भाजपा आचरण समिति की सिफारिषों को लीक किये जाने, श्री ओमप्रकाष की मानहानि करने और विधानसभा के विषेशाधिकारों के हनन को लेकर न्यायालय जायेगी - विजेन्द्र गुप्ता
नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने आज भाजपा विधायक श्री ओमप्रकाष षर्मा की सदस्यता को रद्द किये जाने की दिल्ली विधानसभा की आचरण समिति की सिफारिष के लीक होने को चुनौती देते हुये कहा कि इस सारे मामले में विधानसभा के विषेशाधिकारों का हनन हुआ है । यह रिपोट्र सदन में रखे जाने तक गुप्त रखी जाती है । यह तो आप सरकार ही बतायेगी कि उसने इस प्रक्रिया को क्यों नही अपनाया । श्री गुप्ता ने अध्यक्ष श्री रामनिवास गोयल से मांग करी कि वे एक जाॅच कमेटी बैठायें ताकि यह पता लगाये कि किन हालात में और किसने एक गुप्त रिपोर्ट को लीक किया है । जो भी दोशी पाया जाये उसके विरूद्ध कार्यवाही की जानी चाहिये ।
श्री गुप्ता ने कहा कि इसके साथ ही साथ दिल्ली सरकार जो अपने मंत्रियों के रिष्वत लेते हुये पकड़े जाने और विधायकों को न्यायालय द्वारा अपराधी घोशित करने पर भी संज्ञान नहीं लेती है उसने श्री षर्मा को विधानसभा में तथाकथित दुराचरण के लिये निलंबित करने की सिफारिष करी है । श्री गुप्ता ने कहा कि भाजपा श्री षर्मा की मानहानि किये जाने, विधान सभा के विषेशाधिकारों के हनन करने तथा आचरण समिति की गैरकानूनी सिफारिषों के विरूद्ध न्यायालय की षरण लेगी ।
श्री गुप्ता ने कहा कि विधानसभा के नियमों के अनुसार आचरण समिति की सिफारिषों को सबसे पहले अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिये । इसके उपरांत इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर विचारार्थ रखा जाना चाहिये ।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि आचरण समिति के सभी सदस्य आम आदमी पार्टी के विधायक ही थे अतः उनसे किसी प्रकार की तटस्थता की उम्मीद करना बेकार ही था । आचरण समिति की रिपोर्ट आधारहीन, असत्य तथा गैरकानूनी है ।
उन्होंने कहा कि दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा पैसा लेकर अयोग्य उम्मीदवारों का चयन करने और प्रतिभावान अभ्यर्थियों को जानबूझकर फेल करने के घोटाले को भाजपा द्वारा उजागर करने और इसकी जांच भ्रश्टाचार निरोधक षाखा से कराने के उपराज्यपाल के निर्णय से घबराई सरकार ने आम जनता का ध्यान बंटाने के लिए ही यह प्रस्ताव पारित किया है। इससे साबित हो गया है कि दिल्ली सरकार विधानसभा में अराजक और मनमाना आचरण करके दिल्ली की जनता की सर्वोच्च पंचायत (दिल्ली विधानसभा) की गरिमा गिराना चाहती है।
विधानसभा में भाजपा के सिर्फ तीन विधायक हैं, जो आम आदमी पार्टी के 67 विधायकों पर भारी पड़ रहे हैं। सरकार इन तीन विधायकों को भी किसी न किसी बहाने विधानसभा से बाहर करना चाहती है। ओ पी षर्मा को निकालने के पीछे सरकार की यही नीयत है। भाजपा सरकार के इस शडयंत्र को कभी सफल नहीं होने देगी। सरकार तथा विधानसभा अध्यक्ष की यह कार्यवाही पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है। आचार समिति के सारे सदस्य आम आदमी पार्टी के विधायक ही हैं। इसलिए समिति का यह फैसला किसी भी तरह न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है।
