24,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य और सरकार ने प्राप्त किये सिर्फ 14,000 करोड़: इसमें 13,000 करोड़ रुपये सिर्फ पैट्रोल और डीजल पर 29 प्रतिषत वैट बढ़ाने से मिले
नौ महीने में सरकार ने वार्शिक राजस्व लक्ष्य से आधे से भी कम रकम वसूली, सारे विकास कार्य ठप्प, खामियाजा भुगतेंगे दिल्ली वाले -विजेन्द्र गुप्ता
यह जानकारी देते हुए नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि सरकार ने दावा किया था कि वैट माॅडल अपनाने से व्यापारियों को लाभ होगा और सरकार का राजस्व तेजी से बढे़गा । सरकार ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए दिल्ली की जनता को ही वैट बढ़ोतरी करके जबरदस्त चूना लगाया । पैट्रोल और डीजल पर 29 प्रतिषत वैट बढ़ा दिया गया । ज्ञात हो कि दिल्ली सरकार के कुल राजस्व का लगभग 70 प्रतिषत हिस्सा पैट्रोल और डीजल पर वैट वसूली से आता है । तेल पर 29 प्रतिषत वैट बढ़ाने के बाद भी सरकार ने पिछले 9 महीने में जो 14,000 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में जुटाये हैं, उसमें लगभग 13,000 करोड़ रुपये पैट्रोल और डीजल से आये हैं । साफ है कि अन्य मदों में सरकार ने सिर्फ 1,500 करोड़ रुपये ही पिछले 9 महीने में वसूले हैं । यह वसूली गत वर्श की तुलना में आधे से भी कम है ।
राजस्व वसूली अभी तक आधे से भी कम होने से दिल्ली सरकार के हाथ-पाँव फूल गये हैं । राजस्व वर्श समाप्त होने में सिर्फ 90 दिन बाकी हैं और सरकार को तय लक्ष्य 41,000 करोड़ रुपये कुल राजस्व प्राप्त करना है । राजस्व विभाग के अफसरों का कहना है कि यह लक्ष्य पूर्ण होना नामुमकिन है, क्योंकि सरकार का वैट माॅडल व्यापारियों को पसंद नहीं आया । व्यापारी वर्ग इस माॅडल से पहले से ज्यादा परेषानी में पड़ गया है । उसपर कागजी कार्य इतने ज्यादा बढ़ा दिये गये हैं कि पेनाल्टी से बचने के लिए व्यापारीवर्ग अपने पर देय राजस्व से ज्यादा पैसा सरकारी खजाने में जमा कर रहा है । इस पैसे की वापसी जब की जायेगी तब राजस्व और भी कम हो जायेगा ।
श्री गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने अपने वैट माॅडल को सफल बनाने के लिए दिल्ली भर में व्यापारियों के सम्मेलन बुलाये थे । वैट वसूली के लिए व्यापारिक संस्थानों में सीसीटीवी कैमरे, स्पाई कैमरे लगाने के अलावा अपने वायदे के विपरीत व्यापारिक संस्थानों पर बड़ी मात्रा में छापे मारे थे । यह सब करने पर भी राजस्व लगातार घटता गया । अब सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के लिए सिर्फ स्टाम्प और रजिश्ट्रेषन षुल्क, आबकारी टैक्स, भूमि राजस्व तथा अन्य स्त्रोतों से धन वसूली का ही सहारा है । इन मदों में भी सरकार को मुँह की खानी पड़ी है । इन मदों से भी राजस्व पहले की अपेक्षा इस वर्श काफी कम प्राप्त हुआ है । दिल्ली सरकार ने जनता से जो 70 वायदे किये थे, उनमें से अभी तक एक भी वायदा पूरा नहीं हुआ है । आगे भी ये वायदे पूरे नहीं हो पायेंगे, क्योंकि जब राजस्व ही नहीं मिलेगा तो विकास कार्य कैसे होंगे ?
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