केजरीवाल सरकार जानबूझकर नगर निगम कर्मचारियों को परेशान कर रही है - विजेन्द्र गुप्ता
नई दिल्ली, 31 मार्च। भाजपा के विधायक दल के नेता श्री विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि वेतन न मिलने के कारण नगर निगम कर्मचारियों की हड़ताल के कारण दिल्ली में फैली गंदगी और अव्यवस्था की जिम्मेदारी केजरीवाल सरकार की है।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस तरह का वित्तीय संकट दिल्ली नगर नगर में कई बार हुआ है परंतु दिल्ली की सरकार द्वारा इस तरह का उपेक्षापूर्ण रवैया, इससे पहले कभी नहीं हुआ।
श्री गुप्ता ने कहा कि 2012 में दिल्ली नगर निगम के बंटवारे के समय सभी को इस बात की जानकारी थी कि दिल्ली नगर निगम के वर्तमान स्त्रोत भविष्य में नगर निगम के कामकाज के लिये पर्याप्त नहीं हैं और विशेष रूप से पूर्वी दिल्ली नगर निगम व उत्तरी नगर निगम की आय के स्त्रोत पूर्ण रूप से नाकाफी हैं। इस संदर्भ में 5 अप्रैल 2013 को चैथे दिल्ली वित्त आयोग द्वारा रिपोर्ट दिल्ली की सरकार को सौंप दी गई थी जिसमें दिल्ली नगर निगम के बंटवारे के बाद अनिवार्य कार्यों को सम्पन्न करने के लिये वित्तीय आवश्यकताओं की विस्तृत जानकारी इस रिपोर्ट में दी गई है। आयोग ने अपनी सिफारिशों में दिल्ली की सरकार से यह आग्रह किया है कि यदि इन नगर निगमों का अस्तित्व बनाये रखना है तो सरकार के राजस्व में नगर निगमों की हिस्सेदारी नये सिरे से तय करने की आवश्यकता है।
श्री गुप्ता ने आश्चर्य प्रकट करते हुये कहा कि पूर्व की शीला दीक्षित सरकार और वर्तमान केजरीवाल सरकार, दोनों ही सरकारों ने चैथे वित्ती आयोग की सिफारिशों को विधानसभा के पटल पर न रख कर संविधान की अवहेलना की है जिसके कारण आज दिल्ली में यह अव्यवस्था के हालात पैदा हुए हैं।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि वे तुरंत चैथे वित्त आयोग की सिफारिशों को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पटल पर रखें और उन सिफारिशों को मानकर वर्ष 2012-13 से निगम का बकाया लगभग 5 हजार करोड़ रूपया इन नगर निगमों को तुरंत उपलब्ध कराये जिससे कि ये बिगड़े हुये हालात सुधर सकें और दिल्ली नगर निगम सुचारू रूप से अपना कार्य सम्पन्न कर सके।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा कि इस तरह का वित्तीय संकट दिल्ली नगर नगर में कई बार हुआ है परंतु दिल्ली की सरकार द्वारा इस तरह का उपेक्षापूर्ण रवैया, इससे पहले कभी नहीं हुआ।
श्री गुप्ता ने कहा कि 2012 में दिल्ली नगर निगम के बंटवारे के समय सभी को इस बात की जानकारी थी कि दिल्ली नगर निगम के वर्तमान स्त्रोत भविष्य में नगर निगम के कामकाज के लिये पर्याप्त नहीं हैं और विशेष रूप से पूर्वी दिल्ली नगर निगम व उत्तरी नगर निगम की आय के स्त्रोत पूर्ण रूप से नाकाफी हैं। इस संदर्भ में 5 अप्रैल 2013 को चैथे दिल्ली वित्त आयोग द्वारा रिपोर्ट दिल्ली की सरकार को सौंप दी गई थी जिसमें दिल्ली नगर निगम के बंटवारे के बाद अनिवार्य कार्यों को सम्पन्न करने के लिये वित्तीय आवश्यकताओं की विस्तृत जानकारी इस रिपोर्ट में दी गई है। आयोग ने अपनी सिफारिशों में दिल्ली की सरकार से यह आग्रह किया है कि यदि इन नगर निगमों का अस्तित्व बनाये रखना है तो सरकार के राजस्व में नगर निगमों की हिस्सेदारी नये सिरे से तय करने की आवश्यकता है।
श्री गुप्ता ने आश्चर्य प्रकट करते हुये कहा कि पूर्व की शीला दीक्षित सरकार और वर्तमान केजरीवाल सरकार, दोनों ही सरकारों ने चैथे वित्ती आयोग की सिफारिशों को विधानसभा के पटल पर न रख कर संविधान की अवहेलना की है जिसके कारण आज दिल्ली में यह अव्यवस्था के हालात पैदा हुए हैं।
श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि वे तुरंत चैथे वित्त आयोग की सिफारिशों को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पटल पर रखें और उन सिफारिशों को मानकर वर्ष 2012-13 से निगम का बकाया लगभग 5 हजार करोड़ रूपया इन नगर निगमों को तुरंत उपलब्ध कराये जिससे कि ये बिगड़े हुये हालात सुधर सकें और दिल्ली नगर निगम सुचारू रूप से अपना कार्य सम्पन्न कर सके।
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