भारतीय जनता पार्टी का AAP से 5 सवाल
नई दिल्ली, 30 जनवरी। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली में एक सर्वांगीण विकास वाली स्थायी सरकार बनाने
और दिल्ली को वल्र्ड क्लास स्मार्ट सिटी बनाने के लिये चुनाव लड़ रही है लेकिन दूसरी तरफ आआपा झूठे वायदे और अफवाहों को आधार बनाकर दिल्ली की जनता को गुमराह करने का कुप्रयास कर रही है। भारतीय जनता पार्टी इसलिए आआपा एवं उसके संयोजक श्री अरविंद केजरीवाल से 5 सवाल पूछ रही है। इसमें कुछ सवाल पुराने हो सकते हैं लेकिन अभी तक इनका उत्तर आआपा ने नहीं दिया इसलिए उनको पूछना आवश्यक है।
1. आआपा नेता श्री प्रशांत भूषण कहते हैं कि कश्मीर को पाकिस्तान के साथ जाने देना चाहिए। आआपा नेता श्री योगेन्द्र यादव कहते हैं कि धारा 370 देश के अन्य राज्यों में भी लागू होनी चाहिए। आआपा नेता श्री केजरीवाल इस्पेक्टर श्री मोहन चन्द शर्मा की शहादत पर सवाल खड़े करते हैं ठीक उसी तरह जैसे गिलानी ने कर्नल एम एन राय की शहादत का अपमान किया है। आखिर आआपा नेता अलगाववादियों की भाषा क्यों बोलते हैं ? क्या यही कारण है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुबई से आआपा के समर्थन में फोन कैम्पेनिंग की जा रही है ?
2. आआपा दूसरे दलों के चुनावी चंदे और खर्चे के बारे में बेबुनियादी आरोप लगाती है परन्तु लोकसभा चुनाव के लगभग सात महीने बीत जाने के बाद भी चुनाव आयोग को अभी तक आआपा ने चुनावी खर्चे का ब्यौरा क्यों नहीं दिया ? आखिर दुबई और विदेशों में जाकर वे जो चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं उसे वो क्यों छिपा रहे हैं ? क्या विदेश से मिलने वाला धन अवैध रूप से प्राप्त किया जा रहा है ? यही नहीं यह प्रश्न भी अनुत्तरित है कि चाय, काफी और खाने की थाली सभी 20,000 रूपये में ही क्यों ? इससे ज्यादा की राशि का प्रावधान इन्होंने क्यों नहीं रखा ? क्या यह काले धन को सफेद करने का तरीका है ? आखिर चुनाव आयोग को खर्च का ब्यौरा देने से आआपा क्यों भाग रही है ?
3. आआपा नेता आधी रात घर में छापा मारी करते हैं और महिलाओं को अपमानित करते हैं यही नहीं आआपा की बहुत सी महिला नेता जैसे श्रीमती शाजिया ईल्मी, श्रीमती फरहाना अंजुम, श्रीमती नीना शर्मा, श्रीमती मधु भादुड़ी एवं श्रीमती कमल कांता बत्रा आखिर आआपा छोड़ कर क्यों चली गईं ? आआपा संरक्षक श्री शांति भूषण ने डाॅ. किरण बेदी को दिल्ली का सबसे योग्य मुख्यमंत्री बताया। आआपा नेता श्री केजरीवाल ने भी डाॅ. किरण बेदी को दिल्ली का सबसे योग्य मुख्यमंत्री बताते हुये आआपा में शामिल होने का अनुरोध किया था। लेकिन जब वे भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनती हैं तो आआपा के सभी नेता उन पर व्यक्तिगत आरोप लगाकर अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं। आखिर आआपा की महिलाओं के प्रति इतना अपमान भरा रवैया क्यों ?
