भाजपा मीडिया सेल ने “आप का फरेब“ की सूची जारी की
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने अनधिकृत कालोनियों में पानी की लाइनें पहुंचाने, बिजली की दरों में 50 प्रतिशत कमी करने, पानी और बिजली पर समर एक्शन प्लान बनाने, अस्पतालों या स्कूलों मंे सुधार संबंधित मुद्दों पर पिछले 100 दिनों के भीतर मंत्रिमंडल की बैठकों में कभी भी विचार विमर्श संबंधित दस्तावेज जारी करने की केजरीवाल सरकार को चुनौती दी
हम किसी निर्वाचित सरकार के प्रारम्भिक दिनों मंे ही उसके कार्य की समीक्षा नहीं करना चाहते किन्तु दिल्ली सरकार अपने पहले 100 दिनों को ही एक नये युग की शुरूआत के रूप में बताना चाहती है इस कारण हमारे पास इसके प्रति अपनी प्रतिक्रिया देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। ये 100 दिन दिल्ली में सरकारी अराजकता और मानवता की हत्या के युग की झलक देते हैं जैसा कि पहले कभी नहीं देखा गया।
पिछले 100 दिन आप सरकार के धोखा धड़ी के 100 दिन रहे हैं और दिल्ली भाजपा की मीडिया सेल आज रुआप के फरेब की लिस्ट जारी कर रही है। पत्रकारवार्ता में मीडिया प्रभारी श्री प्रवीण शंकर कपूर, प्रवक्ता श्री राजीव बब्बर, श्री हरीश खुराना, श्रीमती पूनम आजाद झा एवं सोशल मीडिया सेल के श्री सुमित भसीन उपस्थित थे। रु।ंचज्ञंथ्ंतमइ को ूूूण्इरचकमसीपण्वतह पर देखा जा सकता है।
इन 100 दिनों मंे दिल्ली की जनता को सिर्फ एक उपलब्धि नजर आती है कि सत्ताधारी दल ने अपने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाकर मंत्री का रूतबा दिया है, अपने लगभग 70 नेताओं को सरकार के विभिन्न बोर्डों और कमीशनों में भारी सुविधाओं के साथ सत्ता सुख दिया है और लगभग 20 विधायकों को चैयरमेनी से नवाजा है।
इन 100 दिनों मंे श्री केजरीवाल और उनके दरबारियों को प्रशासन तंत्र की सभी संस्थाओं, संवैधानिक निकायों, मीडिया, न्यायपालिका मंे कमी दिख रही है और अब तो श्री केजरीवाल केन्द्र और संघीय क्षेत्र के प्रावधान पर प्रश्न उठाकर संविधान को ही चुनौती दे रहे हैं।
1993 में भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता और पांच वर्ष तक सत्ता चलाई और इस दौरान कांग्रेस केन्द्र में सत्ता में रही। इसके बाद जब 1998 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीता तब उसकी सत्ता के पहले 6 वर्ष 1998 से 2004 तक में एनडीए केन्द्र की सत्ता में था।
संवैधानिक व्यवस्थाओं को जानने वाले सभी लोग जानते हैं कि दिल्ली में संघीय ढांचा कुछ ऐसा है कि कुछ प्रशासनिक मामलों में दिल्ली कैबिनेट की शक्तियां सीमित हैं पर 1993 से 1998 का भाजपा शासन हो या 1998 से 2013 तक कांग्रेस शासन विपरीत दलों के केन्द्र में सत्ता में होने के बाद भी ऐसे प्रशासनिक विवाद कभी नहीं देखे गये जैसे अरविन्द केजरीवाल सरकार ने इन तीन महीनों में उत्पन्न किये हैं।
