दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने जारी किया सर्कुलर, आंदोलनरत गेस्ट टीचरों की सभी मांगों की अनदेखी


पिछले सत्र की तरह दिहाड़ी आधार पर मामूली वेतन, आवेदक की आयु सीमा घटाई, एमसीडी और सर्व शिक्षा अभियान में वेतन करीब दोगुणा, गेस्ट ने शिक्षा निदेशक कार्यालय पर किया प्रदर्शन, दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने भी नहीं दिया ठोस आश्वासन



दिल्ली सरकार के स्कूलों में पिछले कई साल से गेस्ट टीचर के तौर पर कार्य कर रहे हजारों अध्यापकों के साथ एक बार फिर धोखा हुआ है। यूनिट्ी फाॅर डवलपमेंट के अध्यक्ष आनंद राणा ने कहा है कि उपराज्यपाल श्री नजीब जंग ने गेस्ट टीचरों की जायज मांगों को ठुकरा कर अन्याय किया है। दूसरी तरफ 21जुलाई को गेस्ट टीचरों का आमरण अनशन खत्म करवाते समय दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने सभी मांगों को जायज करार देते हुए पूरा करवाने का आश्वासन दिया था लेकिन हुआ बिलकुल उलटा। बुधवार को शिक्षा निदेशालय के सर्कुलर से गुस्सायें गेस्ट टीचरों ने पुराना सचिवालय स्थित शिक्षा निदेशक के कार्यालय पर प्रदर्शन किया। बाद में गेस्ट टीचर दिल्ली भाजपा के मुख्यालय में श्री उपाध्याय से मिले लेकिन उन्होंने ठोस जवाब नहीं दिया।

पिछले करीब 23 दिन से स्कूलों में अपनी नियुक्ति करवाने, एकमुश्त मासिक वेतन देने और आवेदक की आयु सीमा बढ़वाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन से लेकर आमरण अनशन तक कर चुके गेस्ट टीचरों उस समय तगड़ा झटका लगा जब मंगलवार 22 जुलाई 2014 को दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने अपनी वेबसाइट पर गेस्ट टीचरों की भर्ती के लिए सर्कुलर जारी किया। इसमें मासिक वेतन पिछले साल की तर्ज पर दिहाड़ी आधार पर तय किया गया है। आयु सीमा पुरूष शिक्षक के लिए 2 साल घटा दी गई है। इतना ही नहीं स्कूलों में गेस्ट टीचरों की सीटें भी कम कर दी गई हैं।

अचरज की बात ये है कि बुधवार 23 जुलाई को पुराना सचिवालय स्थित शिक्षा निदेशक के कार्यालय पर विरोध जताने पहुंचे गेस्ट टीचरों को कहा गया कि बजट नहीं होने के चलते उनको सर्व शिक्षा अभियान की तर्ज पर एकमुश्त वेतन नहीं दिया जा सकता। आवेदक की आयु सीमा घटाने के बाबत जब गेस्ट टीचरों ने जानकारी मांगी तो कहा गया कि आयु सीमा सर्व शिक्षा अभियान की तर्ज पर तय की गई है। यहां सवाल उठता है कि जब शिक्षा निदेशालय गेस्ट टीचरों का वेतन सर्व शिक्षा अभियान की तर्ज पर निर्धारित करने में कोताही बरत रहा है तो फिर सर्व शिक्षा अभियान की तर्ज पर आयु सीमा घटाने का कौनसा नियम है। 

गौरतलब है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत दिल्ली सरकार के स्कूलों में कार्यरत टीजीटी गेस्ट टीचर को 27,800 रूपये एकमुश्त मासिक वेतन दिया जाता है जबकि इन्हें स्कूलों में अन्य टीजीटी गेस्ट टीचर को मात्र 700 रूपये प्रतिदिन या अधिकतम 17,500 रूपये का वेतन देने की बात सर्रकुलर में की गई है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राइमरी टीचर को 27,000 हजार रूपये एकमुश्त मासिक वेतन दिया जाता है जबकि अन्य गेस्ट प्राइमरी टीचर को मात्र मात्र 600 रूपये प्रतिदिन या अधिकतम 15000 रूपये देने तय किया गया है। इतना ही नहीं गेस्ट टीचरों की रविवार व अन्य सरकारी अवकाश का पैसा भी नहीं दिया जाता है। एक ही स्कूल में एक ही पद पर कार्य कर रहे शिक्षकों के बीच वेतन भेदभाव की पराकाष्ठा दिल्ली में की जा रही है। 

दूसरी तरफ आज ही 23 जुलाई को उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने अपने स्कूलों में अनुबंध के आधार पर प्राइमरी शिक्षकों के लिए विकेंसी रिक्तियां निकाली है। कई अखबारों में इस संबंध में विज्ञापन भी दिया गया है। इस विज्ञापन में जो वेतनमान देने की घोषणा की गई है वो दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्राइमरी गेस्ट टीचर से करीब दोगुणा है। 

दिल्ली के उपराज्यपाल श्री नजीब जंग को बताना चाहिए कि यह भेदभाव क्यों है। समान कार्य के लिए समान वेतन के प्रावधानों की धज्जियां खुलेआम उड़ाई जा रही है।

श्री राणा ने कहा है कि आखिरकार दिल्ली के सरकारी स्कूलों में गेस्ट अनुबंधित टीचरों के वेतन में इतना बड़ा अंतर क्यों रखा जा रहा है। इस अन्याय पर चुप्पी ढेरों सवाल खड़े कर रही है। जब माली तौर पर कमजोर दिल्ली नगर निगम अपने गेस्ट अनुबंधित शिक्षकों को जायज वेतन दे सकती है तो दिल्ली सरकार को इसी तर्ज पर वेतन देने में परेशानी क्यों है। जब 60 साल का रिटायर टीचर अगले दो साल तक स्कूल में पढ़ा सकता है तो 35 साल कर युवा पुरूष शिक्षक ऐसा क्यों नहीं कर सकता है।

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