जनता को गुमराह कर राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का दाँव - विजेन्द्र गुप्ता
नयी दिल्ली, 19 नवम्बर। भाजपा विधायकों ने आज नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता के नेतृत्व में उपराज्यपाल
से भंेट करके बताया कि दिल्ली सरकार विधानसभा के चालू सत्र में विधिक प्रक्रियाओं का पालन किये बगैर मनमाने ढंग से नौ बिल पास कर रही है । उन्होंने उपराज्यपाल से माँग की कि वे सरकार को निर्देष दें कि सभी कानूनी, संवैधानिक और विधायी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ही सदन में कोई बिल पेष किया जाए । ऐसा किये बगैर जो भी बिल पास किये जा रहे हैं वे जनता को गुमराह करने के लिए किये जा रहे हैं । ऐसा करके सरकार सदन का बहुमूल्य समय और जनता का धन बर्बाद कर रही है। भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल से यह भी माँग की कि वे इस मामले में दोशी लोगों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करें । राज्यपाल से मिलने वालों में भाजपा विधायक सर्वश्री ओम प्रकाष षर्मा और जगदीष प्रधान षामिल थे ।
श्री गुप्ता ने बताया कि सरकार ने बगैर केन्द्रीय गृहमंत्रालय, वित्तमंत्रालय और उपराज्यपाल की मंजूरी लिये मनमाने ढंग से दिल्ली स्कूल (लेखा सत्यापन और अतिरिक्त फीस वापसी) बिल, दिल्ली स्कूल षिक्षा (संषोधन बिल) 2015, राश्ट्रीय राजधानी क्षेत्र विधानसभा सदस्य (वेतन, भत्ते, पैंषन आदि) (संषोधन) बिल 2015, वर्किंग जर्नलिस्ट्स एण्ड अदर न्यूजपेपर एम्प्लायज (सेवा षर्तें और विभिन्न प्रावधान)(दिल्ली संषोधन) बिल 2015, दंड प्रक्रिया संहिता (दिल्ली संषोधन) बिल 2015, न्यूनतम मजदूरी (दिल्ली ) संषोधन बिल 2015, समयबद्ध नागरिक सेवा अधिकार 2011 का संषोधित बिल विधानसभा में प्रस्तुत करके पास किया है । जबकि ये बिल नियम 55(1)(ंए), टीबीआर के अनुसार सरकार को पहले केन्द्र सरकार की अनुमति लेने के बाद ही सदन में पेष किये जाने चाहिए थे । ऐसा न करके पूरी सरकार ने उपराज्यपाल के समक्ष ली गयी संविधान की रक्षा की षपथ का खुला उल्लंघन किया है । इसके लिए उनकी सदस्यता भी रद्द की जा सकती है । सरकार अच्छी तरह जानती है कि उसके द्वारा सदन में प्रक्रियाओं का पालन किये बगैर जो बिल पेष किये गये हैं, वे षून्य हो जायेंगे । सिर्फ जनता की आँखों में धूल झोंकने के लिए इतने सारे प्रयास किये गये हैं । बाद में केजरीवाल सरकार इन्हें मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकेगी ।
दिल्ली सरकार ने कल दिल्ली स्कूल (लेखा सत्यापन और अतिरिक्त फीस वापसी) बिल, दिल्ली स्कूल षिक्षा (संषोधन बिल) 2015 पास किया था । नियमतः यह बिल सदन में प्रस्तुत करने के पहले कैबिनेट नोट बनाकर विधि सचिव, षिक्षा सचिव और मुख्य सचिव की स्वीकृति के लिए सरकार ने भेजा था । सभी वरिश्ठ अधिकारियों ने बिलों में विधिक संषोधन करने और प्रक्रियाओं का पालन करने की सलाह सरकार को दी थी, लेकिन सरकार ने उन्हें नहीं माना । ऐसी किसी भी प्रक्रिया का पालन केजरीवाल सरकार ने नहीं किया और सदन में मनमर्जी से बिल पेष करके पास कर दिया । इस बिल पर चर्चा भी नहीं करायी गयी । यही हाल अन्य विधेयकों का था । उनपर भी किसी प्रकार की निश्पक्ष और पारदर्षी चर्चा नहीं करायी गयी । ये बिल हड़बड़ी में पास किये गये । सरकार का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली कौषल विष्वविद्यालय बिल 2015 और दिल्ली लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त अधिनियम 1995 (संषोधन) बिल वह पेष करके पास करायेगी । यहाँ बताना आवष्यक है कि दिल्ली विधानसभा में कोई भी बिल प्रस्तुत करने के पहले केन्द्र सरकार के पास भेजा जाता है ताकि केन्द्र सरकार यह देख सके कि वह बिल किसी केन्द्रीय कानून के विरूद्ध तो नहीं है । यदि ऐसा है तो केन्द्र सरकार उसे विधानसभा में प्रस्तुत करने से साफ मना कर देती है । दिल्ली सरकार ने जो सात बिल पास किये हैं, उनके बारे में इस प्रक्रिया का कतई पालन न करके संविधान का उल्लंघन किया गया है ।
श्री गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार षपथ लेने के बाद से ही केन्द्र सरकार, केन्द्रीय गृहमंत्रालय और उपराज्यपाल से दुष्मनी का सा व्यवहार कर रही है । इन्हें चिढ़ाने के लिए वह सरकार और सदन का बहुमूल्य वक्त तथा धन बर्बाद कर रही है । दिल्ली सरकार ने सत्ता में आने से पहले जितने भी वायदे जनता से किये थे, उनमें से कोई भी वायदा ईमानदारी से पूरा नहीं किया गया है । यह सरकार जनता को गुमराह करने, महंगाई बढ़ाने, दिल्ली की जनता पर करों का बोझ लादने और स्थानीय स्वषासन को पंगु तथा निर्धन बनाने का ही कार्य कर रही है । इससे दिल्ली दिनों दिन कूड़े के ढेर में बदलती जा रही है । सरकार आने के बाद भ्रश्टाचार बढ़ा है । यह सरकार चाहती ही नहीं है कि जनहित के कार्य हों और भ्रश्टाचार समाप्त हो । इसके खाने के दाँत और हैं तथा दिखाने के कुछ और ।
से भंेट करके बताया कि दिल्ली सरकार विधानसभा के चालू सत्र में विधिक प्रक्रियाओं का पालन किये बगैर मनमाने ढंग से नौ बिल पास कर रही है । उन्होंने उपराज्यपाल से माँग की कि वे सरकार को निर्देष दें कि सभी कानूनी, संवैधानिक और विधायी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ही सदन में कोई बिल पेष किया जाए । ऐसा किये बगैर जो भी बिल पास किये जा रहे हैं वे जनता को गुमराह करने के लिए किये जा रहे हैं । ऐसा करके सरकार सदन का बहुमूल्य समय और जनता का धन बर्बाद कर रही है। भाजपा विधायकों ने उपराज्यपाल से यह भी माँग की कि वे इस मामले में दोशी लोगों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करें । राज्यपाल से मिलने वालों में भाजपा विधायक सर्वश्री ओम प्रकाष षर्मा और जगदीष प्रधान षामिल थे ।
श्री गुप्ता ने बताया कि सरकार ने बगैर केन्द्रीय गृहमंत्रालय, वित्तमंत्रालय और उपराज्यपाल की मंजूरी लिये मनमाने ढंग से दिल्ली स्कूल (लेखा सत्यापन और अतिरिक्त फीस वापसी) बिल, दिल्ली स्कूल षिक्षा (संषोधन बिल) 2015, राश्ट्रीय राजधानी क्षेत्र विधानसभा सदस्य (वेतन, भत्ते, पैंषन आदि) (संषोधन) बिल 2015, वर्किंग जर्नलिस्ट्स एण्ड अदर न्यूजपेपर एम्प्लायज (सेवा षर्तें और विभिन्न प्रावधान)(दिल्ली संषोधन) बिल 2015, दंड प्रक्रिया संहिता (दिल्ली संषोधन) बिल 2015, न्यूनतम मजदूरी (दिल्ली ) संषोधन बिल 2015, समयबद्ध नागरिक सेवा अधिकार 