अरविन्द केजरीवाल द्वारा बार-बार एन्टी करप्शन ब्रांच का नियंत्रण अपनी सरकार के अंतर्गत मांगने का उद्देश्य दागी नौकरशाहों और अपने राजनैतिक सहयोगियों को संरक्षण देना प्रतीत होता है-सतीश उपाध्याय
नई दिल्ली, 12 दिसम्बर आज प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुये दिल्ली
भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि श्री अरविन्द केजरीवाल अपने पूर्ववर्ती 15 वर्षों के कांग्रेस शासन के दौरान हुये भ्रष्टाचार के विरूद्ध बोल-बोल कर दिल्ली में सत्ता में आये किन्तु सत्ता में आने के बाद ही वह भ्रष्टाचारियों के सबसे बड़े संरक्षक बन गये। कांग्रेस के 15 वर्षों के शासन के दौरान दिल्ली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और घोटाले हुये थे और उस समय की नौकारशाही ने भी भ्रष्टाचार और घोटाले में बड़ी सहायता की थी।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह वास्तव में आश्चर्य जनक है कि जो व्यक्ति शीला दीक्षित सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ 360 पृष्ठों की शिकायत फाइल करने की बात करता था आज वही व्यक्ति उन राजनेताओं और अधिकारियों के विरूद्ध कोई भी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। यह भी चैकाने वाली बात है कि दिल्ली सरकार के अधीन शीर्ष स्थानों पर कार्यरत नौकरशाह वही हैं जो तत्कालीन कांग्रेस सरकार के अधीन विभिन्न घोटालों में लिप्त थे।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि श्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा बार-बार एन्टी करप्शन ब्रांच का नियंत्रण अपनी सरकार के अंतर्गत मांगने का उद्देश्य दागी नौकरशाहों और अपने राजनैतिक सहयोगियों को संरक्षण देना प्रतीत होता है। भाजपा मांग करती है कि दिल्ली सरकार ऐसे सभी अधिकारियों को चिन्हित करें जो शीला दीक्षित शासन के घोटालों से जुड़े हैं और उन्हें दिल्ली सरकार से पदमुक्त किया जाये ताकि वह किसी जांच को प्रभावित न करें।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने जिस प्रकार सी.एन.जी. घोटाले को जिसमें मुख्यमंत्री के सचिव श्री राजेन्द्र कुमार आरोपी थे, ठंडे बस्ते में डाल दिया है, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष पर बहुत कुछ कहता है।
उन्होंने दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी श्री चेतन बी सांघी के खिलाफ तुरन्त अनुशास्नातमक कार्रवाई
करने की मांग की है क्योंकि श्री सांघी जो श्रीमती शीला दीक्षित सरकार के दौरान डी.एस.आई.आई.डी.सी. अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे और उन पर अब भ्रष्टाचार के मामलों में ए.सी.बी. द्वारा दो एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं। दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि श्री सांघी को उनके पद से मुक्त कर दिया जाये जिससे कि वे इस मामले की निष्पक्ष जांच और उस पर आगे की कार्रवाई पर कोई अनुचित प्रभाव न डाल सकें।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा है कि श्री सांघी के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की जा चुकी हैं और यह स्पष्ट है कि उन्होंने दिल्ली सरकार से धोखा किया है। उन्होंने आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता श्री विवके गर्ग के कार्य की भी सराहना की कि जिन्होंने सरकार के विरूद्ध संघर्ष करते हुये शिकायत दर्ज की और विपरीत परिस्थितियों में सबूत एकत्रित किये जिससे कि भ्रष्टाचार को साबित किया जा सके और इसके परिणाम स्वरूप ए.सी.बी. ने दो एफ.आई.आर. दर्ज की हैं।
