केजरीवाल सरकार का कथन है कि दिल्ली के नगर निगम केन्द्र सरकार के अधीन हैं एक सफेद झूठ है - सतीश उपाध्याय
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। दिल्ली भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने आज करोड़ों रूपये के विज्ञापन जारी कर नगर निगमों के मामले में दिल्ली की जनता को गुमराह करने का जो प्रयास किया है वह राजनीतिक मर्यादाओं का पूरी तरह उल्लंघन है।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन में कहा गया है कि दिल्ली के नगर निगम केन्द्र सरकार के अधीन हैं, यह एक सफेद झूठ है। दिल्ली नगर निगम एक्ट 2012 के अंतर्गत दिल्ली नगर निगम बटवारे के बाद दिल्ली के नव गठित तीनों नगर निगम दिल्ली सरकार के अधीन है, इनके आर्थिक पोषण के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों, एक नगर निगम से दूसरे नगर निगम में कर्मियों का स्थानान्तरण आदि सभी कार्य दिल्ली सरकार करती है।
श्री उपाध्याय ने कहा कि अभी इसी हफ्ते अपने एक पत्र में श्री अरविन्द केजरीवाल ने उपराज्यपाल से मांग की थी कि डी.डी.ए. से नगर निगमों का बकाया दिलवायें, अगर नगर निगम दिल्ली सरकार के अधीन आते ही नहीं हैं तो श्री केजरीवाल ने यह चिंता क्यों की थी ?
श्री उपाध्याय ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तर्ज पर 10 साल पुराने मापदंडों के आधार पर दिल्ली नगर निगमों के लिए बजट आबंटित किया है जोकि निगमों की आर्थिक बदहाली का मुख्य कारण है। उन्होंने मांग की है कि केजरीवाल सरकार नगर निगमों का बजट चैथे वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर करें।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन में कहा गया है कि दिल्ली के नगर निगम केन्द्र सरकार के अधीन हैं, यह एक सफेद झूठ है। दिल्ली नगर निगम एक्ट 2012 के अंतर्गत दिल्ली नगर निगम बटवारे के बाद दिल्ली के नव गठित तीनों नगर निगम दिल्ली सरकार के अधीन है, इनके आर्थिक पोषण के साथ-साथ वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्तियों, एक नगर निगम से दूसरे नगर निगम में कर्मियों का स्थानान्तरण आदि सभी कार्य दिल्ली सरकार करती है।
श्री उपाध्याय ने कहा कि अभी इसी हफ्ते अपने एक पत्र में श्री अरविन्द केजरीवाल ने उपराज्यपाल से मांग की थी कि डी.डी.ए. से नगर निगमों का बकाया दिलवायें, अगर नगर निगम दिल्ली सरकार के अधीन आते ही नहीं हैं तो श्री केजरीवाल ने यह चिंता क्यों की थी ?
श्री उपाध्याय ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तर्ज पर 10 साल पुराने मापदंडों के आधार पर दिल्ली नगर निगमों के लिए बजट आबंटित किया है जोकि निगमों की आर्थिक बदहाली का मुख्य कारण है। उन्होंने मांग की है कि केजरीवाल सरकार नगर निगमों का बजट चैथे वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर करें।
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