गुलाम अली को दिल्ली का न्योता
राजनीतिक रोटियाँ संेकने के लिए दिल्ली सरकार ने गजल को भी अपना हथियार बना डाला - विजेन्द्र गुप्ता
नयी दिल्ली, 09 अक्तूूबर। पाकिस्तान के मशहूर गजल गायक गुलाम अली के मुम्बई कांसर्ट रद्द होने और दिल्ली सरकार द्वारा उनको राजधानी में गजल गायन का निमंत्रण देने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा है कि मुम्बई में जो कार्य शिवसेना ने किया है, वही कार्य दिल्ली में गुलाम अली को न्योता देकर आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी किया है । इस मामले में कलाकार का सम्मान कम और राजनीति ज्यादा होती दिखाई दे रही है । अच्छा होता कि कलाकारों को लेकर कोई भी पार्टी राजनीतिक रोटियाँ न सेंकती ।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता और सांस्कृतिक रूप से समृद्धता वाली रही है । यहाँ संगीत को महान दर्जा दिया गया है । समय समय पर दुनिया भर के संगीतकार, नृत्यकार, कांसर्ट ग्रुप आदि भारत में आते रहे हैं । यहाँ की जनता ने राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर कलाकारों का सदैव सम्मान किया है । इस बारे में देश की जनता ने धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ग, भाषा, रंग रूप आदि को कभी वरीयता नहीं दी । कलाकार सिर्फ कलाकार होता है, इसी नज़र से भारतवासियों ने कलाकारों को देखा है । भारतीय जनमानस ने कलाकारों को परिंदों की तरह माना है, जो देश, काल और परिस्थितियों से ऊपर होते हैं ।
गजल गायक गुलाम अली, मेंहदी हसन, जगजीत सिंह आदि ऐसे नाम हैं, जो देश की सीमाओं से परे हैं । इनका सम्मान सारी दुनिया में हुआ है । भारत की जनता तो इनकी गजल गायिकी की दीवानी है । मुम्बई में गुलाम अली का कांसर्ट रद्द होना दुखद बात है, उससे भी ज्यादा दुखद यह है कि दिल्ली में इस समय एक ऐसी अवसरवादी सरकार सत्ता में बैठी है, जो हर मामले में राजनीतिक रोटियाँ सेंकना चाहती है । हद तो तब हो गयी जब दिल्ली सरकार ने गजल और गजल गायक को अपनी राजनीतिक रोटियाँ संेकने का माध्यम बना डाला ।
नयी दिल्ली, 09 अक्तूूबर। पाकिस्तान के मशहूर गजल गायक गुलाम अली के मुम्बई कांसर्ट रद्द होने और दिल्ली सरकार द्वारा उनको राजधानी में गजल गायन का निमंत्रण देने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा है कि मुम्बई में जो कार्य शिवसेना ने किया है, वही कार्य दिल्ली में गुलाम अली को न्योता देकर आम आदमी पार्टी की सरकार ने भी किया है । इस मामले में कलाकार का सम्मान कम और राजनीति ज्यादा होती दिखाई दे रही है । अच्छा होता कि कलाकारों को लेकर कोई भी पार्टी राजनीतिक रोटियाँ न सेंकती ।
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता और सांस्कृतिक रूप से समृद्धता वाली रही है । यहाँ संगीत को महान दर्जा दिया गया है । समय समय पर दुनिया भर के संगीतकार, नृत्यकार, कांसर्ट ग्रुप आदि भारत में आते रहे हैं । यहाँ की जनता ने राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर कलाकारों का सदैव सम्मान किया है । इस बारे में देश की जनता ने धर्म, जाति, क्षेत्र, वर्ग, भाषा, रंग रूप आदि को कभी वरीयता नहीं दी । कलाकार सिर्फ कलाकार होता है, इसी नज़र से भारतवासियों ने कलाकारों को देखा है । भारतीय जनमानस ने कलाकारों को परिंदों की तरह माना है, जो देश, काल और परिस्थितियों से ऊपर होते हैं ।
गजल गायक गुलाम अली, मेंहदी हसन, जगजीत सिंह आदि ऐसे नाम हैं, जो देश की सीमाओं से परे हैं । इनका सम्मान सारी दुनिया में हुआ है । भारत की जनता तो इनकी गजल गायिकी की दीवानी है । मुम्बई में गुलाम अली का कांसर्ट रद्द होना दुखद बात है, उससे भी ज्यादा दुखद यह है कि दिल्ली में इस समय एक ऐसी अवसरवादी सरकार सत्ता में बैठी है, जो हर मामले में राजनीतिक रोटियाँ सेंकना चाहती है । हद तो तब हो गयी जब दिल्ली सरकार ने गजल और गजल गायक को अपनी राजनीतिक रोटियाँ संेकने का माध्यम बना डाला ।
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