एप आधारित प्रीमियम बस सेवा मामले का नया रहस्योद्घाटन तुगलकी दरबार और टोपी सरकार की मनमानी का नया नमूना है
केजरीवाल सरकार को जनता को यह बताना होगा कि उन्होंने मोटर वाहन अधिनियम, उच्च न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन करते हुये प्रीमियम एप बस सेवा शुरू करने में जल्दबाजी क्यों दिखाई जबकि इसमें रूटों की संख्या और लिये जाने वाले किराये पर भी कोई प्रतिबंध नहीं है-मीनाक्षी लेखी
श्रीमती लेखी ने कहा कि यह अत्यंत दुखद है कि उपराज्यपाल ने एप आधारित प्रीमियम बस सेवा को शुरू करने की अनुमति अभी तक नहीं दी है किन्तु केजरीवाल सरकार ने 20 मई, 2016 को ही एक अधिसूचना जारी की जिसमें कहा गया है कि उपराज्यपाल ने प्रीमियम बस सेवा को अनुमति प्रदान कर दी है। यह अपने आप में एक अपराध है।
श्रीमती लेखी ने कहा है कि दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने पहले ही दिल्ली सरकार के ए.सी.बी. में शिकायत दर्ज करा रखी है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि केजरीवाल सरकार गुरूग्राम के एक एप बस एग्रीगेटर के पक्ष में काम कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि इस एप आधारित प्रीमियम बस सेवा के लिए शीघ्रअतिशीघ्र अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी करने के लिए सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लंघन किया। उनका कहना था कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 66 की उपराधार (3) के खंड (एन) के अधीन आपात प्रावधानों का सहारा लिया है जिसमें ऐसी बस सेवायें कुछ समय के लिए असाधारण परिस्थितियों में शुरू की जा सकती हैं जैसे कि सामान्य बस परिचालन करने वालों द्वारा हड़ताल या कोई राष्ट्रीय आपदा आदि जबकि इस मामले में केजरीवाल सरकार ने यह सेवा अनिश्चितकाल के लिए शुरू की है।
उन्होंने ने कहा कि 5 सितम्बर, 2013 के एक आदेश में दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली में कोई नई कलस्टर बस सेवा शुरू करने से पहले न्यायालय के समक्ष प्रस्ताव रखा जाना चाहिए किन्तु केजरीवाल सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्देश की अनदेखी की है।
श्रीमती लेखी ने कहा कि ऐसा लगता है कि दिल्ली सरकार की प्रस्तावित प्रीमियम एप बस सेवा से संबंधित नोट भी किसी विशेष कारपोरेट एग्रीगेटर द्वारा तैयार की गई है क्योंकि हमें यह जानकारी मिली है कि इस मामले में दिल्ली सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक के दौरान एक एग्रीगेटर को छोड़कर सभी ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 का हवाला देते हुये इस योजना का विरोध किया। इतना ही नहीं किराया निर्धारित करने का अधिकार भी बस आपरेटर के ऊपर छोड़ दिया गया।
यह भी हमारी जानकारी में आया है कि तत्कालीन परिवहन मंत्री गोपाल राय या इस विभाग के अधिकारी द्वारा नोट प्रस्तुत किये जाने की जगह आम आदमी पार्टी सरकार ने वैसा नोट प्रस्तुत किया जो दिल्ली डायलोग कमीशन के श्री आशीष खेतान द्वारा तैयार किया गया था। यहां यह बताना आवश्यक है कि मंत्री गोपाल राय ने परिवहन विभाग छोड़ दिया है जबकि श्री आशीष खेतान यकायक छुट्टी पर चले गये जबकि उनकी प्रिय योजना जांच के दायरे में है।
श्रीमती लेखी ने कहा है कि हम केजरीवाल सरकार से यह जानना चाहते हैं कि उन्होंने वित्त और कानून विभागों से पूर्व अनुमोदन लेना आवश्यक क्यों नहीं समझा। यह नई बस सेवा दिल्ली परिवहन निगम पर दूरगामी प्रभाव डालेगी किन्तु डी.टी.सी. से कोई सलाह नहीं ली गई।
श्रीमती लेखी ने कहा कि हमनें अनेकों बार दिल्ली के मुख्यमंत्री को एप आधारित टैक्सी सेवा, उसके अंतर्गत चलने वाले वाहनों की संख्या और उनके सर्ज प्राइजिंग फार्मूले पर प्रश्न उठाते हुये देखा है किन्तु वही मुख्यमंत्री बिना किसी संख्या के प्रतिबंध, बिना रूटों और किराये की सीमा तय किये ही प्रीमियम बस सेवा चलाने की अनुमति देने को तैयार हैं। ऐसा लगता है कि दिल्ली में फिर वही बुरे दिन आने वाले हैं जब ब्लू लाइन और रेड लाइन बसों को किलर बसों के रूप में जाना जाता था। यह अनियंत्रित बस सेवा मुझे निर्भया मामले की भी याद दिलाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि नियमों के अनुसार प्रस्ताव का प्रारूप सार्वजनिक किया जाना चाहिए था किन्तु इस मामले में इसका भी पालन नहीं किया गया।
श्रीमती लेखी ने कहा कि एक नागरिक और एक कानून निर्माता होने के नाते भी मुझे इस बात की चिंता है कि किस प्रकार एक राज्य सरकार ऐसी लापरवाही कर सकती है जिसमें एक अक्षम प्राधिकारी ऐसे मामले में अधिसूचना जारी करता है जिससे उन लाखों लोगों का जीवन संकट में पड़ सकता है जो उनका प्रयोग कर सकते हैं।
श्रीमती लेखी ने अंत में कहा कि आज पीक आवर में व्यक्गित बस मालिकों द्वारा दिल्ली में चार्टर्ड बस सेवायें चलाई जा रही हैं और एप आधारित प्रीमियम बस सेवा शुरू किये जाने से उनका कारोबार बंद हो सकता है। मुख्यमंत्री केजरीवाल को हमें बताना होगा कि वे किस प्रकार इनकी आजीविका सुरक्षित रखेंगे।
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