहे हैं। हाल ही में यह पता चला था कि केजरीवाल सरकार दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कालेजों को अम्बेडकर विश्वविद्यालय के अधीन लाना चाहती है किन्तु वह दिल्ली में नये कालेजों को खोलने के विषय में पूर्णतः चुप्पी साधे हुये है।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि दिल्ली भाजपा यह मांग करती है कि एक नियामक संस्था तुरन्त बनाई जाये जो निजी कालेजों की फीस पर नियंत्रण रखने और छात्रों के लिए आवास सुविधा उपलब्ध कराने तथा कोचिंग सेन्टरों पर नियंत्रण रखने के लिए उपाय करे।
इस नियामक संस्था को निजी कालेजों की फीस के ढांचे, सरकारी कालेजों और दिल्ली विश्वविद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं की भी समीक्षा करने का अधिकार होना चाहिए।
यह नियामक संस्था एक निश्चित समय सीमा के भीतर सरकारी कालेजों में उपलब्ध छात्रावासों के बेहतर उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए और प्रत्येक वर्ष 200 नये कमरे बनाये जाने चाहिए जिसके लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण से प्राथमिकता के आधार पर जमीन प्राप्त की जाये।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि डीडीए सदस्य होने के नाते डीडीए के अध्यक्ष और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री से उन्होंने छात्रावास के लिए जमीन के विषय में बात भी की है।
नियामक संस्था को यह देखने के लिए निजी छात्रावासों को भी शामिल करना चाहिए कि उनके द्वारा वसूले जा रहे प्रभार, निम्न और मध्य वर्ग के छात्रों की पहुंच के भीतर हों।
इस नियामक संस्था को पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली में कालेजों की आवश्यकता का पता लगाने का काम दिया जाना चाहिए साथ ही दिल्ली सरकार को प्रत्येक वर्ष एक कालेज खोलना चाहिए।
निजी कोचिंग सेन्टर तो साधारण परिवारों को लूट रहे हैं। नियामक संस्था द्वारा इस बात के लिए प्रयास किये जाने चाहिए कि सामान्य कालेज अतिरिक्त वर्ग की व्यवस्था करें जिससे कि कोचिंग सेन्टरों के बढ़ते दुष्प्रभाव को रोका जा सके।
श्री उपाध्याय ने कहा कि पिछले 40 वर्षों में दिल्ली छात्रसंघ चुनाव के दौरान राजनेताओं के चित्र या पोस्टर नहीं लगाये गये किन्तु यह वास्तव में शर्मनाक है कि लिग्दोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन करते हुये अब केजरीवाल के सी.वाई.एस.एस. ने उनके पोस्टर पूरी दिल्ली में लगाये हैं।
छात्रों की शैक्षणिक समस्याओं का समाधान करने के बदले मुख्यमंत्री स्वयं चुनाव जीतने के लिए मुफ्त सुविधायें देने के वायदे कर रहे हैं जैसे कि मेट्रो टिकटों पर रियायत या मुफ्त वाई-फाई आदि जबकि उन्होंने पिछले 7 महीनों में इनके लिए कुछ भी नहीं किया। अब इस संबंध में वायदे करके छात्रों को गुमराह कर रहे हैं।
श्री उपाध्याय जो स्वयं दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के उपाध्याक्ष रहे हैं ने कहा है कि हमनें कभी भी दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव में मुख्य राजनीतिक दलों का ऐसा हस्तक्षेप नहीं देखा जैसा कि आज आम आदमी पार्टी द्वारा देख रहे हैं।
वास्तव में उन्होंने लिग्दोह कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने के बाद सभी सुधारों को निष्फल कर दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के उपकुलपति को आम आदमी पार्टी की छात्र ईकाई सी.वाई.एस.एस. को बढ़ावा देने के लिए इस निम्नस्तरीय राजनीति पर कड़ी नजर रखनी चाहिए।
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