भाजपा विधायक कल मंत्री तथा जलबोर्ड के अध्यक्ष के विरूद्ध 29 अनाधिकृत कालोनियों में बूथ लगाकर पेयजल बेचने के काम में हुई धांधली के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करेंगे
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज जानकारी दी कि वे कल सुबह अन्य भाजपा विधायकों के साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्रांच के प्रमुख श्री मुकेश कुमार मीणा से मिलेंगे और दिल्ली सरकार के मंत्री तथा दिल्ली जल बोर्ड के प्रमुख श्री कपिल मिश्रा के विरूद्ध 29 अनाधिकृत कालोनियों में बूथ लगाकर पेयजल बेचने के काम को निजी कंपनी को सौंपने में हुई धांधली के विरूद्ध एफआरआर दर्ज करेंगे । उन्होंने आरोप लगाया कि निजी ठेकेदार मेसर्स वाटर हेल्थ प्राइवेट इंडिया लिमिटेड (हैदराबाद) तथा उनके सलाहकार एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाॅफ कालेज आफ इंडिया (हैदराबाद) की नियुक्ति में भारी धांधली हुई है । श्री गुप्ता ने कहा कि मामले की गम्भीरता का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह अनुबंध 12 वर्ष के लिये दिया गया है और इसमें कई हजार करोड़ रूप्यों का घोटाला होगा । उन्होंने कहा कि इसमें केन्द्रीय सर्तकता आयोग के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन हुआ है और वे आयोग के आयुक्त से इसकी शिकायत करंेगे ।
श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड अधिनियम के अनुसार जल आपूर्ति का दायित्व दिल्ली जल बोर्ड का है और इसे प्राइवेट हाथों में सौंपा नहीं जा सकता । मेसर्स वाटर हेल्थ प्राइवेट (हैदराबाद) को अनुबंध देकर दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष ने अधिनियम का उल्लंघन किया है । इस सारी प्रक्रिया में निजी ठेकेदार को भारी वित्त लाभ हुआ है और इसके पीछे दिल्ली सरकार की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि पूर्व सरकार ने जब इसी प्रकार के सावदा घेवरा प्रोजेक्ट के लिये निविदायें आमंत्रित की थीं तब किसी भी परामर्शदाता को नियुक्त नहीं किया था परंतु केजरीवाल सरकार ने हैदराबाद स्थित प्रशासनिक स्टाफ कालेज को इस कार्य के लिये नियुक्त किया है । जिसप्रकार इस परामर्शदाता को नियुक्त किया गया है उससे सरकार की मंशा और प्रक्रिया गंभीर आरोपों के घरे में आते हंै । दोनों का ही चुनाव एक ही शहर से हुआ है तो उनकी आपसी साॅंठगाॅंठ का अंदेशा होने से इंकार नहीं किया जा सकता ।
परामर्शदाता की नियुक्ति पिछले दरवाजे से बिना किसी स्पर्धा व प्रचार के की गई । प्रीक्वालीफिकेशन में जो मापदंड तय किये गये वे कंपनी विशेष के चुनाव के नजरिये से निर्धारित किये गये थे । इसमेें बहुत बचकाना आधार पर न्यूनतम टेंडर को निरस्त किया गया था । निर्णय लेने का सारा काम परामर्शदाता को ही सौंप दिया गया । इसमें सरकार का कोई दखल नहीं था ।
सरकार का यह कहना झूठ है कि इस कार्य में सरकार के उपर किसी भी प्रकार वित्त भार नहीं पड़ने जा रहा है । श्री गुप्ता ने कहा कि आर.ओ. प्लांट लगाने के लिये जो 29 स्थल निर्धारित किये गये हैं उनमें से अनेकों को हासिल करने के लिये दिल्ली सरकार को करोड़ों रूप्ये व्यय करने होंगे । 6 स्थल निगम पार्कों में हैं । चूंकि नगर निगमें स्वशासी संस्थायें हैं तो सरकार को यह स्थल मिलने की सम्भावना नहीं है या उन्हें भारी कीमत देके खरीदना होगा । 9 स्थल ऐसे हैं जो कि दिल्ली जल बोर्ड के स्वामित्व में नहीं आते । 5 मामलों में स्थल के स्वामित्व मे बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है । यदि भूमि खरीद के ठेकेदार को सौंपा जाता है तो दिल्ली सरकार को इनके लिये करोड़ों रूप्ये व्यय करने होंगे ।
