प्रक्रिया पूरी किये बिना दिल्ली विद्यालय शिक्षा (संशोधन) बिल, 2015 को विधान सभा में प्रस्तुत करने पर भाजपा ने किया वाॅक आउट
विपक्ष के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता तथा अन्य भाजपा विधायकों श्री ओम प्रकाश शर्मा और श्री जगदीश प्रधान ने निर्धारित प्रक्रिया पूरी किये बिना दिल्ली विद्यालय शिक्षा (संशोधन) बिल, 2015 को विधान सभा में प्रस्तुत करने पर विधान सभा से वाॅक आउट कर दिया । उन्होंने कहा कि बिना उपराज्यपाल और केन्द्र सरकार की अनुमति के इस बिल को विधान सभा में लाना अनधिकृत चेष्टा है । विधान सभा में कार्य को चलाने के लिए निर्धारित ट्रांजेक्शन आॅफ बिजनेस रूल्स 1993 के अनुच्छेद 55 (1)(अ) के अंतर्गत इसके लिए उप राज्यपाल/केन्द्र सरकार की पूर्वानुमति आवश्यकता है ।
श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के विधि विभाग तथा मुख्य सचिव ने इस बिल को विधान सभा में लगाये जाने को लेकर विरोध जताया था परंतु सरकार ने इसके बावजूद आज बिल विधान सभा में प्रस्तुत किया। उन्होंने मांग करी कि बिल के केबिनेट नोट को सदन में प्रस्तुत किया जाये ताकि विधि विभाग और मुख्य सचिव के विरोध की भी जानकारी प्राप्त हो सके । उन्होंने कहा कि चंूकि इस बिल के लिये सक्षम अथोरिटी से पूर्वानुुमति नहीं ली गई है इसके साकार होने की आशा क्षीण ही प्रतीत होती है ।
विपक्ष के नेता स्मरण कराया कि गत केजरीवाल सरकार के अंतिम दिन जब जन लोकपाल बिल, 2014 प्रस्तुत किया गया था तब भाजपा तथा कांग्रेस ने इस बिल का इसलिये विरोध किया था कि इसके लिए उपराज्यपाल/केन्द्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी । परंतु उस समय भी केजरीवाल सरकार इस बात पर अडिग रही कि वह ऐसा नहीं करेगी और सरकार गिर गई । केजरीवाल सरकार ने आज वह गलती पुनः दोहराई है । उन्होंने कहा कि सरकार बिल के बारे में गम्भीर नहीं है और वह केवल राजनीतिक रोटियां सेकना चाहती है ।
श्री गुप्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार के विधि विभाग तथा मुख्य सचिव ने इस बिल को विधान सभा में लगाये जाने को लेकर विरोध जताया था परंतु सरकार ने इसके बावजूद आज बिल विधान सभा में प्रस्तुत किया। उन्होंने मांग करी कि बिल के केबिनेट नोट को सदन में प्रस्तुत किया जाये ताकि विधि विभाग और मुख्य सचिव के विरोध की भी जानकारी प्राप्त हो सके । उन्होंने कहा कि चंूकि इस बिल के लिये सक्षम अथोरिटी से पूर्वानुुमति नहीं ली गई है इसके साकार होने की आशा क्षीण ही प्रतीत होती है ।
विपक्ष के नेता स्मरण कराया कि गत केजरीवाल सरकार के अंतिम दिन जब जन लोकपाल बिल, 2014 प्रस्तुत किया गया था तब भाजपा तथा कांग्रेस ने इस बिल का इसलिये विरोध किया था कि इसके लिए उपराज्यपाल/केन्द्र सरकार से अनुमति नहीं ली गई थी । परंतु उस समय भी केजरीवाल सरकार इस बात पर अडिग रही कि वह ऐसा नहीं करेगी और सरकार गिर गई । केजरीवाल सरकार ने आज वह गलती पुनः दोहराई है । उन्होंने कहा कि सरकार बिल के बारे में गम्भीर नहीं है और वह केवल राजनीतिक रोटियां सेकना चाहती है ।
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