पहले मामले में श्री सांघी ने डी.एस.आई.आई.डी.सी. के अध्यक्ष होने के नाते डी.डी.ए. की अनुमति के बिना ही 360 लीज होल्ड के औद्योगिक प्लाटों को फ्री होल्ड में परिवर्तित कर दिया। ऐसा करते हुये श्री सांघी ने न केवल भूमि स्वामी डी.डी.ए. के साथ धोखा किया बल्कि औद्योगिक शेड के मालिकों के साथ भी छल किया जिनके लीज ही अब रद्द हो जायेंगी क्योंकि परिवर्तन प्रक्रिया को ही ए.सी.बी. ने फर्जी पाया।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह वास्तव में दुख की बात है कि केजरीवाल सरकार के शासन के दौरान भी श्री सांघी ने और 250 औद्योगिक शेडों को गैर कानूनी रूप से फ्री होल्ड करवाने का प्रयास किया तथा डी.डी.ए. द्वारा 23 अप्रैल, 2015 को की गई आपत्ति के बाद ही डी.एस.आई.आई.डी.सी. ने यह प्रक्रिया रोकी है।
जिस प्रकार श्री सांघी ने 7 औद्योगिक क्षेत्रों अर्थात लारेंस रोड, नांगलोई, मंगोलपुरी, औखला, कीर्ति नगर, झिलमिल और वजीरपुर में गैर कानूनी रूप से कनवर्जन करने का कार्य किया है उससे यह स्पष्ट है कि उस समय के बड़े राजनेता भी इस में लिप्त होंगे और इसके लिए मौटी रकम भी ली-दी गई होगी।
दूसरी एफ.आई.आर. में श्री सांघी ने डी.एस.आई.आई.डी.सी. के अध्यक्ष के अधिकार का दुरूपयोग करते हुये न केवल स्पेशल परपस व्हीकल गठित करने के लिए उपराज्यपाल के दिशा निर्देशों जिनका उद्देश्य नरेला और बवाना औद्योगिक क्षेत्रों में विकास और रख-रखाव को सुनिश्चित किया जा सके का उल्लंघन किया बल्कि खुद डी.एस.आई.आई.डी.सी. के साथ धोखा-धड़ी एवं राजस्व का भारी नुक्सान पहुंचाया।
तत्कालीन उपराज्यपाल महोदय ने 2010 में निर्देश दिये थे कि नरेला एवं बवाना औद्योगिक क्षेत्रों में विकास एवं रख रखाव के लिए 30 वर्षीय एस.पी.वी. का गठन किया जाये जिसमें 26 प्रतिशत हिस्सेदारी डी.एस.आई.आई.डी.सी. की हो। इसके अंतर्गत भागीदार निजी कम्पनी रूपये 10$3 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से विकास शुल्क वसूल कर उसका 26 प्रतिशत दिल्ली सरकार को देगी।
श्री सांघी ने उपराज्यपाल के दिशा निर्देशों का अनुपालन करने की जगह अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में जानबूझ कर नियमों को ताक पर रखकर 13 वर्ष के लिए दो निजी कम्पनियों को नरेला व बवाना औद्योगिक क्षेत्रों का रख रखाव का काम सौंप दिया।
उपराज्यपाल द्वारा स्वीकृत स्कीम के अंतर्गत दिल्ली सरकार को निजी कम्पनियों से सालाना फीस के साथ-साथ विकास शुल्क राजस्व का 30 प्रतिशत मिलना था पर श्री सांघी द्वारा किये गये घोटाले के बाद दिल्ली सरकार निजी कम्पनियों को 30 करोड़ रूपये प्रति वर्ष देने को बाध्य हो गई।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि चकित करता है कि जहां एक आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता ने गंभीर संघर्ष कर श्री चेतन बी सांघी के विरूद्ध साक्ष्य एकत्र कर एफ.आई.आर. दर्ज कराई है वहीं केजरीवाल सरकार में डी.एस.आई.आई.डी.सी. के बोर्ड में नियुक्त विधायक श्री सोमदत्त और स्वयं मुख्यमंत्री की चुप्पी जनता को चैकाती है।
केजरीवाल सरकार द्वारा शीला दीक्षित शासन में हुये भ्रष्टाचार में सहयोगी प्रमुख अधिकारियों श्री राजेन्द्र कुमार, श्री संजय प्रताप सिंह एवं श्री चेतन बी सांघी के विरूद्ध कार्रवाई पर मुख्यमंत्री की चुप्पी दर्शाती है कि उनकी कांग्रेस सरकार के दौरान हुये भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की कोई इच्छा नहीं है।
इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल की राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान हुये भ्रष्टाचार पर चुप्पी भी भौंचक्का करती है। खास कर अब जब सी.बी.आई. ने विगत दिनों में ही लगभग दो दर्जन से अधिक एफ.आई.आर. राष्ट्रमंडल खेल घोटालों से जुड़े मामलों में दर्ज की हैं।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि ऐसा लगता है कि अपने पूर्व मंत्री श्री आसिम अहमद खान की प्याज घोटाले एवं अपने सचिव श्री राजेन्द्र कुमार की सी.एन.जी. घोटाले में लिप्तता, श्री संजय प्रताप सिंह की भ्रष्टाचार में गिरफ्तारी और श्री चेतन बी. सांघी पर भ्रष्टाचार के मामलों में एफ.आई.आर. के साथ-साथ अपने विधायकों का खुला भ्रष्टाचार दिल्ली के मुख्यमंत्री का एन्टी करपशन ब्रांच का कंट्रोल अपनी सरकार के अंतर्गत मांगने को बाध्य कर रहा है ताकि वह अपने भ्रष्ट साथियों को संरक्षण देते रह सहें।
