केजरीवाल सरकार ने दिल्ली की जनता से फिर किया फरेब - सतीश उपाध्याय
निजी कम्पनियों से सांठगांठ के चलते केजरीवाल सरकार ने उच्च न्यायालय में पावर डिस्काॅम के संयुक्त भागीदारी होने के तथ्य को नहीं रखा जिसके चलते उन्हें निजी कम्पनी मानकर सी.ए.जी. आडिट मुद्दे पर राहत मिली
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा है कि आज जहां दिल्ली उच्च न्यायालय के पावर डिस्काॅम आॅडिट विषय के निर्णय के बाद अरविन्द केजरीवाल सरकार कटघरे में आती है तो नगर निगमों को लेकर केजरीवाल सरकार द्वारा अखबारों मंे जारी विज्ञापन एक नया झूठ है और दिल्ली की जनता को भ्रमित करने का नया प्रयास है। दिल्ली की जनता के साथ केजरीवाल सरकार लगातार फरेब कर रही है। पत्रकारवार्ताओं के माध्यम से जनता को कहते हैं हम पावर डिस्काॅम का आडिट करायेंगे पर न्यायालय में अपना रूख बदल देते हैं। इसी तरह आज नगर निगमों को केन्द्र के आधीन बताने वाले विज्ञापन दिल्ली के जनता के साथ एक नया फरेब हैं। दिल्ली नगर निगम एक्ट बिलकुल स्पष्ट है कि दिल्ली के तीनों नगर निगम दिल्ली सरकार के आधीन हैं और उनके आर्थिक पोषण की जिम्मेदारी दिल्ली सकरार की है।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि श्री अरविन्द केजरीवाल 2012 से जनता को कहते रहे हैं कि बिजली कम्पनियों का आॅडिट होना चाहिए क्योंकि इनके खातों मंे गड़बडि़यां हैं। 2013 में सत्ता में आने पर और फिर पुनः 2015 का चुनाव जीतने पर केजरीवाल सरकार लगातार दावे करती रही है कि वह पावर डिस्काॅम के सी.ए.जी. से आॅडिट करायेगी। दिल्ली की जनता भलिभांति जानती है कि पावर डिस्काॅम निजी कम्पनी नहीं है, यह पावर डिस्काॅम दिल्ली सरकार और निजी बिजली कम्पनियों की संयुक्त भागीदारी है।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि भाजपा की यह ठोस जानकारी है कि दिल्ली सरकार के वकीलों और पावर डिस्काॅम बोर्ड में सरकारी प्रतिनिधियों ने निजी बिजली कम्पनियों से मिलीभगत की और माननीय उच्च न्यायालय के संज्ञान में यह विषय लाया ही नहीं गया कि पावर डिस्काॅम दिल्ली सरकार और निजी बिजली कम्पनियों की संयुक्त भागीदारी है।
उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह मामला पावर डिस्काॅम को निजी कम्पनी बताकर रखा गया और वहां जो फैसला हुआ है उसमें माननीय न्यायाधीशों ने पावर डिस्काॅम को निजी कम्पनी मान कर राहत दी है। अगर दिल्ली सरकार न्यायालय के समक्ष पावर डिस्काॅम को जनता के पैसे की संयुक्त भागीदारी के रूप में रखती तो निश्चित ही सी.ए.जी. या किसी अन्य एजेंसी से आॅडिट की बात न्यायालय में मान्य हो सकती थी।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल पिछले 4 वर्ष से पावर डिस्काॅम आॅडिट की बात करते रहे है और अब उनकी सरकार जवाब दे कि आखिर न्यायालय में वह अपने रूख को क्यों नहीं रख पाई ? दिल्ली सरकार को अविलम्ब सर्वोच्च न्यायालय में अपील याचिका दायर करनी चाहिए और वहां अपील का बिन्दू होना चाहिए कि यह पावर डिस्काॅम संयुक्त भागीदारी हैं अतः इनका आडिट होना चाहिए।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि श्री अरविन्द केजरीवाल 2012 से जनता को कहते रहे हैं कि बिजली कम्पनियों का आॅडिट होना चाहिए क्योंकि इनके खातों मंे गड़बडि़यां हैं। 2013 में सत्ता में आने पर और फिर पुनः 2015 का चुनाव जीतने पर केजरीवाल सरकार लगातार दावे करती रही है कि वह पावर डिस्काॅम के सी.ए.जी. से आॅडिट करायेगी। दिल्ली की जनता भलिभांति जानती है कि पावर डिस्काॅम निजी कम्पनी नहीं है, यह पावर डिस्काॅम दिल्ली सरकार और निजी बिजली कम्पनियों की संयुक्त भागीदारी है।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि भाजपा की यह ठोस जानकारी है कि दिल्ली सरकार के वकीलों और पावर डिस्काॅम बोर्ड में सरकारी प्रतिनिधियों ने निजी बिजली कम्पनियों से मिलीभगत की और माननीय उच्च न्यायालय के संज्ञान में यह विषय लाया ही नहीं गया कि पावर डिस्काॅम दिल्ली सरकार और निजी बिजली कम्पनियों की संयुक्त भागीदारी है।
उच्चतम न्यायालय के समक्ष यह मामला पावर डिस्काॅम को निजी कम्पनी बताकर रखा गया और वहां जो फैसला हुआ है उसमें माननीय न्यायाधीशों ने पावर डिस्काॅम को निजी कम्पनी मान कर राहत दी है। अगर दिल्ली सरकार न्यायालय के समक्ष पावर डिस्काॅम को जनता के पैसे की संयुक्त भागीदारी के रूप में रखती तो निश्चित ही सी.ए.जी. या किसी अन्य एजेंसी से आॅडिट की बात न्यायालय में मान्य हो सकती थी।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल पिछले 4 वर्ष से पावर डिस्काॅम आॅडिट की बात करते रहे है और अब उनकी सरकार जवाब दे कि आखिर न्यायालय में वह अपने रूख को क्यों नहीं रख पाई ? दिल्ली सरकार को अविलम्ब सर्वोच्च न्यायालय में अपील याचिका दायर करनी चाहिए और वहां अपील का बिन्दू होना चाहिए कि यह पावर डिस्काॅम संयुक्त भागीदारी हैं अतः इनका आडिट होना चाहिए।
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