किसी भी सरकर के लिए दिल्ली में काम करने और जनता की सेवा के लिए सैकड़ों बिन्दु होते हैं पर वर्तमान केजरीवाल सरकार यह भलिभांति जानती है कि चुनाव पूर्व जनता को गुमराह करने के लिए किये वायदे पूरा करना उसके बस की बात नहीं। अतः अब अपनी विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए वह प्रशासनिक विवादों को खड़ा करते रहते हैं।
दिल्लीवासियों से केजरीवाल ने दो प्रमुख वायदे किये थे सबको 50 प्रतिशत सस्ती बिजली और हर परिवार को रोजाना 700 लीटर मुफ्त पानी।
सत्ता में आते ही केजरीवाल सरकार अपने दोनों वायदों से मुकर गई। सरकार ने बिजली के दाम कम करने की बजाये सिर्फ 400 यूनिट तक खपत वालों को 40 प्रतिशत सब्सिडी देकर जनता को धोखा दिया। पूर्व में दिल्ली में सभी उपभोक्ताओं को 400 यूनिट तक छूट मिलती थी। केजरीवाल सरकार ने सब्सिडी का लाभ दिल्ली के मात्र 25 प्रतिशत उपभोक्ताओं तक सीमित कर दिया है और बिजली के दाम कम करने की बात को भुला बैठी है।
श्री केजरीवाल की स्वप्न योजना थी सबको मुफ्त पानी पर इसमें भी सत्ता में आते ही उन्होंने जनता को मूर्ख बनाना शुरू कर दिया है। सरकार की मुफ्त पानी की योजना केवल मीटर कनेक्शन वाले उपभोक्ताओं तक सीमित हो गई है। सभी जानते हैं कि दिल्ली में सिर्फ 25 प्रतिशत उपभोक्ताओं के पास पानी के मीटर वाले कनेक्शन है और वो भी संभ्रांत कालोनियों में। यहां भी यदि उपभोक्ता तय सीमा से आधा किलो लीटर भी फालतू जल व्यय कर दें तो उन्हें पूरे पानी के पैसे देने पड़ेंगे।
75 प्रतिशत दिल्ली पानी के टैंकरों की सप्लाई या फिर औसत खपत आधार के बिलों पर पानी सप्लाई पाती है चाहे वह अनधिकृत कालोनियों में, झुग्गी बस्तियों में, गांवों में या फिर बड़ी सोसायटियों में रहते हों। ऐसे किसी भी उपभोक्ता को सरकार द्वारा मुफ्त पानी का लाभ नहीं मिला है।
गर्मी तेज होते ही दिल्लीवासी पानी और बिजली की कटौती से त्रस्त हैं क्योंकि दिल्ली सरकार ने कोई समर एक्शन प्लान इन 100 दिनों में नहीं बनाया है।
दिल्ली भाजपा केजरीवाल सरकार को चुनौती देती है कि वह 100 दिन में बनाये बिजली पानी की कमी को लेकर समर एक्शन प्लान को जनता के बीच में रखे।
दिल्ली भाजपा केजरीवाल सरकार को चुनौती देती है कि वह दिल्ली कैबिनेट की एक भी बैठक का ब्यौरा जनता के समक्ष रखे, जिसमें कैबिनेट ने दिल्ली में बिजली दरों को 50 प्रतिशत कम करने पर चर्चा की हो।
दिल्ली भाजपा केजरीवाल सरकार को चुनौती देती है कि वह 100 दिन में किसी एक कैबिनेट बैठक का ब्यौरा जनता के सामने रखें जहां उन्होंने अनधिकृत कालोनियों या झुग्गी बस्तियों या दिल्ली के गांवों तक पानी की लाइनें पहंुचाने पर चर्चा की हो।
सरकार ने 100 दिन में लगभग 100 करोड़ रूपये के अपने गुनगान करने और खुद को भ्रष्टाचार विरोधी बताने पर सरकारी खजाने से खर्च कर दिये हैं। कल ही दिल्ली में नये होर्डिंग लगा सरकार ने 35 अधिकारियों की गिरफ्तारी और 152 के लगभग अधिकारियों को भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने पर सस्पेंड करने के दावे किये हैं। हमारी जानकारी के अनुसार इसमें हड़ताल पर गये डीटीसी कर्मी और स्कूल में अनुपस्थित शिक्षकों के मामले भी हैं, क्या यह भी आर्थिक भ्रष्टाचार है ?
