आॅड-इवन योजना जुर्माने के भय से चल रही है - सतीश उपाध्याय
केजरीवाल सरकार धूल कण, बायोमास आदि के जलाने से होने वाले भारी प्रदूषण पर नियंतत्र की जगह केवल वाहनों के प्रदूषण पर ही ध्यान केन्द्रित कर रही है
श्री उपाध्याय ने कहा कि सच्चाई यह है कि पिछले 12 दिनों में मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में थोड़ी भी कमी नहीं आई है केवल सड़कों पर वाहनों की संख्या मंे थोड़ी कमी आई है। किन्तु हम यह भी पाते हैं कि सायं 8 बजने के बाद ही सड़कों पर वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाती है।
आॅड-इवन योजना को जल्दबाजी में शुरू किये जाने का कारण यह था कि दिल्ली सरकार प्रदूषण के वास्तविक कारणों को दूर करने की जिम्मेदारी से बच सके चाहे वह बायोमास का जलाना हो, धूल कण का प्रदूषण हो या चारकोल का जलाना हो।
केजरीवाल सरकार ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करने और अपने विधायकों के वेतन में की गई असाधारण वृद्धि से जनता का ध्यान भटकाने के लिए आॅड-इवन योजना की शुरूआत की।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण का भार जनता पर डाला जबकि उसे वास्तविक प्रदूषण करने वाले तत्वों पर नियंत्रण करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। ऐसा करके सरकार ने माननीय न्यायालय को भी गुमराह करने का प्रयास किया और वह भी यह बताकर कि वाहन ही प्रदूषण के मुख्य कारण हैं।
श्री उपाध्याय ने यह भी कहा है कि आॅड-इवन योजना से न तो दिल्ली के प्रदूषण में कमी आई है और न ही केजरीवाल सरकार की प्रशासनिक क्षमता दिखती है।
दिल्ली सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी इस कारण हुई कि 2000 रूपये के जुर्माने का डर लोगों के मन में है।
दिल्ली के लोगों को आने जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और सच्चाई यह है कि उन्होंने इसे 15 दिनों की परेशानी मानी है जिसके दौरान स्कूलों को भी बंद रखा गया है और छात्रों को परीक्षा के दिनों में उन्हें तैयारी करने में भी भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
इसके अतिरिक्त व्यापारियों, सिनेमा हाॅल मालिकों, रेस्ताराॅ चलाने वालों को भी भारी नुक्सान हो रहा है।
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