भाजपा अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि श्री अरविन्द केजरीवाल अपने पूर्ववर्ती 15 वर्षों के कांग्रेस शासन के दौरान हुये भ्रष्टाचार के विरूद्ध बोल-बोल कर दिल्ली में सत्ता में आये किन्तु सत्ता में आने के बाद ही वह भ्रष्टाचारियों के सबसे बड़े संरक्षक बन गये। कांग्रेस के 15 वर्षों के शासन के दौरान दिल्ली में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और घोटाले हुये थे और उस समय की नौकारशाही ने भी भ्रष्टाचार और घोटाले में बड़ी सहायता की थी।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह वास्तव में आश्चर्य जनक है कि जो व्यक्ति शीला दीक्षित सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ 360 पृष्ठों की शिकायत फाइल करने की बात करता था आज वही व्यक्ति उन राजनेताओं और अधिकारियों के विरूद्ध कोई भी कार्रवाई करने को तैयार नहीं है। यह भी चैकाने वाली बात है कि दिल्ली सरकार के अधीन शीर्ष स्थानों पर कार्यरत नौकरशाह वही हैं जो तत्कालीन कांग्रेस सरकार के अधीन विभिन्न घोटालों में लिप्त थे।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा है कि श्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा बार-बार एन्टी करप्शन ब्रांच का नियंत्रण अपनी सरकार के अंतर्गत मांगने का उद्देश्य दागी नौकरशाहों और अपने राजनैतिक सहयोगियों को संरक्षण देना प्रतीत होता है। भाजपा मांग करती है कि दिल्ली सरकार ऐसे सभी अधिकारियों को चिन्हित करें जो शीला दीक्षित शासन के घोटालों से जुड़े हैं और उन्हें दिल्ली सरकार से पदमुक्त किया जाये ताकि वह किसी जांच को प्रभावित न करें।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि केजरीवाल सरकार ने जिस प्रकार सी.एन.जी. घोटाले को जिसमें मुख्यमंत्री के सचिव श्री राजेन्द्र कुमार आरोपी थे, ठंडे बस्ते में डाल दिया है, मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष पर बहुत कुछ कहता है।
उन्होंने दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारी श्री चेतन बी सांघी के खिलाफ तुरन्त अनुशास्नातमक कार्रवाई
करने की मांग की है क्योंकि श्री सांघी जो श्रीमती शीला दीक्षित सरकार के दौरान डी.एस.आई.आई.डी.सी. अध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे और उन पर अब भ्रष्टाचार के मामलों में ए.सी.बी. द्वारा दो एफ.आई.आर. दर्ज की गई हैं। दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि श्री सांघी को उनके पद से मुक्त कर दिया जाये जिससे कि वे इस मामले की निष्पक्ष जांच और उस पर आगे की कार्रवाई पर कोई अनुचित प्रभाव न डाल सकें।
दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री सतीश उपाध्याय ने कहा है कि श्री सांघी के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की जा चुकी हैं और यह स्पष्ट है कि उन्होंने दिल्ली सरकार से धोखा किया है। उन्होंने आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता श्री विवके गर्ग के कार्य की भी सराहना की कि जिन्होंने सरकार के विरूद्ध संघर्ष करते हुये शिकायत दर्ज की और विपरीत परिस्थितियों में सबूत एकत्रित किये जिससे कि भ्रष्टाचार को साबित किया जा सके और इसके परिणाम स्वरूप ए.सी.बी. ने दो एफ.आई.आर. दर्ज की हैं।
पहले मामले में श्री सांघी ने डी.एस.आई.आई.डी.सी. के अध्यक्ष होने के नाते डी.डी.ए. की अनुमति के बिना ही 360 लीज होल्ड के औद्योगिक प्लाटों को फ्री होल्ड में परिवर्तित कर दिया। ऐसा करते हुये श्री सांघी ने न केवल भूमि स्वामी डी.डी.ए. के साथ धोखा किया बल्कि औद्योगिक शेड के मालिकों के साथ भी छल किया जिनके लीज ही अब रद्द हो जायेंगी क्योंकि परिवर्तन प्रक्रिया को ही ए.सी.बी. ने फर्जी पाया।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि यह वास्तव में दुख की बात है कि केजरीवाल सरकार के शासन के दौरान भी श्री सांघी ने और 250 औद्योगिक शेडों को गैर कानूनी रूप से फ्री होल्ड करवाने का प्रयास किया तथा डी.डी.ए. द्वारा 23 अप्रैल, 2015 को की गई आपत्ति के बाद ही डी.एस.आई.आई.डी.सी. ने यह प्रक्रिया रोकी है।
