डा. कलाम को दुनिया सदियों तक याद करेगी - विजेन्द्र गुप्ता
नई दिल्ली, 28 जुलाई । भारत के 11 वें राश्ट्रपति डा. अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम के निधन पर गहरा षोक व्यक्त करते हुए नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि अन्तिम क्षणों में उन्हें पर्यावरण की विषेश चिन्ता थी । उनके अन्तिम षब्द थे कि आज आधुनिक विष्व की सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण के प्रदूशण की है । उन्होंने अपने अन्तिम सम्बोधन में कहा था कि भारत को पर्यावरण की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए । इसके लिए वे चाहते थे कि देषवासियों में इसको लेकर प्रबल जागरूकता फैले । वे स्वयं को एक षिक्षक कहलाना पसंद करते थे । ज्ञान को समर्पित डा. कलाम ने युवकों को ज्ञान बांटते-बांटते ही अपनी अंतिम सांसे लीं । डा. कलाम अपने कार्यों और सादगी के लिए विष्व मेें सदियों तक याद किये जायेंगे । उनका युवकों से कहना था कि मेहनत और ज्ञान का कोई विकल्प नहीं है । जो मेहनत करेगा, उसको उसका सुफल अवष्य प्राप्त होगा । ऐसा उन्होंने अपने जीवन में करके भी दिखाया ।
उपरोक्त उद्गार श्री गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में आज डा. कलाम को भावभीनी श्रद्धांजलि देते समय व्यक्त किये ।
उन्होंने बताया कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उन्हें राश्ट्रपति बनाया गया था । वे देष के ऐसे पहले राश्ट्रपति बने थे, जिनका बचपन अभावों में गुजरा था । एक अखबार बेचने वाला बालक देष का राश्ट्रपति बना । यह बात करोड़ों युवकों के लिए प्रेरणास़्त्रोत है । श्री गुप्ता ने बताया कि एक बार राश्ट्रपति महोदय को एक फाइल भेजते समय श्री वाजपेयी को चिंता थी कि डा. कलाम इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे या नहीं । यह बात साबित करती है कि डा. कलाम का कद श्री वाजपेयी की नजर में कितना बड़ा था । एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को उन्होंने राश्ट्रपति की कुर्सी सौंपी थी । उनका यह निर्णय सदियों तक देष-विदेष के युवाओं के लिए प्रेरणा का कारण बनेगा ।
राश्ट्रपति बनने के बाद डा. कलाम ने इच्छा व्यक्त की थी कि वे विषाल राश्ट्रपति भवन में न रहकर 2 कमरे के एक साधारण फ्लैट में गुजारा करेंगे । सुरक्षा कारणों से उनकी यह इच्छा पूर्ण नहीं हुई । राश्ट्रपति भवन में रहते हुए भी वे एक षिक्षक का जीवन जीते रहे । उनकी किताबें युवाओं के लिए मार्गदर्षक का कार्य करेंगी । डा. कलाम के कार्यकाल में ही भारत ने मिसाइल और परमाणु उर्जा के क्षेत्र में विष्व में नाम कमाया और एक विष्वषक्ति बनकर उभरा । देष सदैव उनका ऋणी रहेगा ।
उपरोक्त उद्गार श्री गुप्ता ने दिल्ली विधानसभा में आज डा. कलाम को भावभीनी श्रद्धांजलि देते समय व्यक्त किये ।
उन्होंने बताया कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में उन्हें राश्ट्रपति बनाया गया था । वे देष के ऐसे पहले राश्ट्रपति बने थे, जिनका बचपन अभावों में गुजरा था । एक अखबार बेचने वाला बालक देष का राश्ट्रपति बना । यह बात करोड़ों युवकों के लिए प्रेरणास़्त्रोत है । श्री गुप्ता ने बताया कि एक बार राश्ट्रपति महोदय को एक फाइल भेजते समय श्री वाजपेयी को चिंता थी कि डा. कलाम इस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे या नहीं । यह बात साबित करती है कि डा. कलाम का कद श्री वाजपेयी की नजर में कितना बड़ा था । एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को उन्होंने राश्ट्रपति की कुर्सी सौंपी थी । उनका यह निर्णय सदियों तक देष-विदेष के युवाओं के लिए प्रेरणा का कारण बनेगा ।
राश्ट्रपति बनने के बाद डा. कलाम ने इच्छा व्यक्त की थी कि वे विषाल राश्ट्रपति भवन में न रहकर 2 कमरे के एक साधारण फ्लैट में गुजारा करेंगे । सुरक्षा कारणों से उनकी यह इच्छा पूर्ण नहीं हुई । राश्ट्रपति भवन में रहते हुए भी वे एक षिक्षक का जीवन जीते रहे । उनकी किताबें युवाओं के लिए मार्गदर्षक का कार्य करेंगी । डा. कलाम के कार्यकाल में ही भारत ने मिसाइल और परमाणु उर्जा के क्षेत्र में विष्व में नाम कमाया और एक विष्वषक्ति बनकर उभरा । देष सदैव उनका ऋणी रहेगा ।
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