केजरीवाल सरकार न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का ढ़िढौरा तो पीट रही है...
केजरीवाल सरकार न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का ढ़िढौरा तो पीट रही है परंतु जमीनी हकीकत यह है कि पहले से तय की गई न्यूनतम मजदूरी भी मजदूरों को नही मिल पा रही है- अजय माकन
नोटबंदी के दौरान असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाले 48.63 लाख मजदूरों में से बहुत बड़ी तादात में मजदूर बेरोजगार हो गए थे, परंतु केजरीवाल सरकार ने एक मजदूर को भी बेराजगारी भत्ता तक नही दिया- अजय माकन
केजरीवाल सरकार के शासन में दिल्ली में कृषि के उपायोग के लिए मिलने वाली बिजली की दरें देश के अन्य राज्यों से बहुत अधिक है- अजय माकन
केजरीवाल सरकार के कार्यकाल में किसानों की हालत इतनी खस्ता है कि वे कृषि छोड़ने को मजबूर हा रहे हैं- अजय माकन
नई दिल्ली, 18 मार्च, 2017- दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने बवाना में आयोजित किसान-मजदूर सम्मेलन में बोलते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार और भाजपा की केन्द्र सरकार ने मजदूरों और किसानों के साथ धोखा किया है। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का ढ़िढौरा तो पीट रही है परंतु जमीनी हकीकत यह है कि पहले से तय की गई न्यूनतम मजदूरी भी मजदूरों को नही मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि मजदूरों का शोषण हो रहा है परंतु केजरीवाल की दिल्ली सरकार का श्रम विभाग हाथ पर हाथ धरकर बैठा है और इस दिशा में कोई कार्यवाही नही कर रहा है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन को प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय माकन के अलावा सांसद श्री दीपेन्द्र हुडा, पूर्व सांसद श्री सज्जन कुमार, पूर्व विधायक एवं जिला अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र कुमार, पूर्व विधायक चरण सिंह कंडेरा, प्रवीण भुगरा ने भी सम्बोधित किया व सभी निगम पार्षद, ब्लाक अध्यक्ष भी मौजूद थे।
श्री माकन ने कहा कि मोदी सरकार के नोटबंदी के गलत फैंसले के कारण यदि सबसे ज्यादा किसी को नुकसान हुआ है तो वह मजदूर वर्ग को हुआ है और दिल्ली में तो नोटबंदी का इतना अधिक बुरा असर पड़ा था कि लाखों मजदूरों का पलायन दिल्ली से हुआ था क्योंकि मजदूरों को प्रतिदिन के लिए रोजगार नही मिल पा रहा था। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या तकरीबन48.63 लाख है जो कुल वर्क फोर्स का 85.33% बैठता है। नोटबंदी के दौरान 48.63 लाख कर्मचारी जो असंगठित वर्क फोर्स है, उनके रोजगार पर तलवार लटक गई थी परंतु केजरीवाल सरकार ने मजदूरों की रोजगार की समस्या को लेकर उस समय भी उचित कदम नही उठाये थे।
श्री माकन ने कहा कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने मजदूरों की आवाज उठाते हुए दिल्ली की केजरीवाल सरकार से यह मांग की थी कि नोटबंदी के दौरान बेरोजगार हुए मजदूरों को 5 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता के रुप में दिया जाये। परंतु केजरीवाल सरकार के कान पर जूं तक नही रेंगी और उन्होंने नोटबंदी के दौरान बेरोजगार हुए मजदूरों में से एक को भी बेरोजगारी भत्ता नही दिया।
श्री माकन ने कहा कि केजरीवाल सरकार को सत्ता में आए 2 वर्ष से ज्यादा हो गए है परंतु किसानों की हालत खराब होती जा रही है और दिल्ली का किसान कृषि छोड़ने को मजबूर हो रहा है। श्री माकन ने कहा कि दिल्ली में किसानों को कृषि के लिए मिलने वाली बिजली के दाम पूरे देश की तुलना में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की अत्यधिक कृषि पूरी तरह से ट्यूबवेल के पानी पर निर्भर है और केजरीवाल सरकार का यह आलम है कि किसानों को नये ट्यूबवेल के कनैक्शन नही दिए जा रहे है।
श्री माकन ने कहा कि कृषि के लिए सब्सिडी पर मिलने वाले खाद्य व बीज भी केजरीवाल सरकार के द्वारा किसानों को नही दिए जा रहे है जिसके कारण किसानों को अनाप शनाप दरों पर खाद्य व बीज अपनी खेती करने के लिए खरीदने पड़ रहे है और परिणामस्वरुप किसानों को कृषि से लागत भी नही मिल पा रही है।
किसान मजदूर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए सांसद श्री दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकारों ने हमेशा किसानों व मजदूरों के हक की लड़ाई लड़ी है। आज जितनी परेशानियां किसानों और मजदूरों को भाजपा के शासन काल में हो रही है वह पहले कभी नही हुई।
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