जिस प्रकार श्री सांघी ने 7 औद्योगिक क्षेत्रों अर्थात लारेंस रोड, नांगलोई, मंगोलपुरी, औखला, कीर्ति नगर, झिलमिल और वजीरपुर में गैर कानूनी रूप से कनवर्जन करने का कार्य किया है उससे यह स्पष्ट है कि उस समय के बड़े राजनेता भी इस में लिप्त होंगे और इसके लिए मौटी रकम भी ली-दी गई होगी।
दूसरी एफ.आई.आर. में श्री सांघी ने डी.एस.आई.आई.डी.सी. के अध्यक्ष के अधिकार का दुरूपयोग करते हुये न केवल स्पेशल परपस व्हीकल गठित करने के लिए उपराज्यपाल के दिशा निर्देशों जिनका उद्देश्य नरेला और बवाना औद्योगिक क्षेत्रों में विकास और रख-रखाव को सुनिश्चित किया जा सके का उल्लंघन किया बल्कि खुद डी.एस.आई.आई.डी.सी. के साथ धोखा-धड़ी एवं राजस्व का भारी नुक्सान पहुंचाया।
तत्कालीन उपराज्यपाल महोदय ने 2010 में निर्देश दिये थे कि नरेला एवं बवाना औद्योगिक क्षेत्रों में विकास एवं रख रखाव के लिए 30 वर्षीय एस.पी.वी. का गठन किया जाये जिसमें 26 प्रतिशत हिस्सेदारी डी.एस.आई.आई.डी.सी. की हो। इसके अंतर्गत भागीदार निजी कम्पनी रूपये 10$3 प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से विकास शुल्क वसूल कर उसका 26 प्रतिशत दिल्ली सरकार को देगी।
श्री सांघी ने उपराज्यपाल के दिशा निर्देशों का अनुपालन करने की जगह अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में जानबूझ कर नियमों को ताक पर रखकर 13 वर्ष के लिए दो निजी कम्पनियों को नरेला व बवाना औद्योगिक क्षेत्रों का रख रखाव का काम सौंप दिया।
उपराज्यपाल द्वारा स्वीकृत स्कीम के अंतर्गत दिल्ली सरकार को निजी कम्पनियों से सालाना फीस के साथ-साथ विकास शुल्क राजस्व का 30 प्रतिशत मिलना था पर श्री सांघी द्वारा किये गये घोटाले के बाद दिल्ली सरकार निजी कम्पनियों को 30 करोड़ रूपये प्रति वर्ष देने को बाध्य हो गई।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि चकित करता है कि जहां एक आर.टी.आई. कार्यकत्र्ता ने गंभीर संघर्ष कर श्री चेतन बी सांघी के विरूद्ध साक्ष्य एकत्र कर एफ.आई.आर. दर्ज कराई है वहीं केजरीवाल सरकार में डी.एस.आई.आई.डी.सी. के बोर्ड में नियुक्त विधायक श्री सोमदत्त और स्वयं मुख्यमंत्री की चुप्पी जनता को चैकाती है।
केजरीवाल सरकार द्वारा शीला दीक्षित शासन में हुये भ्रष्टाचार में सहयोगी प्रमुख अधिकारियों श्री राजेन्द्र कुमार, श्री संजय प्रताप सिंह एवं श्री चेतन बी सांघी के विरूद्ध कार्रवाई पर मुख्यमंत्री की चुप्पी दर्शाती है कि उनकी कांग्रेस सरकार के दौरान हुये भ्रष्टाचार पर कार्रवाई करने की कोई इच्छा नहीं है।
इसी तरह दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल की राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान हुये भ्रष्टाचार पर चुप्पी भी भौंचक्का करती है। खास कर अब जब सी.बी.आई. ने विगत दिनों में ही लगभग दो दर्जन से अधिक एफ.आई.आर. राष्ट्रमंडल खेल घोटालों से जुड़े मामलों में दर्ज की हैं।
श्री उपाध्याय ने कहा है कि ऐसा लगता है कि अपने पूर्व मंत्री श्री आसिम अहमद खान की प्याज घोटाले एवं अपने सचिव श्री राजेन्द्र कुमार की सी.एन.जी. घोटाले में लिप्तता, श्री संजय प्रताप सिंह की भ्रष्टाचार में गिरफ्तारी और श्री चेतन बी. सांघी पर भ्रष्टाचार के मामलों में एफ.आई.आर. के साथ-साथ अपने विधायकों का खुला भ्रष्टाचार दिल्ली के मुख्यमंत्री का एन्टी करपशन ब्रांच का कंट्रोल अपनी सरकार के अंतर्गत मांगने को बाध्य कर रहा है ताकि वह अपने भ्रष्ट साथियों को संरक्षण देते रह सहें।
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