4. आआपा नेता श्री केजरीवाल का देश की संवैधानिक संस्थाओं को विवादास्पद करने का मानो सगल बन गया है। एक नहीं अनेक घटनायें हैं जो यह बतलाती हैं कि श्री अरविन्द केजरीवाल संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं रखते। कल ही उन्होंने पैसे लेकर वोट देने के मामले में चुनाव आयोग के आदेश को हाई कोर्ट में अपील कर चैलेन्ज किया है। इसका आशय है कि श्री केजरीवाल चुनाव आयोग के निर्देशों को चुनौती दे रहे हैं। वे ऐसा पहले भी कर चुके हैं जब न्यायालय के आदेश के बावजूद उन्होंने जमानत राशि देने से इंकार कर दिया था और पूरी घटना को और न्यायालय को विवादित बना दिया था। आखिर आआपा नेता संवैधानिक संस्थाओं को विवादों में क्यों घसीटना चाहते हैं ? क्या यह उनकी अराजकतावादी मानसिकता का परिचयायक नहीं हैं ?
5. देश का सबसे मजबूत और सशक्त लोकायुक्त कानून भाजपा की उत्तराखंड सरकार ने बनाया था। इस कानून की देश के सभी लोगों ने सराहना की थी। स्वयं श्री अन्ना हजारे एवं श्री केजरीवाल ने भी इसकी तारीफ की थी। इस कानून को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दो साल तक राष्ट्रपति से अनुमति नहीं होने दी और बाद में कांग्रेस की उत्तराखंड सरकार ने लोकायुक्त कानून को बेहद कमजोर बना दिया और ईमानदारी का नाटक करने वाले आआपा नेता श्री केजरीवाल इस पर चुप रहे। दिल्ली में पहले से ही लागू लोकायुक्त कानून को मजबूत बनाने की बजाय आआपा सरकार जनलोकपाल के नाम पर 49 दिनों में ही भाग गई। आखिर देश का सबसे मजबूत भाजपा सरकार के दौरान बनाया गया उत्तराखंड लोकायुक्त बिल को दिल्ली में लागू क्यों नहीं किया ? विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद इन्होंने जनलोकपाल को लेकर आज तक अपनी आवाज क्यों नहीं उठाई ?
ईमादारी का चोला पहने वाले आआपा संयोजक से उम्मीद है कि इन पांचों सवालों का जवाब ईमानदारी से देंगे।
और दिल्ली को वल्र्ड क्लास स्मार्ट सिटी बनाने के लिये चुनाव लड़ रही है लेकिन दूसरी तरफ आआपा झूठे वायदे और अफवाहों को आधार बनाकर दिल्ली की जनता को गुमराह करने का कुप्रयास कर रही है। भारतीय जनता पार्टी इसलिए आआपा एवं उसके संयोजक श्री अरविंद केजरीवाल से 5 सवाल पूछ रही है। इसमें कुछ सवाल पुराने हो सकते हैं लेकिन अभी तक इनका उत्तर आआपा ने नहीं दिया इसलिए उनको पूछना आवश्यक है।
1. आआपा नेता श्री प्रशांत भूषण कहते हैं कि कश्मीर को पाकिस्तान के साथ जाने देना चाहिए। आआपा नेता श्री योगेन्द्र यादव कहते हैं कि धारा 370 देश के अन्य राज्यों में भी लागू होनी चाहिए। आआपा नेता श्री केजरीवाल इस्पेक्टर श्री मोहन चन्द शर्मा की शहादत पर सवाल खड़े करते हैं ठीक उसी तरह जैसे गिलानी ने कर्नल एम एन राय की शहादत का अपमान किया है। आखिर आआपा नेता अलगाववादियों की भाषा क्यों बोलते हैं ? क्या यही कारण है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और दुबई से आआपा के समर्थन में फोन कैम्पेनिंग की जा रही है ?
