दिल्ली सरकार तुरंत प्रभाव से असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को न्यूनतम वेतन का 50 प्रतिशत बेरोजगारी भत्ते के रुप में दे- अजय माकन
नोटबंदी के फैसले के बाद दिल्ली में असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले 48.63 लाख मजदूरों पर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है- अजय माकन
असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग जो दिल्ली को वहन करने वाली सेवाऐं तथा मजदूर मुहैया कराते है वे दिल्ली की रियल लाईफ लाईन है- अजय माकन
नई दिल्ली, 9 दिसम्बर, 2016-दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री अजय माकन ने कहा कि नोटबंदी के कारण खुदरा बिक्री में 88-90% तक की कमी आई है। उन्होंने कहा कि विभिन्न लद्यु उद्योग संगठनों से बातचीत करने के पश्चात उन्हें पता लगा है कि उत्पादन में 80% तक की कमी आई है जिसके फलस्वरुप नौकरियों में कमी आने के कारण बेरोजगारी बढ़ी है।
प्रदेश कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में श्री अजय माकन के साथ पूर्व सासंद श्री महाबल मिश्रा, श्री अमन पंवार व श्री चतर सिंह भी मौजूद थे। श्री अजय माकन ने कहा कि नोटबंदी को शुरु हुए एक महीने से ज्यादा हो गया है जिसका प्रभाव समाज के प्रत्येक क्षेत्र पर पड़ा है परंतु इसके सबसे भयावह प्रभाव दैनिक मजदूर,एडहाॅक कर्मचारी तथा असंगठित क्षेत्र के मजदूर वर्ग पर पड़ा है और उनको सबसे ज्यादा परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं जबकि इस वर्ग की जनसंख्या दिल्ली में सबसे ज्यादा है।
श्री अजय माकन ने रोजगार पर एन.एस.एस.ओ. सर्वे 2011-2102 के बीच का 68वां राउंड का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली की वर्किंग पोपुलेशन 57.06 लाख थी। उन्होंने कहा कि रोजगार निदेशालय व दिल्ली सरकार का आंकडा यह दर्शाता है कि 2009 में संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या 8.43 लाख थी। यह संख्या पिछले दशक में समान रही है। श्री माकन ने कहा कि यदि हम एन.एस.एस.ओ. सर्वें के 68वें राउंड की बात करें तो दिल्ली में असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों की संख्या48.63 लाख है जो कुल वर्क फोर्स का 85.33% है। 48.63 लाख कर्मचारी जो असंगठित वर्क फोर्स है, उनके रोजगार छिनने के कगार पर है तथा उनपर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है।
श्री माकन ने कहा कि मेरी चिन्ता मुख्यतः दो बिन्दुओं को लेकर है। पहला, 48.63 लाख असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूर की जो कि बाहर से आने वाले लोगों की पहली जेनरेशन की जनसंख्या है। दूसरा रिवर्स माईग्रेशन के शुरु होने की रिपोर्ट भी आ रही है। श्री माकन ने कहा कि सूत्रों के अनुसार नोटबंदी के बाद पहले ही कई लाख मजदूर वापस जा चुके है तथा 10 से 15 हजार मजदूर रोजाना दिल्ली से पलायन कर रहे है, यह सबसे बड़ा खतरा है। क्योंकि इन असंगठित मजदूरों के कारण ही दिल्ली चल पा रही है। ये लोग ही वहन करने वाली सेवाऐं तथा मजदूर मुहैया कराते है यह वर्ग ही दिल्ली की रियल लाईफ लाईन है।
श्री माकन ने कहा कि आज दिल्ली में चलने वाले बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में दिहाड़ी मजदूरों को दैनिक मजदूरी न मिलने के कारण काम रुक गया है। चैक पर दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों की भीड़ नदारद हो गई है। रिक्शा चलाने वाले गरीब लोगों की दिहाड़ी भी न के बराबर रह गई।
श्री माकन ने कहा कि यदि असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग वापस अपने गांव और शहरों को चले गए तो दिल्ली की हालत खराब हो जायेगी तथा दिल्ली को पटरी पर आने के लिए बहुत समय लगेगा।
श्री माकन ने कहा कि मुझे याद है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल ने रामलीला मैदान से यह कहा था कि वे मुझसे समय-समय पर सलाह लेते रहेंगे। श्री माकन ने कहा कि श्री अरविन्द केजरीवाल मेरी दूसरे मुद्दों पर सलाह माने या न माने परंतु इस विषय पर मेरी सलाह को माने और तुरंत प्रभाव से कदम उठाये ताकि असंगठित क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों का रिवर्स माईग्रेशन रुक सके। दिल्ली सरकार को इन लोगों को बेरोजगारी भत्ते के रुप में न्यूनतम वेतन का 50 प्रतिशत व अन्य लाभ देने चाहिए ताकि इन लोगों के अंदर एक विश्वास बन सके कि जब तक हालात सामान्य नही होते उनको दो वक्त की रोटी आसानी से मिल सके। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को तुरंत छोटे उद्योगों के संगठनों, सिविल कान्ट्रेक्टर/बिल्डर के संगठन या इन क्षेत्रों में कार्य करने वाले लोगांे की संस्थाओं से बातचीत करें। अनाधिकृत कालोनियों, झुग्गी झौपड़ियों व गांवों इत्यादि में इन लोगों को चिन्हित किये जाने की दिशा में कार्य किया जाये। आधुनिक दिल्ली के इन निर्माताओं को किसी भी कीमत पर बचाया जाना चाहिए।
प्रदेश अध्यक्ष श्री अजय माकन की तरफ से दिनांक 9 दिसम्बर 2016 को लिखे गए अरविन्द केजरीवाल को लिखे पत्र के साथ 2011 की जनगणना, 68वें राउंड का एन.एस.एस.ओ. तथा दिल्ली सरकार के रोजगार निदेशालय का आंकड़ा संलग्न है।
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