भाजपा विधायक ओ पी षर्मा के विरूद्ध कानून अपना कार्य कर रहा है। इसलिए विधानसभा से उनके निश्कासन का फैसला एक ही मामले में दो सजा देने जैसा है। यह प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध है। श्री षर्मा पर द्वेशवष अनर्गल आरोप लगाये गये हैं। इन आरोपों का परीक्षण दिल्ली पुलिस कर रही है। न्यायालय का जो फैसला होगा वह श्री षर्मा को स्वीकार होगा। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार भाजपा के प्रति षुरू से ही द्वेश भावना रखती है। उसका यह कदम भी उसी दिषा में अगली कड़ी है। भाजपा तथा नेता प्रतिपक्ष इसकी कड़ी निंदा करते हैं।
श्री गुप्ता ने कहा कि इसके साथ ही साथ दिल्ली सरकार जो अपने मंत्रियों के रिष्वत लेते हुये पकड़े जाने और विधायकों को न्यायालय द्वारा अपराधी घोशित करने पर भी संज्ञान नहीं लेती है उसने श्री षर्मा को विधानसभा में तथाकथित दुराचरण के लिये निलंबित करने की सिफारिष करी है । श्री गुप्ता ने कहा कि भाजपा श्री षर्मा की मानहानि किये जाने, विधान सभा के विषेशाधिकारों के हनन करने तथा आचरण समिति की गैरकानूनी सिफारिषों के विरूद्ध न्यायालय की षरण लेगी ।
श्री गुप्ता ने कहा कि विधानसभा के नियमों के अनुसार आचरण समिति की सिफारिषों को सबसे पहले अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिये । इसके उपरांत इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर विचारार्थ रखा जाना चाहिये ।
प्रतिपक्ष के नेता ने कहा कि आचरण समिति के सभी सदस्य आम आदमी पार्टी के विधायक ही थे अतः उनसे किसी प्रकार की तटस्थता की उम्मीद करना बेकार ही था । आचरण समिति की रिपोर्ट आधारहीन, असत्य तथा गैरकानूनी है ।
उन्होंने कहा कि दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड द्वारा पैसा लेकर अयोग्य उम्मीदवारों का चयन करने और प्रतिभावान अभ्यर्थियों को जानबूझकर फेल करने के घोटाले को भाजपा द्वारा उजागर करने और इसकी जांच भ्रश्टाचार निरोधक षाखा से कराने के उपराज्यपाल के निर्णय से घबराई सरकार ने आम जनता का ध्यान बंटाने के लिए ही यह प्रस्ताव पारित किया है। इससे साबित हो गया है कि दिल्ली सरकार विधानसभा में अराजक और मनमाना आचरण करके दिल्ली की जनता की सर्वोच्च पंचायत (दिल्ली विधानसभा) की गरिमा गिराना चाहती है।
विधानसभा में भाजपा के सिर्फ तीन विधायक हैं, जो आम आदमी पार्टी के 67 विधायकों पर भारी पड़ रहे हैं। सरकार इन तीन विधायकों को भी किसी न किसी बहाने विधानसभा से बाहर करना चाहती है। ओ पी षर्मा को निकालने के पीछे सरकार की यही नीयत है। भाजपा सरकार के इस शडयंत्र को कभी सफल नहीं होने देगी। सरकार तथा विधानसभा अध्यक्ष की यह कार्यवाही पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है। आचार समिति के सारे सदस्य आम आदमी पार्टी के विधायक ही हैं। इसलिए समिति का यह फैसला किसी भी तरह न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता है।
भाजपा विधायक ओ पी षर्मा के विरूद्ध कानून अपना कार्य कर रहा है। इसलिए विधानसभा से उनके निश्कासन का फैसला एक ही मामले में दो सजा देने जैसा है। यह प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध है। श्री षर्मा पर द्वेशवष अनर्गल आरोप लगाये गये हैं। इन आरोपों का परीक्षण दिल्ली पुलिस कर रही है। न्यायालय का जो फैसला होगा वह श्री षर्मा को स्वीकार होगा। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार भाजपा के प्रति षुरू से ही द्वेश भावना रखती है। उसका यह कदम भी उसी दिषा में अगली कड़ी है। भाजपा तथा नेता प्रतिपक्ष इसकी कड़ी निंदा करते हैं।
Comments
Post a Comment