श्री गुप्ता ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान न्यूनतम दरें आउटलेट से 20 लीटर के लिये 3 रूप्ये तथा घर तक पहुंचाने की दर 6 रूप्ये थी । परंतु अब यह दर 5 रूप्ये निर्धारित की गई है जिसमें यह स्पष्ट नहीं है कि यह दर पानी घर तक डिलीवर करने की है । प्रक्रिया को देखकर यह मालूम होता है कि यह दर आउटलेट तक पानी पहंुचाने की ही है । अतः सारी प्रक्रिया में 2 रूप्ये प्रति लीटर की दर से रेट अधिक आये हैं ।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि काम को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया में अन्य अनेक धांधलियां हुई हैं जिन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्रांच तथा केन्द्रीय सतर्कता आयोग के सम्मुख रखा जायेगा ताकि इसमें हुई भारी धांधली को रोका जा सके ।
श्री गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड अधिनियम के अनुसार जल आपूर्ति का दायित्व दिल्ली जल बोर्ड का है और इसे प्राइवेट हाथों में सौंपा नहीं जा सकता । मेसर्स वाटर हेल्थ प्राइवेट (हैदराबाद) को अनुबंध देकर दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष ने अधिनियम का उल्लंघन किया है । इस सारी प्रक्रिया में निजी ठेकेदार को भारी वित्त लाभ हुआ है और इसके पीछे दिल्ली सरकार की मंशा पर भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि पूर्व सरकार ने जब इसी प्रकार के सावदा घेवरा प्रोजेक्ट के लिये निविदायें आमंत्रित की थीं तब किसी भी परामर्शदाता को नियुक्त नहीं किया था परंतु केजरीवाल सरकार ने हैदराबाद स्थित प्रशासनिक स्टाफ कालेज को इस कार्य के लिये नियुक्त किया है । जिसप्रकार इस परामर्शदाता को नियुक्त किया गया है उससे सरकार की मंशा और प्रक्रिया गंभीर आरोपों के घरे में आते हंै । दोनों का ही चुनाव एक ही शहर से हुआ है तो उनकी आपसी साॅंठगाॅंठ का अंदेशा होने से इंकार नहीं किया जा सकता ।
परामर्शदाता की नियुक्ति पिछले दरवाजे से बिना किसी स्पर्धा व प्रचार के की गई । प्रीक्वालीफिकेशन में जो मापदंड तय किये गये वे कंपनी विशेष के चुनाव के नजरिये से निर्धारित किये गये थे । इसमेें बहुत बचकाना आधार पर न्यूनतम टेंडर को निरस्त किया गया था । निर्णय लेने का सारा काम परामर्शदाता को ही सौंप दिया गया । इसमें सरकार का कोई दखल नहीं था ।
सरकार का यह कहना झूठ है कि इस कार्य में सरकार के उपर किसी भी प्रकार वित्त भार नहीं पड़ने जा रहा है । श्री गुप्ता ने कहा कि आर.ओ. प्लांट लगाने के लिये जो 29 स्थल निर्धारित किये गये हैं उनमें से अनेकों को हासिल करने के लिये दिल्ली सरकार को करोड़ों रूप्ये व्यय करने होंगे । 6 स्थल निगम पार्कों में हैं । चूंकि नगर निगमें स्वशासी संस्थायें हैं तो सरकार को यह स्थल मिलने की सम्भावना नहीं है या उन्हें भारी कीमत देके खरीदना होगा । 9 स्थल ऐसे हैं जो कि दिल्ली जल बोर्ड के स्वामित्व में नहीं आते । 5 मामलों में स्थल के स्वामित्व मे बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है । यदि भूमि खरीद के ठेकेदार को सौंपा जाता है तो दिल्ली सरकार को इनके लिये करोड़ों रूप्ये व्यय करने होंगे ।
श्री गुप्ता ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान न्यूनतम दरें आउटलेट से 20 लीटर के लिये 3 रूप्ये तथा घर तक पहुंचाने की दर 6 रूप्ये थी । परंतु अब यह दर 5 रूप्ये निर्धारित की गई है जिसमें यह स्पष्ट नहीं है कि यह दर पानी घर तक डिलीवर करने की है । प्रक्रिया को देखकर यह मालूम होता है कि यह दर आउटलेट तक पानी पहंुचाने की ही है । अतः सारी प्रक्रिया में 2 रूप्ये प्रति लीटर की दर से रेट अधिक आये हैं ।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि काम को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया में अन्य अनेक धांधलियां हुई हैं जिन्हें भ्रष्टाचार निरोधक ब्रांच तथा केन्द्रीय सतर्कता आयोग के सम्मुख रखा जायेगा ताकि इसमें हुई भारी धांधली को रोका जा सके ।
Comments
Post a Comment