केजरीवाल सरकार का उपराज्यपाल के विरूद्ध प्रस्ताव असंवैधानिक तथा दुर्भावना से परिपूर्ण - विजेन्द्र गुप्ता
नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज केजरीवाल सरकार के उस प्रस्ताव की कडी भत्र्सना की जिसमें उनकी आलोचना करते हुये कहा गया है कि वे दिल्ली सरकार के कुछ अधिकारियों को डरा-धमका रहे हैं । प्रस्ताव में कहा गया है कि इन अधिकारियों को आप सरकार के चुने हुये प्रतिनिधियों को पंगु बनाने को कहा था ताकि वे सरकार के खिलाफ फाइलों में अप्रगतिशील तथा अवरोध करने वाली टिप्पणियाॅं लिखें । सरकार ने ऐसे अधिकारियों की परिवेदनाओं के समाधान के लिये तीन मंत्रियों का एक समूह भी बनाया है । श्री गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार का यह काम असंवैधानिक है तथा केन्द्र के प्रतिनिधि के विरूद्ध दुर्भावनापूर्ण है । यह उपराज्यपाल के गरिमामय पद का अनादर तथा अवमूल्यन करने वाला एक बड़ा कदम है ।
श्री गुप्ता ने कहा कि प्रस्ताव तथा मंत्रियों के समूह की संरचना संवैधानिक दृष्टि से अत्यंत त्रुटिपूर्ण है क्योंकि मुख्यमंत्री उपराज्यपाल के विरूद्ध इस तरह के प्रस्ताव पारित नहीं कर सकते क्योंकि वह केन्द्र का प्रतिनिधि तथा सरकार का मुखिया होता है । मुख्यमंत्री को यह नहीं भूलना चाहिये कि दिल्ली में उपराज्यपाल का एक विशेष दर्जा होता है क्योंकि दिल्ली एक केन्द्रशासित राज्य है । केजरीवाल के इसी प्रकार के कारनामों की वजह से आज दिल्ली में सरकार थम गई है ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 29 मई, 2015 के आदेश में कहा था कि उच्च न्यायालय सरकार के 21 मई, 2015 के नोटिफिकेशन के बारे में निर्णय लेने में सक्षम है । इससे सारा मामला स्पष्ट हो गया था । अब इस बात को दोबारा उठाना असंवैधानिक तथा दुर्भावना से परिपूर्ण है ।
श्री गुप्ता ने कहा कि पिछले आठ महीनों में केजरीवाल सरकार ने न केवल असंवैधानिक कार्य किये हैं और सरकारी नियमों की अवहेलना की है अपितु वे पारदर्शिता, नैतिकता तथा सरकार में पदों की गरिमा का मान रखने में भी असफल रहे हैं ।
श्री गुप्ता ने कहा कि प्रस्ताव तथा मंत्रियों के समूह की संरचना संवैधानिक दृष्टि से अत्यंत त्रुटिपूर्ण है क्योंकि मुख्यमंत्री उपराज्यपाल के विरूद्ध इस तरह के प्रस्ताव पारित नहीं कर सकते क्योंकि वह केन्द्र का प्रतिनिधि तथा सरकार का मुखिया होता है । मुख्यमंत्री को यह नहीं भूलना चाहिये कि दिल्ली में उपराज्यपाल का एक विशेष दर्जा होता है क्योंकि दिल्ली एक केन्द्रशासित राज्य है । केजरीवाल के इसी प्रकार के कारनामों की वजह से आज दिल्ली में सरकार थम गई है ।
विपक्ष के नेता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 29 मई, 2015 के आदेश में कहा था कि उच्च न्यायालय सरकार के 21 मई, 2015 के नोटिफिकेशन के बारे में निर्णय लेने में सक्षम है । इससे सारा मामला स्पष्ट हो गया था । अब इस बात को दोबारा उठाना असंवैधानिक तथा दुर्भावना से परिपूर्ण है ।
श्री गुप्ता ने कहा कि पिछले आठ महीनों में केजरीवाल सरकार ने न केवल असंवैधानिक कार्य किये हैं और सरकारी नियमों की अवहेलना की है अपितु वे पारदर्शिता, नैतिकता तथा सरकार में पदों की गरिमा का मान रखने में भी असफल रहे हैं ।
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