दिल्ली भाजपा केजरीवाल सरकार को चुनौती देती है कि वह झूठे दावे करने की बजाये गिरफ्तार और सस्पेंड किये गये अधिकारियों की सूची जनता के बीच रखें।
सत्ता में आने के कुछ ही दिनों में दिल्ली सरकार युवाओं को लुभाने के लिए बेची गई सारी दिल्ली में मुफ्त वाई-फाई योजना से भी अब भाग गई है। अब वह इसे एक दीर्घकालीन योजना बता रहे हैं।
पिछले 100 दिन में दिल्ली ने मुख्यमंत्री, उनके मंत्रियों, विधायकों और पार्टी नेताओं द्वारा फैलाई जो अराजकता देखी है वैसी पहले कभी नहीं देखी गई।
दिल्ली के कानून मंत्री श्री जितेन्द्र सिंह तोमर और विधायक श्री सुरेन्द्र कमांडो के फर्जी डिग्री के मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट के संज्ञान लेने और संबंधित विश्वविद्यालयों के स्पष्टिकरण के बाद भी उन पर कोई कार्रवाई करने की बजाये खुद को नैतिकता का पुजारी बताने वाले मुख्यमंत्री अब मौनी बाबा बने बैठे हैं। एक अन्य मंत्री श्री आसिम खान की एक रोड रेज हत्या के मामले में भूमिका भी दिल्ली के सामने है।
100 दिन में लगभग 10 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हुये हैं जिनमें एक विधायक श्रीमती प्रोमिला टोकस पर तो अनुसूचित जाति की महिला के साथ दुव्र्यवहार का मामला भी है पर खुद को अनुसूचित जातियों का रहनुमा बताने वाले मुख्यमंत्री गुमसुम बैठे हैं।
मैं और मेरी मर्जी के आधार पर काम करने वाले मुख्यमंत्री की सरकार ने मीडिया एवं जनता की आवाज विरोधी परिपत्र जारी कर लोकतंत्र को अभूतपूर्व आघात पहुंचाया।
चुनाव से पूर्व श्री केजरीवाल दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की बात करते थे पर सत्ता में आते ही पहले एक भी महिला मंत्री न बना कर और अब एक महिला मुख्य सचिव का विरोध कर केजरीवाल सरकार ने अपने महिला विरोधी रूख को जग जाहिर कर दिया है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा को सत्ताधारी दल के नेता से मिल रही धमकियां सरकार और सत्ताधारी दल दोनों की पोल खोलने के लिए काफी हैं। महिला आयोग की अध्यक्षा को एफआईआर दर्ज कर पुलिस सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ रही है ऐसे में आम महिलाओं की सुरक्षा की बात कौन सोच सकता है।
दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली के एक पार्क में कैबिनेट की बैठक बुलाना सिर्फ खबरों में बने रहने के लिए किया जा रहा सस्ता स्टंट है। इसी तरह दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र संघीय तनाव बढ़ाने का प्रयास और प्रशासनिक जिम्मेदारियों से भागने का बहाना है।
राजनीतिक मतभेदों और निश्चय ही कांग्रेस शासन में हुये भ्रष्टाचार के बावजूद हमने दिल्ली में विभिन्न सरकारों के द्वारा किये गये अनेकों विकास कार्य देखे हैं जो सब वर्तमान संघीय ढांचे में पूर्ण हुआ है।
प्रशासनिक अधिकारियों को बदलना कोई मुद्दा नहीं है। मुद्दे हैं दिल्ली को बेहतर अस्पताल देना, बेहतर सड़कें देना, बेहतर स्कूल देना, बेहतर परिवहन सेवा देना, सस्ती बिजली दरें देना, मुफ्त पानी देना।
हम मांग करते हैं कि चाहे विधानसभा का सत्र हो या फिर एक पार्क में होने वाली कैबिनेट बैठक केजरीवाल सरकार जनता को बताये कि 100 दिन में इन जनता के मुद्दों पर केजरीवाल सरकार ने क्या काम किया है।
इन 100 दिनों में केजरीवाल सरकार ने न सिर्फ जनता को धोखा दिया है, प्रशासनिक व्यवस्थाओं का मजाक उड़ाया है बल्कि मानवता की भी हत्या की जब जन्तर-मन्तर पर एक मृत्य किसान के शव के रहते राजनीतिक दावपेचों के भाषण दिये।
उन्होंने किसान मुआवजे के मुद्दे पर खिलवाड़ कर मानवता को अपमानित किया है। दिल्ली में किसान भ्रष्ट पटवारियों के शिकार बन रहे हैं और केजरीवाल सरकार आंखे मूंदे बैठी है।
दिल्ली भाजपा मांग करती है कि सरकार मुख्य मुद्दों से जनता का ध्यान बटाने के लिए छोटी-छोटी प्रशासनिक व्यवस्थाओं का सहारा लेना छोड़े। जनता के लिए काम करे या फिर बड़े पैमाने पर जनता के विरोध का सामना करने को तैयार रहे।
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