2. आआपा दूसरे दलों के चुनावी चंदे और खर्चे के बारे में बेबुनियादी आरोप लगाती है परन्तु लोकसभा चुनाव के लगभग सात महीने बीत जाने के बाद भी चुनाव आयोग को अभी तक आआपा ने चुनावी खर्चे का ब्यौरा क्यों नहीं दिया ? आखिर दुबई और विदेशों में जाकर वे जो चंदा इकठ्ठा कर रहे हैं उसे वो क्यों छिपा रहे हैं ? क्या विदेश से मिलने वाला धन अवैध रूप से प्राप्त किया जा रहा है ? यही नहीं यह प्रश्न भी अनुत्तरित है कि चाय, काफी और खाने की थाली सभी 20,000 रूपये में ही क्यों ? इससे ज्यादा की राशि का प्रावधान इन्होंने क्यों नहीं रखा ? क्या यह काले धन को सफेद करने का तरीका है ? आखिर चुनाव आयोग को खर्च का ब्यौरा देने से आआपा क्यों भाग रही है ?
3. आआपा नेता आधी रात घर में छापा मारी करते हैं और महिलाओं को अपमानित करते हैं यही नहीं आआपा की बहुत सी महिला नेता जैसे श्रीमती शाजिया ईल्मी, श्रीमती फरहाना अंजुम, श्रीमती नीना शर्मा, श्रीमती मधु भादुड़ी एवं श्रीमती कमल कांता बत्रा आखिर आआपा छोड़ कर क्यों चली गईं ? आआपा संरक्षक श्री शांति भूषण ने डाॅ. किरण बेदी को दिल्ली का सबसे योग्य मुख्यमंत्री बताया। आआपा नेता श्री केजरीवाल ने भी डाॅ. किरण बेदी को दिल्ली का सबसे योग्य मुख्यमंत्री बताते हुये आआपा में शामिल होने का अनुरोध किया था। लेकिन जब वे भाजपा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनती हैं तो आआपा के सभी नेता उन पर व्यक्तिगत आरोप लगाकर अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं। आखिर आआपा की महिलाओं के प्रति इतना अपमान भरा रवैया क्यों ?
4. आआपा नेता श्री केजरीवाल का देश की संवैधानिक संस्थाओं को विवादास्पद करने का मानो सगल बन गया है। एक नहीं अनेक घटनायें हैं जो यह बतलाती हैं कि श्री अरविन्द केजरीवाल संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं रखते। कल ही उन्होंने पैसे लेकर वोट देने के मामले में चुनाव आयोग के आदेश को हाई कोर्ट में अपील कर चैलेन्ज किया है। इसका आशय है कि श्री केजरीवाल चुनाव आयोग के निर्देशों को चुनौती दे रहे हैं। वे ऐसा पहले भी कर चुके हैं जब न्यायालय के आदेश के बावजूद उन्होंने जमानत राशि देने से इंकार कर दिया था और पूरी घटना को और न्यायालय को विवादित बना दिया था। आखिर आआपा नेता संवैधानिक संस्थाओं को विवादों में क्यों घसीटना चाहते हैं ? क्या यह उनकी अराजकतावादी मानसिकता का परिचयायक नहीं हैं ?
5. देश का सबसे मजबूत और सशक्त लोकायुक्त कानून भाजपा की उत्तराखंड सरकार ने बनाया था। इस कानून की देश के सभी लोगों ने सराहना की थी। स्वयं श्री अन्ना हजारे एवं श्री केजरीवाल ने भी इसकी तारीफ की थी। इस कानून को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दो साल तक राष्ट्रपति से अनुमति नहीं होने दी और बाद में कांग्रेस की उत्तराखंड सरकार ने लोकायुक्त कानून को बेहद कमजोर बना दिया और ईमानदारी का नाटक करने वाले आआपा नेता श्री केजरीवाल इस पर चुप रहे। दिल्ली में पहले से ही लागू लोकायुक्त कानून को मजबूत बनाने की बजाय आआपा सरकार जनलोकपाल के नाम पर 49 दिनों में ही भाग गई। आखिर देश का सबसे मजबूत भाजपा सरकार के दौरान बनाया गया उत्तराखंड लोकायुक्त बिल को दिल्ली में लागू क्यों नहीं किया ? विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद इन्होंने जनलोकपाल को लेकर आज तक अपनी आवाज क्यों नहीं उठाई ?
ईमादारी का चोला पहने वाले आआपा संयोजक से उम्मीद है कि इन पांचों सवालों का जवाब ईमानदारी से देंगे।
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