निगमों को उचित फंड से वंचित रखने के मामले में अरविन्द केजरीवाल वर्ष 2002 के आसपास शीला दीक्षित-अजय माकन द्वारा रचित कुनीति को आगे बढ़ा रहे हैं-दिल्ली भाजपा
दिल्ली भाजपा ने कहा अरविन्द केजरीवाल द्वारा वीडिओ बयान के माध्यम से निगमों के विरूद्ध सफाई की जिम्मेदारियों एवं निगम फंड के संबंध में जनता को गुमराह करने का प्रयास निंदनीय है
नई दिल्ली, 03 मार्च। दिल्ली भाजपा के महामन्त्रियों श्री कुलजीत सिंह चहल, श्री रविन्द्र गुप्ता एवं श्री राजेश भाटिया ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल द्वारा एक वीडिओ बयान में दिल्ली के नगर निगमों पर सफाई में लापरवाही बरतने और भ्रष्टाचार के आरोप लगाये जाने की कड़ी भत्र्सना की है।
दिल्ली भाजपा महामंत्रियों ने कहा है कि तीनों नगर निगम छोटी सड़कों एवं कालोनियों के अंदर की सड़कों और गलियों की सफाई व्यवस्था देखते हैं जबकि 60 फुट या उससे अधिक की चैड़ी सड़कों की सफाई एवं रख रखाव का काम दिल्ली सरकार के पी.डब्ल्यू.डी. विभाग के अंतर्गत आता है।
दिल्ली के नागरिक जानते है कि सभी आंतरिक गलियों एवं छोटी सड़कों की सफाई दैनिक आधार पर या नियमित होती है और वहां से कूड़ा भी रोजाना हटाया जाता है जबकि इन अंदर की छोटी सड़कों पर भारी मात्रा में कूड़ा घरों या व्यापारिक संस्थानों से बाहर डाला जाता है।
इसके विपरीत हम अगर दिल्ली के किसी भी मुख्य मार्ग, जिसका रख रखाव पी.डब्ल्यू.डी. के पास है, पर हम हलका सा भी निरीक्षण करते हैं तो सड़क किनारे या सड़क डिवाइडरों पर कूड़ों के ढेर नजर आते हैं। ऐसी सभी सड़कों पर और दिल्ली के सभी नालों की सफाई के मामलों में स्थिति बेहद खराब है चाहे हम अलीपुर रोड से एम.जी. रोड छत्तरपुर तक देखें या फिर जी.टी. रोड के सीमापुरी से द्वारका तक। आज पी.डब्ल्यू.डी. सड़कों की स्थिति इतनी खराब है कि प्रगति मैदान सड़क पर स्थित सर्वोच्च न्यायालय के बाहर या उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के निवास के पास हमें सड़क किनारे एवं होर्टिकल्चर डिवाइडर में कूड़े के ढेर साफ नजर आते हैं।
भाजपा महामंत्रियों जिनमें से दो स्वयं निगम पार्षद हैं ने कहा है कि तीनों नगर निगम गंभीर आर्थिक विषमताओं में काम कर रहे हैं और उनके स्वतः अर्जित राजस्व कर्मचारी वेतन भुगतान के लिए भी पूरे नहीं पड़ते हैं।
दिल्ली के तीनों नगर निगम हजार से अधिक प्राइमरी स्कूल, डिस्पेंसरी, पार्क आदि के अलावा बाड़ा हिन्दुराव एवं कस्तूरबा गांधी जैसे बड़े अस्पतालों के माध्यम से जनसेवा कार्य करते हैं जिसके लिए नियमित आर्थिक फंड की आवश्यकता है पर अपनी पूर्ववत्र्ती कांग्रेस सरकार की तरह केजरीवाल सरकार भी भेदभाव कर भुगतान नहीं करती है।
वस्तुस्थिति यह है कि वर्ष 2000 से 2014 के बीच कांग्रेस सरकार ने जिसमें वर्तमान दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन भी भागीदार थे नगर निगमों को सरकारी राजस्व में से मिलने वाले फंड हिस्से को तय करने के लिए दिल्ली वित्त आयोग की स्थापना में अति विलम्ब किया और फिर उसकी सिफारिशों के अनुसार भुगतान करने में भी विलम्ब किये।
इस मामले में अरविन्द केजरीवाल जो कुछ आज कर रहे हैं वह वर्ष 2002 के आसपास शीला दीक्षित एवं अजय माकन द्वारा राजनीतिक द्वेष से प्रारम्भ किये गये खेल की पुनार्वृत्ति है।
द्वेषपूर्ण कारणों से बार-बार निगम फंड में विलम्ब एवं कटौती के चलते पिछले कुछ वर्षों खासकर दो वर्षों में निगम सेवायें कमजोर या ठप्प हुईं हैं। निगमों द्वारा चलाई जाने वाली समाज कल्याण पेंशन तो पूरी तरह रूक गई हैं।
स्वयं अरविन्द केजरीवाल में अपने वीडिओ बयान में स्वीकारा है कि उन्होंने तीनों निगमों को पिछले दो वर्ष में 2800 करोड़ रूपये दिये हैं पर सत्य यह है कि अगर उन्हीं की सरकार द्वारा स्वीकृत चैथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार भुगतान किया जाता तो दो वर्ष में निगमों को लगभग 9000 करोड़ रूपये मिलते। इसी से लोग समझ सकते हैं कि निगम कितने आर्थिक संकट में काम कर रहे हैं।
दिल्ली में सेनेट्री लैंडफिल साइट्स के रख रखाव एवं स्थानीय ढलाओं से वहां तक कूड़ा पहुंचाने का काम तो नगर निगमों के पास है पर कूड़े के निपटान एवं वेस्ट मेनेजमेन्ट नीति बनाने का काम दिल्ली सरकार को करना होता है।
भाजपा महामंत्रियों ने कहा है कि हम मांग करते हैं कि अरविन्द केजरीवाल सरकार दिल्ली की जनता को बतायें कि पिछले दो वर्ष में कूड़े के निपटान एवं वेस्ट मेनेजमेन्ट नीति बनाने पर क्या काम किया है और स्वीकार करने के बाद भी सरकार ने चैथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार निगमों को फंड देना क्यों प्रारम्भ नहीं किया है।
जहां तक भ्रष्टाचार के आरोपों की बात है दिल्ली की जनता केजरीवाल के विधायकों, मंत्रियों एवं रिश्तेदारों के रातों रात मालदार होने के किस्से भलिभांति सुनती एवं देखती रही है। वर्ष 2012 से 2017 के बीच किसी भी भाजपा पार्षद पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा वहीं दूसरी ओर जनता ने केजरीवाल के मंत्रियों, सचिव एवं रिश्तेदारों को भ्रष्टाचार के आरोप में पद खोते देखा है।
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