2011 का संषोधित बिल विधानसभा में प्रस्तुत करके पास किया है । जबकि ये बिल नियम 55(1)(ंए), टीबीआर के अनुसार सरकार को पहले केन्द्र सरकार की अनुमति लेने के बाद ही सदन में पेष किये जाने चाहिए थे । ऐसा न करके पूरी सरकार ने उपराज्यपाल के समक्ष ली गयी संविधान की रक्षा की षपथ का खुला उल्लंघन किया है । इसके लिए उनकी सदस्यता भी रद्द की जा सकती है । सरकार अच्छी तरह जानती है कि उसके द्वारा सदन में प्रक्रियाओं का पालन किये बगैर जो बिल पेष किये गये हैं, वे षून्य हो जायेंगे । सिर्फ जनता की आँखों में धूल झोंकने के लिए इतने सारे प्रयास किये गये हैं । बाद में केजरीवाल सरकार इन्हें मुद्दा बनाकर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकेगी ।
दिल्ली सरकार ने कल दिल्ली स्कूल (लेखा सत्यापन और अतिरिक्त फीस वापसी) बिल, दिल्ली स्कूल षिक्षा (संषोधन बिल) 2015 पास किया था । नियमतः यह बिल सदन में प्रस्तुत करने के पहले कैबिनेट नोट बनाकर विधि सचिव, षिक्षा सचिव और मुख्य सचिव की स्वीकृति के लिए सरकार ने भेजा था । सभी वरिश्ठ अधिकारियों ने बिलों में विधिक संषोधन करने और प्रक्रियाओं का पालन करने की सलाह सरकार को दी थी, लेकिन सरकार ने उन्हें नहीं माना । ऐसी किसी भी प्रक्रिया का पालन केजरीवाल सरकार ने नहीं किया और सदन में मनमर्जी से बिल पेष करके पास कर दिया । इस बिल पर चर्चा भी नहीं करायी गयी । यही हाल अन्य विधेयकों का था । उनपर भी किसी प्रकार की निश्पक्ष और पारदर्षी चर्चा नहीं करायी गयी । ये बिल हड़बड़ी में पास किये गये । सरकार का कहना है कि आने वाले दिनों में दिल्ली कौषल विष्वविद्यालय बिल 2015 और दिल्ली लोकायुक्त तथा उपलोकायुक्त अधिनियम 1995 (संषोधन) बिल वह पेष करके पास करायेगी । यहाँ बताना आवष्यक है कि दिल्ली विधानसभा में कोई भी बिल प्रस्तुत करने के पहले केन्द्र सरकार के पास भेजा जाता है ताकि केन्द्र सरकार यह देख सके कि वह बिल किसी केन्द्रीय कानून के विरूद्ध तो नहीं है । यदि ऐसा है तो केन्द्र सरकार उसे विधानसभा में प्रस्तुत करने से साफ मना कर देती है । दिल्ली सरकार ने जो सात बिल पास किये हैं, उनके बारे में इस प्रक्रिया का कतई पालन न करके संविधान का उल्लंघन किया गया है ।
श्री गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार षपथ लेने के बाद से ही केन्द्र सरकार, केन्द्रीय गृहमंत्रालय और उपराज्यपाल से दुष्मनी का सा व्यवहार कर रही है । इन्हें चिढ़ाने के लिए वह सरकार और सदन का बहुमूल्य वक्त तथा धन बर्बाद कर रही है । दिल्ली सरकार ने सत्ता में आने से पहले जितने भी वायदे जनता से किये थे, उनमें से कोई भी वायदा ईमानदारी से पूरा नहीं किया गया है । यह सरकार जनता को गुमराह करने, महंगाई बढ़ाने, दिल्ली की जनता पर करों का बोझ लादने और स्थानीय स्वषासन को पंगु तथा निर्धन बनाने का ही कार्य कर रही है । इससे दिल्ली दिनों दिन कूड़े के ढेर में बदलती जा रही है । सरकार आने के बाद भ्रश्टाचार बढ़ा है । यह सरकार चाहती ही नहीं है कि जनहित के कार्य हों और भ्रश्टाचार समाप्त हो । इसके खाने के दाँत और हैं तथा दिखाने के कुछ और ।
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