स्वाति मालीवाल की असंवैधानिक नियुक्ति का मामला
लगातार असंवैधानिक निर्णय कर केन्द्र से टकराव चाहते हैं केजरीवाल - विजेन्द्र गुप्ता
मुख्यमंत्री जनता के हित के कार्य करने के स्थान पर प्रतिदिन केन्द्र सरकार, दिल्ली पुलिस, दिल्ली विकास प्राधिकरण, भ्रश्टाचार निरोधक षाखा आदि से टकराव करते हैं । ऐसा करके वे मीडिया में बने रहना चाहते हैं । उनका हर प्रयास दिल्ली की जनता को गुमराह करने वाला है । ऐसा करके वे जनता की झूठी सहानुभूति बटोरना चाहते हैं, लेकिन दिल्ली की जनता जागरूक और पढ़ी-लिखी है, वह मुख्यमंत्री के झांसे में आने वाली नहीं है । मुख्यमंत्री ने पहले भ्रश्टाचार निरोधक षाखा के प्रमुख पद पर श्री मीणा की नियुक्ति का विरोध किया और उनके स्थान पर अपने पसंदीदा अधिकारी श्री यादव की मनमाने ढंग से नियुक्ति कर दी ।
मुख्यमंत्री अपनी षपथ के दिन से ही दिल्ली पुलिस का विरोध कर रहे हैं । एक मीडिया चैनल में दिये गये साक्षात्कार में उन्होंने दिल्ली पुलिस को ठुल्ला कहकर संबोधित किया । इससे देष के सारे पुलिस बल में आक्रोष है । किसी भी अनुषासित बल को ठुल्ला जैसे असंसदीय षब्द से आज तक देष के किसी भी मुख्यमंत्री ने संबोधित नहीं किया है । मुख्यमंत्री पर यह कहावत अक्षरषः चरितार्थ होती है कि अंधे के हाथ बटेर लगना । लगता है कि मुख्यमंत्री पद पर बैठकर श्री अरविन्द केजरीवाल अपने नाते-रिष्तेदारों और आम आदमी पार्टी के लोगों को पद और धन से लैस करना चाहते हैं । इसके लिए वे संविधान विरोधी निर्णय लेने से भी नहीं चूक रहे हैं ।
दिल्ली विधानसभा के इतिहास में सिर्फ एक या दो संसदीय सचिव होते थे । आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने विधायकों को लाभान्वित करने के लिए 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर डाली । यहाॅं तक कि डाॅयलाॅग कमीषन के अध्यक्ष को भी उन्होंने कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर लाभान्वित किया है । इसी दिषा में अपनी रिष्तेदार स्वाति मालीवाल की नियुक्ति भी उन्होंने महिला आयोग में अध्यक्षा पद पर कर डाली थी । मुख्यमंत्री बनने के बाद जनता के हित के कार्य न करके उन्होंने आम आदमी से पार्टी के लिए 10-10 रुपया चंदा देने की बात कहकर पद का दुरुपयोग किया है ।
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